कंप्यूटर तकनीक क्षेत्र की बहुराष्ट्रीय कंपनी डेल ने शनिवार को चेतावनी देते हुए कहा कि 2015 में दुनियाभर में कड़े सुरक्षा प्रबंध किए जाने के बावजूद साइबर अपराध के मामलों में वृद्धि हुई है.
साइबर अपराधियों ने नए-नए तरीकों की सुरक्षा प्रणालियों को भेदने में कामयाबी हासिल की है, जिसमें एंटी फॉरेंसिक तंत्र से लेकर यूआरएल का पैर्टन बदलने तक के कई तरीके शामिल हैं.
साइबर क्राइम करने पर लगती हैं आईपीसी की ये धाराएं
डेल सोनिक वॉल के भारत के प्रबंधक अमित शाह का कहना है कि 2015 में दुनियाभर में साइबर अपराध के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई. जिन संगठनों ने साइबर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे, वहां भी इसमें सेंध लगी.
कंपनी साइबर सर्तकता को हर तरफ बनाए रखने पर जोर देते हुए कहती है कि 2015 में सुरक्षा तंत्र को भेदने की कई घटनाएं इसलिए सफल हुईं क्योंकि साइबर अपराधियों ने पीड़ितों के सुरक्षा प्रबंध की कमजोर कड़ी को ढूंढने में कामयाबी हासिल कर ली. और पीड़ित पारिस्थितिकी तंत्र में आई विसंगतियों को पकड़ नहीं पाए.
कंपनी का कहना है कि साइबर अपराधियों के निशाने पर सबसे ज्यादा एंड्रायड पारिस्थिकी तंत्र है, इसलिए दुनिया भर के स्मार्टफोन प्रयोगकर्ताओं के बड़े हिस्से के लिए जोखिम काफी अधिक है. पिछले साल 8.19 अरब मालवेयर हमले किए गए, जो इससे पहले के साल के मुकाबले दोगुना है.
कहीं आपके बच्चे ऑनलाइन यौन उत्पीड़न का शिकार तो नहीं?
डेल सिक्योरिटी के उत्पाद प्रबंधन व वितरण के उपाध्यक्ष पैट्रिक स्वीने के मुताबिक, अक्टूबर 2015 में एं़ड्रायड 6.0 मार्शमैलो के आने के बाद कई नए सुरक्षा इंतजाम जोड़े गए हैं. लेकिन एंड्रायड प्रयोगकर्ताओं को सावधानी बरतते हुए केवल विश्वसनीय एप स्टोर, जैसे गूग प्ले आदि से ही एप्लिकेशनों को इंस्टाल करना चाहिए.
पेट्रिक ने हिदायत देते हुए कहा कि इसके साथ ही किसी भी तरह के एप्लिकेशन इंस्टाल करते वक्त मांगी जा रही अनुमतियों के अनुरोध पर नजर रखनी चाहिए और अपने फोन की रूटिंग से बचना चाहिए.