पूरी दुनिया जहां डिजीटल तकनीक के सहारे तरक्की के नए रास्ते खोलने की जद्दोजहद में लगी है, वहीं देह व्यापार से जुड़े लोग भी ऑनलाइन प्रमोशन और सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर ध्यान दे रहे हैं. उनके काम के लिए व्हॉटस्एप और ट्वीटर बहुत ही काम के साबित हो रहे हैं. एस्कॉर्ट एजेंसियां भी इसका खूब फायदा उठा रही हैं.
मेल टुडे ने किया खुलासा
आज तक के सहयोगी समाचार पत्र मेलटुडे की खास तफ्तीश में ये सारा खुलासा हुआ है. इस काम को करने वाले तेजी से तकनीक का सहारा ले रहे हैं. एजेंट अब व्हॉटस्एप जैसे सोशल एप का इस्तेमाल करके अपना काम आसानी से कर रहे हैं. एजेंट दावा करते हैं कि इसकी वजह से सार्वजनिक जगहों पर ही मीटिंग करना और लड़कियों को चुनना आसान हो गया है.
एस्कॉर्ट एजेंसी के नाम पर देह व्यापार
दिल्ली के एस्कॉर्ट एजेंट रिक्की ने फोन पर बात करने या उसके काम के बारे में बात करने से साफ इनकार कर दिया. इसके बजाय उसने व्हॉटस्एप पर ही भारतीय और विदेशी मॉडल्स को एस्कॉर्ट के तौर पर उपलब्ध कराने का दावा किया. इससे साफ हो गया कि इन एजेंसियों की आड़ में ही देह व्यापार का धंधा किया जा रहा है.
धंधे के लिए व्हॉटस्एप का इस्तेमाल
रिक्की ने मेलटुडे को बताया कि हम लोग फोन पर बात नहीं करते. हम काम की बात सिर्फ व्हॉटस्एप के जरिए ही करते हैं. यह ग्राहक की सुरक्षा के लिए होता है क्योंकि पुलिस इस एप के जरिए होने वाली बातचीत को नहीं पकड़ सकती. उसने व्हॉटस्एप पर बात करते हुए कहा कि अब आप मुझे अपनी ज़रूरत बताएं उसके हिसाब से आपको व्हॉटस्एप पर ही लड़कियों की तस्वीरें और प्रोफाइल भेज दिया जाएगा.
कीमत का खुलासा
रिक्की ने आगे कीमत का खुलासा करते हुए कहा कि अफगानिस्तान, रूस, उजबेकिस्तान, यूरोप और थाईलैंड की गोरी चमड़ी वाली लड़कियों के लिए फीस भारतीय लड़कियों की अपेक्षा ज्यादा होगी. विदेशी लड़कियों के कम वक्त के लिए 5 से 10 हजार रुपये फीस होगी. जबकि पूरी रात के लिए 15 से 20 हजार रुपये देने होंगे. इसके साथ ही उसने उजबेकिस्तान और रूस की आठ लड़कियों की तस्वीरें भेज दी.
कम होता है पकड़े जाने का जोखिम
व्हॉटस्एप के जरिए सीधे ग्राहकों को बुलाकर एजेंट पकड़े जाने का जोखिम कम कर देते हैं. एक एजेंट के मुताबिक ये लड़कियां उनके साथ नहीं रहती हैं. बल्कि दिल्ली के पॉश इलाकों में इन्होंने किराए पर घर लिए हुए हैं. और इन लड़कियों से भी व्हॉटस्एप के जरिए ही सम्पर्क साधा जाता है. इस तरीके से उनका काम आसान ही नहीं हो जाता बल्कि उन्हें पुलिस सर्विलांस से भी बचाता है.
वेबसाइट्स पर प्रमोशन
वर्चुअल वर्ल्ड में अपनी जगह बनाने और अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए एस्कॉर्ट एजेंसियों ने अपनी वेबसाइट्स बना ली हैं. जिन पर उनकी सर्विस और सम्पर्क के लिए नंबर भी मौजूद रहते हैं. गूगल सर्च के दौरान इस तरह की सैंकड़ों एजेंसियों के नाम आसानी मिल जाते हैं.
पॉश इलाकों में हैं ठिकाने
पुलिस के मुताबिक भले ही इनकी वेबसाइट्स पूरे दिल्ली में प्रचलित हों लेकिन इनके ठिकाने पॉश इलाकों में मौजूद हैं. ये लोग वहीं से ऑपरेट करते हैं. दिल्ली के ग्रेटर कैलाश, लाजपत नगर, साकेत, महिपालपुर, पहाड़गंज, सरिता विहार, करोल बाग, पटपड़गंज, लक्ष्मीनगर, पीतमपुरा और जनकपुरी से ये धंधा ऑपेरट होता है.
छात्राओं से लेकर मॉडल तक
इस धंधे में कीमत लड़कियों के प्रोफाइल के हिसाब से तय की जाती है. ये एजेंसिया एस्कॉर्ट के नाम पर छात्राओं से लेकर अभिनेत्रियों, एयर होस्टेस और मॉडल्स को भी उपलब्ध कराती हैं. सामान्य तौर पर एक रात के लिए इनकी फीस दो हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक हो सकती है. इनकी कीमत यानी फीस प्रोफाइल पर निर्भर करती है.
ट्वीटर हैंडल का इस्तेमाल भी
ये एजेंसियां व्हॉटस्एप के अलावा ट्वीटर का भी इस्तेमाल करती हैं. ट्वीटर के जरिए ही ये एजेंसियां अपनी सर्विस और नई लड़कियों की जानकारी को शेयर करती हैं. दिल्ली एंजिल्स नाम की एस्कोर्ट एजेंसी के ट्वीटर पर 1700 फॉलोअर हैं. ये एजेंसी अपने ट्वीटर हैंडल पर दिल्ली और एनसीआर में उनके साथ काम करने वाली लड़कियों की जानकारी भी साझा करती है.
जैसी जरूरत वैसी लड़की
साउथ दिल्ली के पॉश इलाके हौजखास से काम करने वाली एक एस्कोर्ट एजेंसी का दावा है कि उनके पास कई तरह की लड़किया मौजूद हैं. खुद का नाम पूजा बताने वाली एजेंट ने बताया कि उनके पास छात्राएं, गृहणी, अभिनेत्री और मॉडल्स एस्कोर्ट के तौर पर मिल जाती हैं. आपको जिस तरह की ज़रूरत हो आप बता दें, हम उनकी तस्वीरें आपको भेज देंगे.
ऑनलाइन कैटलॉग और डोर टू डोर सर्विस
जो लड़कियां इन एजेंसियों के साथ काम करती हैं, उनके प्रोफाइल और कैटलॉग ऑनलाइन भी मौजूद रहते हैं. एजेंसिया इस काम को आसान और सुरक्षित बनाने के लिए डोर टू डोर सर्विस भी उपलब्ध कराती हैं. एजेंट लड़कियों को कैब और टैक्सी के जरिए भेजते हैं.
पुलिस करती है निगरानी का दावा
दिल्ली पुलिस के साइबर सेल के अधिकारी भी मानते हैं कि इस धंधे में शामिल लोगों ने ऑनलाइन भी अच्छी पकड़ बना ली है. वे तकनीक का बहुत इस्तेमाल करने लगे हैं. वे कहते हैं कि जब भी हमें इस तरह की शिकायत मिलती है. या कुछ आम लड़कियों की तस्वीरों को गलत तरीके से फेसबुक पर पोस्ट कर दिया जाता है. तब हम ट्वीटर या फेसबुक से उन्हें हटाने के लिए कहते हैं. पुलिस इस तरह की वेबसाइट्स की निगरानी करने का दावा करती है लेकिन नतीजे कुछ खास नहीं हैं.