दिल्ली पुलिस ने साइबर ठगों के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया है. इस मामले में पुलिस ने बिहार और झारखंड से छह ठगों को गिरफ्तार किया है. ये जालसाज कमीशन के आधार पर अपने बैंक खाते बेच देते थे. लोगों को ठगते थे. आरोपियों की पहचान रौशन कुमार शुक्ला, शिवेंद्र कुमार, तुषार करमाकर, सागर करमाकर, राहुल पात्रो और राजू पात्रो के रूप में हुई है.
पुलिस के मुताबिक, शिकायतकर्ता ने ऑनलाइन एक विज्ञापन देखा था, जिसमें कोई व्यक्ति अपने बीमार रिश्तेदार के लिए वित्तीय मदद मांग रहा था. उस पोस्ट के नीचे उसका संपर्क विवरण भी दिया गया था. पिछले साल 2 दिसंबर को महिला को एक अज्ञात नंबर से कॉल आया. कॉल करने वाले ने महिला से कहा कि उसके रिश्तेदार को इलाज के लिए पैसे की जरूरत है.
पुलिस उपायुक्त (दक्षिण-पश्चिम) रोहित मीना ने बताया कि उसने फिर उस महिला को कॉल किया और बताया कि उसका दोस्त रौशन कुमार शुक्ला उसे फोन करेगा. कुछ समय बाद शिकायतकर्ता को दूसरे मोबाइल नंबर से व्हाट्सएप कॉल आया. उसने 3 दिसंबर को मदद के तौर पर 3 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए. लेकिन बाद में आरोपियों ने अपना मोबाइल फोन बंद कर दिया.
इस मामले में शिकायत के आधार पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी. अकाउंट ट्रेस करने के बाद पता चला कि करीब 36 लाख रुपए कई बैंक खातों में भेजे गए हैं. इसके बाद रौशन कुमार को बिहार के बेतिया से गिरफ्तार किया गया. पूछताछ के दौरान उसने खुलासा किया कि बैंक खाते की सारी जानकारी शिवेंद्र कुमार को दिया था.
वो लोग कमिशन देकर लोगों के बैंक खाते का ठगी के पैसों को ट्रांसफर करने के लिए इस्तेमाल करते थे. इसके बाद 23 मई को शिवेंद्र कुमार को भी गिरफ्तार कर लिया गया. इस मामले में सह-आरोपी मंटू ठाकुर और विकास ठाकुर अभी भी फरार हैं. 27 जून को अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिन्होंने खुलासा किया कि उन्होंने कमीशन के आधार पर अपने खाते की जानकारी दी थी.
बताते चलें कि देश में बीते कुछ वर्षों के दौरान फाइनेंशियल फ्रॉड के मामलों में तेजी आई है. लोकलसर्किल्स के एक ताजा सर्वे में दावा किया कि बीते 3 साल में 47 फीसदी भारतीयों ने एक या ज्यादा फाइनेंशियल फ्रॉड का अनुभव किया है. यानी कि देश की आधी आबादी इस वक्त साइबर ठगों की पहुंच में हैं. किसी न किसी तरह से ठग लोगों को चूना लगा रहे हैं.
इस सर्वे में ये भी कहा गया कि इनमें यूपीआई और क्रेडिट कार्ड से जुड़ी फाइनेंशियल फ्रॉड सबसे आम हैं. आधे से ज्यादा लोगों को क्रेडिट कार्ड पर अनऑथराइज्ड चार्ज लगाए जाने का सामना करना पड़ा है. सर्वे में पिछले 3 साल का डेटा शामिल है. इस आधार पर लोकलसर्किल्स ने कहा है कि 10 में से 6 भारतीय फाइनेंशियल फ्रॉड की सूचना रेगुलेटर्स या लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियों को नहीं देते हैं.
सर्वे में शामिल लोगों में से 43 फीसदी ने क्रेडिट कार्ड पर फ्रॉड वाले ट्रांजैक्शन की बात कही है. 36 फीसदी ने कहा कि उनके साथ फ्रॉड वाला ट्रांजैक्शन हुआ है. क्रेडिट कार्ड फ्रॉड के बारे में 53 फीसदी लोगों ने अनऑथराइज्ड चार्ज के बारे में बात की है. वहीं आरबीआई के डेटा की बात करें तो 2023-24 में फ्रॉड के मामले 166 फीसदी बढ़ोतरी के साथ 36 हजार से भी ज्यादा रहे हैं.