बीजेपी की तरफ से लगाए गए टूलकिट के आरोप के खिलाफ कांग्रेस की तरफ से दर्ज कराई गई शिकायत के मामले में जांच के दौरान दिल्ली पुलिस को कुछ दिलचस्प तथ्य मिले हैं. सरकार के सूत्रों के मुताबिक जांच में केवल यही सामने नहीं आया है कि ट्विटर इंडिया के लिंक अमेरिका की पेरेंट कंपनी से जुड़े हैं बल्कि यह भी पता चला है भारतीय कानून लागू करने वाली संस्थाओं को गुमराह करने के लिए कॉरपोरेट के नाम पर नकाब का एक गहरा जाल भी बुना गया है.
सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि पात्रा के ट्वीट को मैनिपुलेटेड मीडिया बताए जाने के कारण और तथ्य को लेकर भेजे गए नोटिस पर ट्विटर के टालने वाले जवाब के बाद दिल्ली पुलिस की टीम ने ट्विटर इंडिया के एमडी मनीष महेश्वरी से पूछताछ की थी. सूत्रों के मुताबिक दिल्ली पुलिस बीते 31 मई को बेंगलुरु गई थी और मनीष महेश्वरी से कई सारे सवाल किए थे.
यह पूछताछ ऐसे में की गई जब दिल्ली पुलिस ने महेश्वरी के यहां जाकर पूछताछ करने की पेशकश की थी जिसके बाद 27 मई को एक ईमेल के जरिए महेश्वरी ने पुलिस को अपना बेंगलुरु का पता दिया था, जहां वह निजी तौर पर जांच में सहयोग के लिए राजी थे.
एक सीनियर सरकारी सूत्र ने कहा कि ट्विटर के दरवाजे से ही मैनिपुलेशन शुरू हो जाता है. ट्विटर को अपने कर्मचारियों का फैक्ट चेक करना शुरू कर देना चाहिए. ट्विटर इंडिया के सीनियर कर्मचारी को एमडी बताया गया जबकि जब उनसे इस मामले में जिम्मेदारी लेने को कहा गया तो उन्होंने खुद को सेल्स हेड बताया था.
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इंडिया टुडे को मिली जानकारी के मुताबिक सूत्रों का कहना है कि ट्विटर इंडिया के एमडी ने अपने पूछताछ में दिल्ली पुलिस को बताया कि टीसीआईपीएल के सबसे वरिष्ठ अधिकारी और बाहरी रूप से कंपनी के एमडी के रूप में जाने जाने के बावजूद, उन्हें निदेशकों और उनके विवरणों के बारे में पता नहीं था. वह इस संबंध में मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स के रिकॉर्ड से जानकारी लेते थे. दिल्ली पुलिस और गहन जांच कर रही है और पता लगाने की कोशिश कर रही है कि ट्विटर हेड के इतने बड़े पद पर होने के बावजूद उन्होंने अपनी टीम के बारे में इतनी कम जानकारी होने की बात कैसे कह दी.
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