गुजरात पुलिस ने अहमदाबाद से एक शख्स को गिरफ्तार किया है जो कंबोडिया के अंतरराष्ट्रीय गिरोह के लिए लोगों को 'डिजिटल अरेस्ट' करवाने में कॉलर के रूप काम करता था. आरोपी मुंबई का रहने वाला है जो कुछ समय पहले दक्षिण-पूर्व एशियाई देश से भारत लौटा था.
सीआईडी के राज्य साइबर अपराध प्रकोष्ठ के एक अधिकारी ने बताया कि यह पहली बार है कि गुजरात सीआईडी (अपराध) ने राज्य में ‘डिजिटल अरेस्ट’ घोटाले से जुड़े किसी कॉल करने वाले आरोपी को पकड़ा है.
उन्होंने बताया कि यह पता चला है कि आरोपी चेतन कोकरे (26) कुछ महीने पहले कम्बोडिया गया था और चीनी और कम्बोडियाई नागरिकों द्वारा चलाए जा रहे एक गिरोह में शामिल हो गया था. यह भारत, पाकिस्तान और नेपाल से लोगों को ईडी, सीबीआई, पुलिस या सीमा शुल्क का फर्जी अधिकारी बनने के लिए गिरोह से जोड़ता था, ताकि ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर अनजान व्यक्तियों से पैसे वसूले जा सकें.
कंबोडिया पैसा कमाने गया था आरोपी
कि कोकरे ने दावा किया कि वह मुंबई में एमबीए कर रहा है और ऐसा प्रतीत होता है कि वह जल्दी पैसे कमाने के लिए कंबोडिया गया था जहां जाकर वह साइबर अपराधियों के एक गिरोह में शामिल हो गया. पुलिस अधीक्षक (सीआईडी अपराध) धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि इस बात की विशेष सूचना मिली थी कि कोकरे भारत लौट आया है और फिलहाल मुंबई में रह रहा है. इसके बाद गुजरात सीआईडी ने मुंबई पुलिस की मदद से उसे कोलाबा इलाके से गिरफ्तार कर लिया और बृहस्पतिवार को यहां ले आई.
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शर्मा ने बताया, "करीब तीन महीने पहले, अहमदाबाद में रहने वाले एक कामकाजी पेशेवर को शख्स का फोन आया, जिसने खुद को एक कूरियर फर्म का कार्यकारी बताया. उसने पीड़ित को बताया कि उसके नाम से बुक किया गया एक पार्सल पुलिस ने जब्त कर लिया है, क्योंकि उसमें ड्रग्स और पासपोर्ट थे. कॉल करने वाले ने पीड़ित को मुंबई साइबर क्राइम से बात करने के लिए कहा."
इसके बाद कॉल करने वाले ने अहमदाबाद निवासी शख्स से पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए मुंबई साइबर क्राइम अधिकारियों से बात करने के लिए कहा. शर्मा ने बताया कि जब पीड़ित सहमत हो गया, तो कॉल करने वाले ने वीडियो कॉल को दूसरे व्यक्ति से जोड़ा, जिसने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का डीसीपी मिलिंद बारमडे बताया.
गुजराती व्यवसायी से ठगे 4 करोड़
एसपी शर्मा ने कहा, "पुलिस की वर्दी पहने हुए फर्जी डीसीपी ने पीड़ित को झूठे मामले में फंसाने की धमकी दी. पीड़ित को आरोपियों ने 10 दिनों तक 'डिजिटल अरेस्ट' किए रखा और मामले को निपटाने के लिए अपने बैंक खातों में 4 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया. ठगे जाने का एहसास होने पर पीड़ित ने हाल ही में हमसे संपर्क किया."
तकनीकी इनपुट और निगरानी के आधार पर, सीआईडी ने कॉल करने वाले की पहचान मुंबई निवासी कोकरे के रूप में की, जिसने खुद को कूरियर फर्म का अधिकारी बताया और उसे गिरफ्तार कर लिया. शर्मा ने कहा कि प्रारंभिक पूछताछ के दौरान, आरोपी ने दावा किया कि वह एमबीए कर रहा है और पैसे कमाने के लिए कंबोडिया गया था. इसके बाद वह करीब पांच महीने पहले चीनी और कंबोडियाई नागरिकों द्वारा संचालित एक अंतरराष्ट्रीय आपराधिक गिरोह में शामिल हो गया.
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एसपी ने कहा, "उसने दावा किया कि गिरोह ने उसे पांच महीने में 10 लाख रुपये दिए. उसके मोबाइल फोन में एक वीडियो से पता चला कि कंबोडिया की एक इमारत से करीब 50 लोग यह रैकेट चला रहे हैं. गिरोह ने भारतीयों, पाकिस्तानियों और नेपालियों को पुलिस और अन्य सरकारी अधिकारियों के रूप में पेश करने के लिए काम पर रखा है."