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कंबोडिया में हैंडलर, छत्तीसगढ़ में ठग और चीनी कनेक्शन... ऐसे हुआ इंटरनेशनल साइबर क्राइम सिंडिकेट का भंडाफोड़

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में एक इंटरनेशनल साइबर क्राइम सिंडिकेट का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है. इसके साथ ही इस गिरोह में शामिल चार लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इन लोगों ने कंबोडिया स्थित ठगों को कई बैंक अकाउंट मुहैया कराए, जिनमें पीड़ितों से 10 करोड़ रुपए ट्रांसफर कराए गए थे.

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इंटरनेशनल साइबर क्राइम सिंडिकेट का पुलिस ने भंडाफोड़ किया.
इंटरनेशनल साइबर क्राइम सिंडिकेट का पुलिस ने भंडाफोड़ किया.

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में एक इंटरनेशनल साइबर क्राइम सिंडिकेट का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है. इसके साथ ही इस गिरोह में शामिल चार लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इन लोगों ने कंबोडिया स्थित ठगों को कई बैंक अकाउंट मुहैया कराए, जिनमें पीड़ितों से 10 करोड़ रुपए ट्रांसफर कराए गए थे. पुलिस ने ऐसे 50 बैंक अकाउंट्स को चिन्हित किया है. गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल और समन्वय पोर्टल ने इसकी पुष्टि की है.

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पुलिस अधीक्षक मोहित गर्ग ने बताया कि गुजरात के वलसाड निवासी श्रेणिक कुमार संघवी (24) इन बैंक अकाउंट्स का संचालन करता था. उसने उनमें जमा पैसों को हवाला और क्रिप्टोकरेंसी के जरिए अंतरराष्ट्रीय ठगों को ट्रांसफर किया. गिरफ्तार किए गए अन्य तीन लोग आशुतोष शर्मा, शुभम तिवारी (26) और दीपक नारेडी (27) सभी राजनांदगांव जिले के मूल निवासी हैं. इस ठगी का खुलासा राजनांदगांव में एक बैंक खाते से अवैध लेनदेन के बाद हुआ है.

इन आरोपियों ने नागरिक सेवा वितरण केंद्र चलाने वाले रूपेश साहू के बैंक खाते का इस्तेमाल किया था. 23 जनवरी को पीड़ित ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके खाते को बैंक ने फ्रीज कर दिया है, क्योंकि उनके मित्र आशुतोष शर्मा ने धोखाधड़ी के जरिए एकत्रित धन से संबंधित कई लेन-देन के लिए इस खाते का इस्तेमाल किया था. इसके बाद आशुतोष शर्मा के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई. फिर पुलिस ने उसे पूछताछ के लिए बुलाया. 

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एसपी ने बताया कि आशुतोष शर्मा ने पूछताछ में खुलासा किया कि गुजरात के सांघवी उर्फ ​​अजय मेहर के कहने पर शुभम तिवारी और दीपक नारेडी ने रुपेश साहू के साथ उनके परिवार के अन्य सदस्यों के बैंक खाते ठगी की रकम ट्रांसफर करने के लिए उपलब्ध कराए. सांघवी को 25 जनवरी को वलसाड से गिरफ्तार किया गया और राजनांदगांव लाया गया. उसने खुलासा किया कि वो पिछले साल जून में अपने सहयोगियों के साथ कंबोडिया गया था.

वे वहां एक कैसीनो से संचालित कॉल/स्कैम सेंटर गए थे. वहां एक सप्ताह तक रहे और कंबोडिया में ठगो को भारतीयों के बैंक खाते उपलब्ध कराए, जिन्होंने कुछ चीनी नागरिकों के साथ मिलकर भारतीयों को ठगा. इसके बाद संघवी भारत लौट आया. उसने अन्य आरोपियों के संपर्क में किया, जिन्होंने बैंक खातों, चेकबुक, एटीएम कार्ड, पंजीकृत मोबाइल नंबरों का विवरण दिया. कंबोडिया स्थित ठगों ने लोगों को ऑनलाइन ठगने के बाद खातों में पैसे ट्रांसफर किए.

संघवी ने इन खातों से नकद, चेक और यूपीआई के रूप में पैसे निकाले और इसे क्रिप्टोकरेंसी में बदलने या हवाला के माध्यम से अपने कंबोडियाई हैंडलर को ट्रांसफर कर दिया. उसको ट्रांसफर की गई राशि पर 8 से 9 प्रतिशत कमीशन मिला, जबकि आशुतोष शर्मा को 4 प्रतिशत कमीशन मिला. दो अन्य आरोपियों को प्रति खाते पर 35 हजार रुपए तक दिए गए. जांच के अनुसार, आरोपियों ने 50 बैंक खातों में 10 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए, जिसकी पुष्टि हो गई है.

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