पंजाब के पटियाला की नाभा जेल के अंदर हाई सिक्योरिटी सेल से दो कैदी भारत सरकार के नाम से एक फर्जी वेबसाइट (Fake Website) चला रहे थे. इतना ही नहीं, इस वेबसाइट को चलाने वाले कोई और नहीं, बल्कि वो दो कैदी थे जिन्हें नाभा जेल ब्रेक केस (Nabha Jail Break Case) में आरोपी बनाया गया है. नवंबर 2016 में नाभा जेल पर 15 हमलावरों ने हमला कर दिया था और 6 कैदी यहां से भाग गए थे.
इनकी पहचान कुरुक्षेत्र निवासी अमन उर्फ अरमान और लुधियाना निवासी सुनील कालरा के रूप में हुई थी. दोनों आरोपी इस वक्त नाभा जेल में हाई सिक्योरिटी सेल में कैद है. दोनों का आपराधिक रिकॉर्ड रहा है और दोनों पर धोखाधड़ी जैसे कई मामले दर्ज हैं. आरोपी अमन (Aman) का ट्रायल अभी चल रहा है जबकि सुनील कालरा (Sunil Kalra) मर्डर केस (Murder Case) के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है.
दोनों ने sdrfindia.org के डोमेन से एक SDRF के नाम से फर्जी वेबसाइट बनाई और लोगों को ठगने की साजिश रची. इस वेबसाइट को सरकारी वेबसाइट दिखाने के लिए दावा किया गया कि ये वेबसाइट गृह मंत्रालय (Ministry of Home affairs) के अधीन है. पंजाब पुलिस (Punjab Police) के अनुसार, दोनों SDRF में नौकरी लगवाने के नाम पर भोलेभाले लोगों से पैसे ऐंठना चाहते थे.
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वेबसाइट को असली दिखाने की कोशिश
दोनों को एक बार फिर से हाई सिक्योरिटी जेल से फर्जी सरकारी वेबसाइट चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. पुलिस को जेल के अंदर से स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (SDRF) के नाम से फर्जी वेबसाइट चलाए जाने की जानकारी मिली थी. sdrfindia.org को लोगों को ठगने के इरादे से ही बनाया गया था.
दोनों ने भारत सरकार के प्रतीकों का गलत तरीके से इस्तेमाल किया और NDRF की वेबसाइट ndrf.gov.in की कॉपी की गई. इसमें नरेंद्र सूद को DG बताया गया. इस वेबसाइट में एम्प्लॉय कॉर्नर, जॉब अपॉर्च्युनिटी, टेंडर्स, ऑनर्स एंड अवॉर्ड्स और RTI की भी लिंक थी.
FIR दर्ज, एक आरोपी फरार
पटियाला के एसएसपी संदीप कुमार गर्ग ने आजतक से फोन पर बात करते हुए बताया कि मामले में FIR दर्ज कर ली गई है और दो को गिरफ्तार कर लिया गया है. अभी भी कम से कम एक आरोपी फरार है.
संदीप गर्ग ने बताया कि "ये चिंताजनक है कि दोनों एक बड़ा घोटाला और भर्ती करने के इरादे से एक सरकारी ऑर्गनाइजेशन के नाम से वेबसाइट बना सकते हैं. दोनों SDRF में भर्ती के बहाने लोगों से पैसे ऐंठने की फिराक में थे." उन्होंने ये भी बताया कि जेल तक उनके फोन कैसे पहुंचा और उन्होंने वेबसाइट कैसे तैयार की, इसकी जांच की जाएगी.
वहीं, पंजाब पुलिस के एक और सीनियर अधिकारी ने बताया कि दोनों लोगों से 500-500 रुपये ठगने की प्लानिंग कर रहे थे, जो एक बड़ा भर्ती घोटाला हो सकता था.
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महिला ने की वेबसाइट बनाने में मदद!
जानकारी के मुताबिक, आरोपियों ने होशियापुर की रहने वाली एक 20 साल की लड़की से मेट्रीमोनियल वेबसाइट (matrimonial website) के जरिए संपर्क किया. यहां लड़की ने खुद को वेबसाइट डेवलपर बताया था. आरोपियों ने उस लड़की से बात शुरू की. अमन ने खुद को सीबीआई का एक अफसर अविनाश सिंह खत्री बताया, जबकि सुनील ने खुद को सीबीआई का आईजीपी आरके खन्ना बताया. दोनों ने उस लड़की ने SDRF की वेबसाइट बनाने को कहा.
रश्मि वालिया (बदला हुआ नाम) ने अपने भाई रमेश वालिया (बदला हुआ नाम) की मदद ली. रमेश खुद भी एक वेबसाइट डेवलपर है और विंटेज कोडर्स के नाम से एक कंपनी भी चलाता है. भाई-बहन ने Godaddy.com से 900 रुपये में sdrfindia.org डोमेन खरीदा और वेबसाइट को एक साल होस्ट करने के लिए hostathash.com से सर्वर लिया.
जांच में सामने आया कि दोनों भाई-बहन को इसके लिए 75 हजार रुपये मिले थे. उन्हें ये पैसे हिमांशु मक्कड़ उर्फ सैम मक्कड़ ने दी, जो आरोपी सुनील कालरा का भतीजा है. जांच में ये भी सामने आया है कि आरोपी अमन ने जोधपुर निवासी गजेंद्र प्रसाद दिवाकर के खाते में 3.50 लाख रुपये की रकम ट्रांसफर किए थे. आरोपी अमन ने खुद को आईबी का अधिकारी बताकर गजेंद्र प्रसाद दिवाकर से दोस्ती की थी.
भाई-बहन जांच में शामिल, एक की तलाश जारी
हालांकि, जांच में ये भी सामने आया है कि दोनों भाई-बहन इस बात से अनजान थे कि जिन्होंने उनसे संपर्क किया था वो दोनों कैदी थे. इस मामले में आरोपी अमन को 7 जुलाई को और आरोपी सुनील कालरा को अगले दिन गिरफ्तार किया गया था. उनके पास से मोबाइल फोन और सिम बरामद कर लिए गए हैं. हिमांशु कक्कड़ को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया है और वो अभी फरार चल रहा है. वहीं, दोनों भाई-बहन जांच में शामिल हो गए हैं.