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सिम स्वैप फ्रॉड: पुणे के शख्स ने गंवाए 93.5 लाख रुपये

सिम कार्ड में यूजर डेटा स्टोर होता है और ये यूजर को ऑथेन्टिकेट करते हैं इसलिए बना सिम के आप किसी नेटवर्क से कनेक्ट नहीं हो सकते. सिम स्वैप फ्रॉड में सिम का इस्तेमाल होता है और इसके लिए इसकी सबसे बड़ी कमजोरी प्लेटफॉर्म एग्नोस्टिसिज्म को निशाना बनाया जाता है.

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Representational Image
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पुणे के रहने वाले दिनेश कुकरेजा सिम स्वैप फ्रॉड के शिकार हुए हैं. इससे पहले इसी तरह के एक फ्रॉड में दिल्ली के एक शख्स ने 13 लाख रुपये गंवाए थे. सिम स्वैप फ्रॉड के जरिए हैकर्स बैंक अकाउंट से लिक्ड सिम ऐक्सेस करके पैसे उड़ाते हैं.

HT की एक रिपोर्ट के मुताबिक पुणे के दिनेश कुकरेजा के पास एक कॉल आई और कहा गया कि ये एयरटेल की तरफ से है. कॉलर ने सिम की जानकारी मांगी और ऐसा न करने पर सिम बंद डिऐक्टिवेट होने की बात कही. कुकरेजा ने सिम कार्ड की डीटेल्स शेयर कर दी जो बैंक अकाउंट से जुड़ा था.

इसके बाद कॉलर ने कुकरेजा से वो मैसेज फॉर्वर्ड करने को कहा जो उनके मोबाइल पर मिला था. इस आधार पर कॉलर ने उसी फोन नंबर का नया सिम लिया और इससे उसे कुकरेजा के बैंक अकाउंट की डीटेल्स भी पता चल गई जिससे वो लिंक किया गया था. इसके लिए जाहिर है कई तरह के टूल्स और ट्रिक्स का यूज किया गया होगा.

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कुछ ही समय में कुकरेजा को पता चला कि उनके बैंक अकाउंट से 93.5 लाख रुपये ट्रांसफर कर लिए गए हैं. इसके बाद उन्होंने भारतीय विद्यापीठ थाने में धारा 420 और 419 के तहत मुकदमा दर्ज किया.

इसी बीच इस मामले की जांच कर रहे इंस्पेक्टर विष्णु ताम्हने ने लोगों से कहा है कि अपनी पर्सनल जानकारी या ओटीपी पासवर्ड किसी के साथ शेयर न करें. खास कर किसी अनजान कॉलर्स को भूल कर भी ओटीपी न दें. कोई भी बैंक या किसी मोबाइल कंपनी का कर्मचारी कस्टमर से पर्सनल डीटेल्स नहीं मांग सकता है.

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