देश भर में आए दिन खाद्य पदार्थों से लेकर अनेक वस्तुओं में मिलावट की खबरें आना तो आम हो चुकी हैं लेकिन मुनाफाखोरों ने अब कोरोना महामारी में मरीजों को दिए जाने वाले प्लाज्मा में भी मिलावट कर लोगों की जान के साथ खिलवाड़ शुरू कर दिया है. मध्य प्रदेश के ग्वालियर में ऐसे ही एक रैकेट का पर्दाफाश हुआ है. विशेषज्ञों की माने तो प्लाज्मा में मिलावट मौत की गारंटी है.
दूध में मिलावट, मिठाइयों में मिलावट, घी में मिलावट से भी मुनाफाखोरों का मन नहीं भरा तो उन्होंने कोरोना जैसी गंभीर बीमारी को भी मुनाफाखोरी का जरिया बना लिया. जिस प्लाज्मा को कोरोना की बीमारी से जूझ रहे मरीजों की जान बचाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, वही प्लाज्मा एक मरीज की मौत का कारण बन गया. हैरान कर देने वाला यह मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर में सामने आया है, यहां पुलिस ने जब एक ब्लड बैंक के कर्मचारी को गिरफ्तार किया तो मिलावटी प्लाज्मा के एक ऐसे रैकेट का पर्दाफाश हो गया जिसके बारे में जानकर खुद पुलिस भी हैरान रह गई.
दरअसल, 10 दिसंबर को ग्वालियर के अपोलो अस्पताल में भर्ती दतिया के एक कारोबारी मनोज गुप्ता की प्लाज्मा चढ़ाने के बाद मौत हो गई थी. मनोज गुप्ता 3 दिसंबर को अस्पताल में भर्ती हुए थे. 7 दिसंबर को डॉक्टरों ने मनोज के परिजनों को बताया कि उन्हें प्लाज्मा थेरेपी देनी होगी. 8 दिसंबर को परिजन बाजार से प्लाज्मा लेकर आए और डॉक्टरों ने मनोज गुप्ता को प्लाज्मा चढ़ाना शुरू कर दिया.
परिजनों को बकायदा ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल के ब्लड बैंक की रसीद और क्रॉस मैच रिपोर्ट दी गई थी. प्लाज्मा चढ़ाने के दौरान मनोज गुप्ता की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट करना पड़ा. 10 दिसंबर को मनोज गुप्ता की मौत हो गई. इसी दिन उनके परिजन प्लाज्मा की क्रॉस मैच रिपोर्ट और रसीद लेकर जयारोग्य अस्पताल पहुंचे तो मालूम चला कि वहां से प्लाज्मा दिया ही नहीं गया. इसके बाद परिजन पुलिस थाने पहुंचे और मामले की जांच को लेकर ज्ञापन सौंपा.
11 दिसंबर को स्वास्थ्य विभाग ने प्लाज्मा जब्त कर इसे जांच के लिए भेजा जिसकी रिपोर्ट 12 दिसंबर को आई. रिपोर्ट में पाया गया कि प्लाज्मा में मिलावट की गई है. दूसरी तरफ मनोज के शव की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी इस बात की जानकारी मिली कि खून में इन्फेक्शन हुआ था. इसके बाद पुलिस ने जांच का दायरा बढ़ाया और अपोलो अस्पताल के सिक्योरिटी गार्ड भदकारिया को हिरासत में लिया. पूछताछ के दौरान उसने एक निजी अस्पताल के कर्मचारी महेश मौर्य के बारे में बताया. उसे हिरासत में लेकर पूछताछ में राधास्वामी ब्लड बैंक के देवेंद्र गुप्ता, अजय त्यागी और मनीष त्यागी की भूमिका सामने आई.
पुलिस ने सभी को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो पता चला इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड अजय त्यागी है जिसने कोरोना में प्लाज्मा की अहमियत को देखते हुए प्लाज्मा में मिलावट कर मुनाफा कमाना शुरू किया. पुलिस ने इनके कई ठिकानों पर छापा मारकर जयारोग्य अस्पताल के ब्लड बैंक की फर्जी सीलें, प्लाज्मा भरने के लगभग 200 बैग, डिस्टिल्ड वाटर, नॉरमल सलाइन, रेड क्रॉस की नकली रसीदें, जयारोग्य अस्पताल की क्रॉस मैचिंग रिपोर्ट, प्लाज्मा पैकिंग का सामान बरामद किया है.
एसपी अमित सांघी ने बताया कि पूछताछ में अजय त्यागी ने पुलिस से अपना जुर्म कबूला है. साथ ही उसने बताया कि वह कैसे प्लाज्मा में मिलावट कर मुनाफा कमाता था. हालांकि, विशेषज्ञों की माने तो प्लाज्मा में मिलावट के गंभीर परिणाम मरीज को भुगतने होते हैं और इससे मरीज की मौत भी हो जाती है, ग्वालियर में भी यही हुआ. भोपाल एम्स के डायरेक्टर डॉ रमन सिंह ने आज तक से बात करते हुए बताया कि प्लाज्मा में मिलावट के कारण किडनी फेल हो जाती है क्योंकि ब्लड सेल शरीर की एक खास ग्रेविटी में ही काम कर पाते हैं. लेकिन इसमें मिलावट से हिमोलाईसिस होता है जिसके कारण गुर्दे काम करना बंद कर देते हैं और मरीज की मौत हो जाती है.