चार साल पहले मर चुके किसी व्यक्ति के नाम पर सरकारी कल्याण योजना से आवास सहायता राशि का आवंटन हो, और फिर वही ‘मृतक’ अपने नाम से बैंक में आवास निर्माण के लिए पहली किस्त के तौर पर आई रकम को निकलवा भी ले, ऐसा ही कुछ झारखंड में हुआ है. झारखंड के गढ़वा में एक ऐसे शख्स के नाम प्रधानमंत्री आवास योजना से आवास निर्माण सहायता राशि का आवंटन हुआ जिसकी 2016 में ही मृत्यु हो चुकी है. यही नहीं इस आवास के निर्माण के लिए पहली किस्त बैंक में आई तो उसे भी फर्जीवाड़े के जरिए शातिरों ने निकलवा भी लिया. (रिपोर्ट- सत्यजीत कुमार)
दरअसल, कहानी ये है कि धनेसर राम के शख्स ने प्रधानमंत्री आवास योजना से आवास निर्माण के लिए सहायता राशि का आवेदन किया था. लेकिन उनकी 2016 में मौत हो गई. जनवरी 2017 में धनेसर राम का नाम लाभार्थियों में आ गया. वर्ष 2020-21 में मार्च में धनेसर राम के नाम से 1.30 लाख रूपए की आवास सहायता राशि मंजूर भी हो गई. इस रकम से पहली किस्त पंजाब नेशनल बैंक की शाखा में जेएच-1197292 की आईडी में ट्रांसफर हुई. 20 अक्टूबर 2020 को इस खाते से 40,000 रुपए की रकम निकाल ली गई. सवाल ये भी है कि जब कोई व्यक्ति मर जाता है तो उसका खाता क्लोज कर दिया जाता है. फिर ये खाता जालसाजों ने कैसे दोबारा एक्टिवेट कराया?
ये जब सब हो रहा था तो धनेसर राम के परिवार को इसकी भनक भी नहीं लगी. किसी तरह धनेसर राम के पोतों- कल्लू राम और अजय तक इस हेराफेरी की जानकारी पहुंची तो वो हैरान रह गए. उन्होंने इस पूरे प्रकरण की लिखित शिकायत ब्लॉक डेवेलपमेंट ऑफिसर (बीडीओ) से की. शिकायत में कहा गया कि उनके दादा का निधन चार साल पहले ही हो चुका है और उनके नाम पर पीएम आवास योजना के तहत आवास के लिए सहायता राशि का आवंटन हुआ और बैंक से पैसे भी निकाले गए.
जिले के मुख्यालय में बैठे प्रशासनिक अधिकारियों को जैसे ही इस मामले की जानकारी मिली तो हड़कंप मच गया. प्रभारी जिलाधिकारी अनिल क्लोमेंट (जो डिस्ट्रिक्ट रूरल डेवेलपमेंट अथॉरिटी DRDA के निदेशक भी हैं) ने इस मामले की जांच का जिम्मा बीडीओ को सौंपा है.
ये घटना अपने आप में कई सवाल उठाती है. जांच का नतीजा आने पर ही दूध का दूध और पानी का पानी होगा. लेकिन सवाल उठता है कि क्या इस तरह की जालसाजी से बड़े पैमाने पर सरकारी खजाने को चूना तो नहीं लगाया जा रहा? कहीं शातिर लोग कहीं कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की साठगांठ से तो इस गोरखधंधे को अंजाम तो नहीं दे रहे.