ओडिश में एक महिला पुलिस अधिकारी को आदिवासी समुदाय की एक प्रेग्नेंट महिला के साथ अमानवीय बर्ताव करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है. इस प्रेग्नेंट महिला को पुलिस स्टेशन तक जाने के लिए तीन किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर किया गया.
(फोटो- मोहम्मद सूफ़ियान)
दरअसल, मयूरभंज जिले के सराट पुलिस स्टेशन के तहत मटकामी साही गांव निवासी बिक्रम बिरूली बाइक से आठ महीने की गर्भवती पत्नी को उडाला में अल्ट्रासाउंड चेकअप के लिए ले जा रहा था. तब पत्नी ने हेलमेट नहीं पहन रखा था. रास्ते में चेकिंग के दौरान इन्हें रोक गया. उस वक्त सराट पुलिस स्टेशन की ऑफिसर इंचार्ज रीना बक्सल भी वहां मौजूद थीं.
चालान काटकर बिक्रम को जुर्माना भरने के लिए कहा गया. इस पर बिक्रम ने कहा कि उसके पास पैसे नहीं हैं और वो प्रेग्नेंट पत्नी को चेकअप के लिए ले जा रहा है. उसने ये भी कहा कि आप चालान काटकर दे दीजिए, बाद में आरटीओ में जमा कर दूंगा. लेकिन उसकी एक नहीं सुनी गई और उसे गाड़ी में बिठाकर पुलिस स्टेशन ले जाया गया. पत्नी वहीं खड़ी रही. काफी देर इंतजार करने के बाद प्रेग्नेंट महिला ने पुलिस स्टेशन की ओर चलना शुरू कर दिया. तीन किलोमीटर चलने के बाद वो पुलिस स्टेशन पहुंची.
हैरानी की बात है कि महिला होकर भी पुलिस अधिकारी ने प्रेग्नेंट महिला की हालत को नहीं समझा. उसे तपती धूप में तीन किलोमीटर चलना पड़ा. बिक्रम ने बताया, “मैंने पुलिस अधिकारी से पत्नी को भी साथ गाड़ी में बिठाने के लिए कहा था, लेकिन उसे नहीं बिठाया गया. मुझे थाने में लॉकअप में तीन घंटे तक बंद रखा गया.”
बिक्रम के दावे के मुताबिक उसके पास बाइक के सारे कागजात मौजूद थे, बस पत्नी ने हेलमेट नहीं पहन रखा था. पीड़िता के पति बिक्रम के आरोपों के आधार पर जांच के बाद मयूरभंज के एसपी परमार समित पुरुषोत्तम दास ने ओआईसी रीना बक्सल को सोमवार को निलंबित कर दिया गया. निलंबन के आदेश में लिखा गया है- "ओआईसी सराट पुलिस स्टेशन को गलत बर्ताव और सर्विस में लापरवाही की वजह से तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है और बारीपदा हेडक्वार्टर से अटैच किया जाता है.”