कानपुर में दलित व्यक्ति को झूठे केस में फंसाने के मामले में सभी 14 आरोपी पुलिसकर्मियों को लाइनहाजिर कर दिया गया है. इसी के साथ ही सभी के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं. वहीं बर्रा एसएचओ और एसीपी गोविंदनगर की भूमिका की भी जांच जारी है. दरअसल बर्रा में एक दलित महिला के घर पर कब्जे के मामले की जांच कर रहे एडीसीपी साउथ मनीष सोनकर की जांच में कई पुलिसकर्मियों को दोषी पाया गया है.
पीड़ित पर ही दर्ज करवा दिया झूठा केस
दरअसल कानपुर के बर्रा इलाके में एक दलित परिवार को एक शख्स और पुलिसकर्मियों द्वारा कथित तौर पर प्रताड़ित करने का मामला सामने आया था. आरोप है कि पीड़िता के पूरे परिवार को पीटा और फिर बेघर कर दिया गया. उस शख्स ने उनके घर पर कब्जा भी कर लिया और तो और पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से खुद उन पर ही चोरी का झूठा मामला दर्ज करवा दिया.
इन पुलिसकर्मियों पर हुई कार्रवाई
इंचार्ज समेत तीन दरोगा, चार हेड कॉन्स्टेबल और सात सिपाहियों को लाइन हाजिर किया. इन सभी के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं. चौकी इंचार्ज आशीष कुमार मिश्रा, ट्रेनी दरोगा राहुल कुमार गौतम व जयवीर सिंह, हेड कांस्टेबल गणेश कुमार, कमलापति, प्रदीप कुमार शिव प्रताप और सिपाही लोकेश कुमार, नवनीत राजपूत, अश्वनी कुमार, भूपेंद्र दीक्षित, नागेंद्र सिंह चौहान, अतुल कुमार व जितेंद्र सिंह पर कार्रवाई की गई है.
संपत्ति को लेकर चल रहा था विवाद
बर्रा निवासी महादेव का उमराव नाम के शख्स से संपत्ति का विवाद था. इसी विवाद के चलते उमराव कुछ लोगों के साथ महादेव के घर में घुस गया और वहां मारपीट करने लगा. इस घटना में महादेव की बेटी के सिर में चोट लग गई. महादेव की शिकायत पर उमराव के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट व डकैती के तहत मामला दर्ज किया गया है. आरोप है कि कब्जे के दौरान पुलिसकर्मियों की मौजूदगी थी. मामले की शिकायत उच्चाधिकारियों तक पहुंची थी. जिसके बाद एडीसीपी साउथ मनीष सोनकर को जांच सौंपी गई थी.
हटाई की डकैती की धारा
एसीपी गोविंद नागसर ने मामले की जांच के बाद प्राथमिकी से डकैती की धाराओं को हटा दिया क्योंकि घटना का वीडियो वायरल होने के बाद मामला किसी और ही इशारा कर रहा था. इतना ही नहीं घटना के कुछ देर बाद ही पुलिस ने महादेव पर चोरी का मामला दर्ज कर लिया.