बिहार-नेपाल सीमा के रक्सौल के रास्ते 23 अबोध बच्चों को शिक्षा दिलाने के नाम पर अवैध रूप से काठमांडू से बिहार के बोधगया लाया जा रहा था. एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने जांच के दौरान बच्चों को रेस्क्यू कर लिया. इस दौरान यूनिट ने दो लोगों को दबोच लिया. बता दें कि एएचटीयू ने चेकिंग पॉइंट पर देखा कि दो लोग 23 बच्चों को ले जा रहे हैं. उनसे पूछताछ की गई तो सामने आया कि आरोपी बच्चों को अवैध रूप से बिहार ले जा रहे थे.
एसएसबी की 47 बटालियन के कमांडेंट प्रियव्रत शर्मा के निर्देशन में एएचटीयू टीम के इंचार्ज इंस्पेक्टर मनोज कुमार शर्मा ने शुक्रवार को इमिग्रेशन चेक पॉइंट के करीब 100 मीटर आगे दो लोगों को बच्चों को ले जाते हुए देखा. इन बच्चों की उम्र 4 से 7 साल के बीच थी. दोनों आरोपियों से पूछताछ की गई तो सामने आया कि बच्चों को अवैध रूप से बिहार के बोधगया ले जाया जा रहा है. मसलन, टीम ने कार्रवाई कर आरोपियों को दबोच लिया. बच्चों को रेस्क्यू कर लिया गया.
एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने बच्चों को नेपाल के एक एनजीओ मैत्यी नेपाल को सौंप दिया. एनजीओ के साथ संयुक्त पूछताछ में सामने आया कि बच्चों को बिहार के बोधगया में शिक्षा के नाम पर ले जा रहे हैं. जब इनसे शिक्षा से संबंधित पत्र की मांग की गई तो इनके पास काठमांडू की गैर-सरकारी मोनेस्ट्री के दो पत्र थे, जिनका नेपाल सरकार में कहीं रजिस्ट्रेशन नहीं था.
जब बोधगया में मोनेस्ट्री के रजिस्ट्रेशन नम्बर के बारे में पूछा तो आरोपी इसकी जानकारी भी नहीं दे पाए. लिहाजा दोनों आरोपियों ने पूछताछ में कबूल किया कि छोटे बच्चों को शिक्षा के नाम पर मोनेस्ट्री बोधगया बिहार में ले जाया जा रहा था. इसकी सूचना नेपाल दूतावास, नेपाल श्रम-मंत्रालय, नेपाल सरकार, बिहार सरकार और भारत सरकार को नहीं दी गई थी.