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पुणे में फर्जी सैन्य भर्ती रैकेट का खुलासा, 3 आरोपी किए गए गिरफ्तार

पुणे में रविवार को एक फर्जी सैन्य भर्ती रैकेट से जुड़े मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. मिलिट्री इंटेलीजेंस, पुणे सिटी क्राइम ब्रांच और पुणे साइबर सेल के एक ज्वाइंट ऑपरेशन में रविवार को एक फर्जी सेना भर्ती रैकेट का भंडाफोड़ किया गया.

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पुणे में हुआ फर्जी सैन्य भर्ती रैकेट का भंडाफोड़ (प्रतीकात्मक तस्वीर)
पुणे में हुआ फर्जी सैन्य भर्ती रैकेट का भंडाफोड़ (प्रतीकात्मक तस्वीर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पुणें में हुआ फर्जी सैन्य भर्ती रैकेट का खुलासा
  • फर्जी रैकेट से जुड़े तीन आरोपी हुए हैं गिरफ्तार
  • 17 लोगों से भर्ती के लिए मांगे थे डेढ़-डेढ़ लाख

पुणे में रविवार को एक फर्जी सैन्य भर्ती रैकेट से जुड़े मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. मिलिट्री इंटेलीजेंस, पुणे सिटी क्राइम ब्रांच और पुणे साइबर सेल के एक ज्वाइंट ऑपरेशन में रविवार को एक फर्जी सेना भर्ती रैकेट का भंडाफोड़ किया गया. जानकारी के मुताबिक एआईपीटी मैदान में कॉमन एंट्रेंस एग्जाम (सीईई) से पहले 3 आरोपियों को पकड़ा गया.

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बीड में फिजिकल टेस्ट को पास कर चुके 17 उम्मीदवारों ने आरोप लगाया है कि वे सेवारत सेना के क्लर्क द्वारा गुमराह किए गए थे कि उन सभी को भारतीय सेना में भर्ती किया जाएगा. उम्मीदवारों को तीनों आरोपियों ने आश्वासन दिया था कि सेना के वरिष्ठ अधिकारी उनकी लिखित परीक्षा को पास करने में उनकी मदद करेंगे.

पुणे में एआईपीटी ग्राउंड्स में सीईई के लिए कुल 2000 उम्मीदवार उपस्थित हुए. एआईपीटी में रविवार की परीक्षा के दौरान फर्जी सैन्य भर्ती घोटाले के बारे में खुफिया जानकारी सैन्य अधिकारियों से प्राप्त हुई थी. सैन्य खुफिया टीम के साथ संयुक्त रूप से कार्रवाई करते हुए, पुणे क्राइम ब्रांच पुलिस यूनिट-2 और 5 अधिकारियों ने 3 संदिग्धों को गिरफ्तार किया है.

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इस मामले में सबसे पहले राजस्थान के अजमेर के रहने वाले एक दलाल वेल सिंह को अज्ञात स्थान से शनिवार की रात को पकड़ा गया था. बाद में उसके सहयोगी और एक सेवारत सैन्यकर्मी नॉन कमीशंड ऑफिसर क्लर्क, पुणे क्राइम ब्रांच द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया.

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इस मामले में जयदेव सिंह परिहार (फौजी क्लर्क) और वेल सिंह रावत और रविंद्र राठौड़ 3 आरोपी हैं. डीसीपी बच्चन सिंह से मिली जानकारी के अनुसार सभी 17 जवान मराठवाड़ा क्षेत्र के हैं और उन्हें भारतीय सेना में जवान के रूप में भर्ती कराने का वादा किया गया था. इसके बदले में हर एक से डेढ़-डेढ़ लाख रुपये की रकम मांगी गई थी.

 

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