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दरिंदगी के 15 दिन बाद मौत, लापरवाह पुलिस और सीबीआई जांच... हाथरस केस में 900 दिन की कहानी 

14 सितंबर 2020 को हाथरस के बूलगढ़ी गांव की 19 साल की दलित लड़की के साथ चार लोगों ने कथित तौर पर गैंगरेप किया.लड़की का दिल्ली में इलाज के दौरान निधन हो गया और यह आरोप लगाया गया कि 29 और 30 सितंबर के बीच की रात को परिवार की मंजूरी के बिना पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया. आईए जानते हैं कि अब तक इस मामले में क्या क्या हुआ...

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हाथरस केस को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए थे (फोटो- पीटीआई)
हाथरस केस को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए थे (फोटो- पीटीआई)

हाथरस कांड में आखिरकार 900 दिन बाद फैसला आ गया. कोर्ट ने एक आरोपी संदीप को आजीवन कारावास की सजा के साथ 50 हजार का जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने चार में से तीन आरोपियों को बरी कर दिया. 14 सितंबर 2020 को हुए हाथरस कांड में एससी-एसटी कोर्ट ने अभियुक्त संदीप को आईपीसी की धारा 304 और एससी-एसटी एक्ट के तहत दोषी माना है. लेकिन रेप के आरोप सिद्ध नहीं हो पाए. 

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14 सितंबर 2020 को हाथरस के बूलगढ़ी गांव की 19 साल की दलित लड़की के साथ चार लोगों ने कथित तौर पर गैंगरेप किया. एक पखवाड़े बाद लड़की का दिल्ली में इलाज के दौरान निधन हो गया और यह आरोप लगाया गया कि 29 और 30 सितंबर के बीच की रात को परिवार की मंजूरी के बिना पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया. उसके बाद से हर तरह के राजनीतिक दल मैदान में कूद पड़े. आईए जानते हैं कि अब तक इस मामले में क्या क्या हुआ...

14 सितंबर का दिन था. हाथरस के बूलगढ़ी में पीड़िता और उसकी मां खेतों में काम कर रही थीं. दोनों एक दूसरे से करीब 100 मीटर की दूरी पर काम कर रही थीं. तभी पीड़िता की मां अपनी बेटी की चीख सुनती है और उसकी तरफ दौड़ती है. जब तक वह पहुंचती है, अपनी बेटी को खून से लथपथ हालत में देखती है, उसकी जीभ कटी हुई होती है. मां के मुताबिक, उसने बेटी को दुपट्टे और उसी खून से सने कपड़े से ढक दिया. 

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सुबह 10.30 बजे : पीड़िता अपनी मां और भाई के साथ चंदपा थाने पहुंचती है. पुलिस के सामने बयान दर्ज कर शिकायत दर्ज कराती है. मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि पुलिस ने पीड़िता की शिकायत दर्ज करने में देरी की और उसके परिवार को उसे ले जाने के लिए कहा. जबकि पीड़िता होश में आती-जाती रहती है, उसके भाई का दावा है कि संदीप ने उसके साथ ये काम किया है. 

सुबह 11.45 बजे: पुलिस पीड़िता को अपनी जीप में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गई. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक का कहना था कि पीड़िता की हालत गंभीर है. डॉक्टर कहते हैं कि स्थानीय क्लिनिक में उसके इलाज की सुविधा नहीं है. पीड़िता को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में रेफर किया जाता है. 

14 सितंबर को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ में जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में दर्ज की गई मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया है कि पीड़िता के परिचारक ने गला घोंटने के कारण गर्दन में चोट लगने का आरोप लगाया था.  

15 सितंबर: जानकारी के मुताबिक, 15 सितंबर को केस दर्ज किया गया. दिलचस्प बात यह है कि मामले को आरोपी और पीड़ित के बीच पारिवारिक झगड़े का बताया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि पीड़िता अपनी मां के साथ जानवरों के लिए चारा इकट्ठा कर रही थी, तभी एक युवक आया और वह पीड़िता के ऊपर बैठ गया. उसने पीड़िता को घसीटा और गला दबाकर उसकी हत्या करने का प्रयास किया. 

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रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़िता ने हंगामा किया, जिससे आरोपी मौके से फरार हो गया. पीड़िता के भाई ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कराया. अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट में पीड़िता के साथ किसी तरह के यौन शोषण का जिक्र नहीं था. आरोपी की पहचान संदीप के रूप में हुई. 

पुलिस ने दावा किया कि दोनों पक्षों में काफी समय से पारिवारिक विवाद चल रहा था और कोर्ट में भी केस चल रहा था. मामला दर्ज कर जल्द ही आरोपितों को गिरफ्तार करने का आश्वासन दिया गया था. ध्यान देने वाली बात यह है कि रिपोर्ट में कहीं भी रेप का जिक्र नहीं था और आरोपियों की संख्या एक थी.

19 सितंबर : अगले हफ्ते में पीड़िता की हालत बिगड़ती है, हालांकि, वह होश में आती है और अपने परिवार से बात करती है. वहीं 19 सितंबर जेएन मेडिकल कॉलेज में पीड़िता का बयान दर्ज किया गया. उसने संदीप समेत दो हमलावरों का नाम लिया. छेड़छाड़ का भी दावा किया गया. इस बयान के आधार पर पुलिस ने धारा 307 (हत्या का प्रयास) और 354 (छेड़छाड़) के तहत कार्रवाई शुरू कर दी है. संदीप को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने 19 सितंबर को पीड़िता से मुलाकात की, जिसके बाद पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोपों की सूची में छेड़खानी का आरोप जोड़ा गया. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि घटना के आठ दिन बाद 22 सितंबर को पहली बार रेप के आरोप सामने आए और आरोपियों की सूची में तीन और नाम जोड़े गए. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कांग्रेस नेता श्योराज जीवन ने पीड़िता के परिवार से मिलने के बाद उससे मुलाकात की, जिसके बाद घटना के इर्द-गिर्द कहानी बदलने लगी. 

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22 सितंबर: टीओआई की रिपोर्ट में कहा गया, "यूपी के हाथरस में एक 19 साल की दलित लड़की का कथित रूप से चार उच्च जाति के पुरुषों द्वारा गैंगरेप किया गया. इसके बाद उसका गला घोंटने की कोशिश की गई. इसके बाद पीड़िता को आईसीयू में एडमिट कराया गया.  रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि गैंगरेप के आरोप बाद में जोड़े गए थे. 22 सितंबर को लड़की के बयान और उसी बयान के आधार पर तीन और लोगों को आरोपियों की सूची में जोड़ा गया.

26 सितंबर: पीड़िता को इलाज के लिए दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में रेफर किया गया. चारों आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. 

29 सितंबर: पीड़िता की सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई. दिनभर चले विरोध और ड्रामे के बाद पीड़िता के शव को हाथरस में उनके पैतृक गांव ले जाया गया. हाथरस पीड़िता की मौत के बाद भीम आर्मी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. आरोप है कि पुलिस ने जबरन रात में ही पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया. 

आरोप है कि इससे पहले सुबह करीब 3 बजे हाथरस डीएम के आदेश के तहत अधिकारियों द्वारा पीड़िता का जबरन अंतिम संस्कार कर दिया गया. अंतिम संस्कार के समय परिवार का कोई सदस्य मौजूद नहीं था. 

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पुलिस बोली- रेप नहीं हुआ

पुलिस ने बताया कि शुरुआती मेडिकल रिपोर्ट में रेप के कोई निशान नहीं थे. पीड़िता की मौत के बाद आईपीसी की धारा 302 (हत्या) भी जोड़ी गई. एससी/एसटी एक्ट के तहत पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये का आर्थिक मुआवजा दिया गया. इतना ही नहीं पुलिस ने दावा किया कि ही पीड़िता की जीभ काटी गई, न ही उसकी रीढ़ की हड्डी टूटी. इंडिया टुडे को मिली जानकारी के मुताबिक देर रात उनके पिता और परिवार के अन्य सदस्यों ने उनका अंतिम संस्कार किया. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि परिवार की मंजूरी के बिना दाह संस्कार किया गया. हालांकि, पीड़िता के भाई ने दावा किया था कि पुलिस ने उन्हें शव को श्मशान घाट ले जाने के लिए मजबूर किया था. 

30 सितंबर को आरोपियों के परिवार ने दावा किया कि लंबे समय से पारिवारिक कलह को लेकर उन पर झूठा आरोप लगाया गया. एक आरोपी की मां ने दावा किया कि इससे पहले पीड़िता के दादा ने अपने आप को दो बार जख्मी किया था, ताकि उनके परिवार के लोग जेल जा सकें. उन्होंने दावा किया, ''उनका बेटा रामू चिलर पर काम कर रहा था. वहां काम करने वाले लोगों और उपस्थिति रजिस्टर में भी इसकी पुष्टि हुई है.''

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इस मामले में यूपी के सीएम  योगी आदित्यनाथ ने एसआईटी जांच के आदेश दिए. हाथरस केस को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए. सोशल मीडिया पर भी कई तथ्य सामने आने लगे. मीडिया रिपोर्ट्स में पुलिस की कार्रवाई पर सीधे तौर पर सवाल खड़े किए. इस दौरान कुछ ऐसे वीडियो भी सामने आए, जिनमें पीड़िता की मां शुरुआत में सिर्फ एक शारीरिक हमले की बात कर रही हैं. उन्होंने इस दौरान रेप की बात नहीं कही थी. 

1 अक्टूबर: एडीजी बोले- रेप नहीं हुआ

एडीजी प्रशांत कुमार ने एएनआई को बताया कि फॉरेंसिक रिपोर्ट में पीड़िता के शरीर से लिए गए नमूनों में शुक्राणु या वीर्य नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि पीड़िता के साथ रेप नहीं हुआ है. ऐसी ही बात पोस्टमार्टम में सामने आई थी. उधर, प्रियंका गांधी ने पीड़िता के पिता का एक वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि उन पर दबाव डाला जा रहा था. पीड़िता के पिता ने मामले में सीबीआई जांच की मांग की. 

2 अक्टूबर को सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर एसपी, डीएसपी, इंस्पेक्टर और कुछ अन्य अधिकारियों को निलंबित करने का निर्देश दिया. यूपी सरकार ने आरोपी, शिकायतकर्ता और मामले में शामिल पुलिस अधिकारियों के नार्को पॉलीग्राफ टेस्ट का भी आदेश दिया. 

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3 अक्टूबर को एसआईटी की जांच पूरी हुई और मीडिया को पीड़ित परिवार के गांव तक पहुंच मुहैया कराई गई. उसी दिन पीड़िता की मां ने आजतक से कहा कि वह इस मामले की सीबीआई जांच नहीं चाहती हैं. नहीं, हम नहीं चाहते कि सीबीआई मामले की जांच करे. हम चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में एक टीम इस मामले की जांच करे. 

3 अक्टूबर को राहुल गांधी ने हाथरस केस में पीड़िता के परिजनों से मुलाकात की थी

पीड़िता की मां ने यह भी कहा कि परिवार नार्को टेस्ट नहीं कराएगा. उनका तर्क था कि वे नहीं जानते कि नार्को टेस्ट क्या होता है और इसलिए वे इसे नहीं लेना चाहेंगे? साथ ही, एक कांग्रेस समर्थक साकेत गोखले ने जांच अधिकारियों को पीड़िता के परिवार का नार्को टेस्ट कराने से रोकने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. 

योगी आदित्यनाथ ने उसी दिन सीबीआई जांच के आदेश दिए. पीड़िता के भाई ने इस फैसले का विरोध किया क्योंकि एसआईटी की जांच जाहिर तौर पर चल रही थी. इस दौरान पीड़िता के भाई ने कुछ विरोधाभासी बयान भी दिया. 
 
21 नवंबर 2020 से 2 मार्च  2023

सीबीआई ने अलीगढ़ जेल में बंद चारों अभियुक्तों का पॉलीग्राफ और ब्रेन मैपिंग की. 18 दिसंबर 2020 को सीबीआई ने जांच के बाद हाथरस के एससी-एसटी कोर्ट में चारों  अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. 02 मार्च 2023 को कोर्ट ने एक आरोपी को दोषी माना और तीन को बरी कर दिया. 

 

 

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