राजस्थान के अलवर में जब से एक दिव्यांग बच्ची के साथ दरिंदगी की गई है, राज्य पुलिस पर आरोपियों को पकड़ने का दवाब बढ़ता जा रहा है. कई घंटे बीत जाने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं और अब इसे रेप ना कहकर एक 'दुर्घटना' बताया जा रहा है. बीजेपी इसे पुलिस और राज्य सरकार का यू टर्न मान रही है. जोर देकर कहा जा रहा है कि इस मामले में सीबीआई जांच जरूरी है.
बीजेपी ने की सीबीआई जांच की मांग
राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि अलवर मामले में हम सीबीआई जांच की मांग करते हैं. अलवर के एसपी कह रहे हैं कि रेप का कोई सबूत नहीं मिला है. अभी तक एसआइटी की रिपोर्ट भी नहीं आई, लेकिन पुलिस ने यू टर्न ले लिया है. ये सब तो सिर्फ प्रियंका गांधी की छवि को बचाने के लिए किया जा रहा है क्योंकि वे चुनाव में महिला सुरक्षा का मुद्दा उठा रही हैं.
अब जानकारी के लिए बता दें कि इस पूरे मामले पर विवाद इसलिए ज्यादा बढ़ गया है क्योंकि पुलिस के बयान में बड़ा बदलाव देखने को मिला है. घटना के तुरंत बाद पहले अलवर की एसपी तेजस्विनी गौतम ने इसे सेक्शुअल असॉल्ट माना था. लेकिन अब वे मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर कह रही हैं कि रेप की पुष्टि नहीं हुई है. वहीं अलवर के जिला कलेक्टर नन्नूमल पहाडिया का कहना है कि लड़की के साथ बलात्कार हुआ है या नहीं, यह अभी नहीं कहा जा सकता.
किस बात पर विवाद?
पीड़िता का इलाज जयपुर में किया जा रहा है. वहां के डॉक्टरों की रिपोर्ट के आधार पर अलवर की एसपी तेजस्विनी गौतम ने कहा कि लड़की जिस ऑटो में सवार थी, उसकी भी एफएसएल जांच कराई गई लेकिन कोई संशय नजर नहीं आया है. जो लास्ट सीसीटीवी फुटेज मिला है, वह घटना स्थल से 300 मीटर पहले का है. जिसमें लड़की करीब 7:30 बजे के करीब चलते हुए दिख रही है. पुलिस अधीक्षक तेजस्विनी ने बताया कि इस बीच 20 मिनट में घटना कैसे हुई, उसी पर पुलिस की टीमें फोकस कर रही हैं.
वहीं पीड़िता के परिवार को सरकार की तरफ से 6 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है. राज्य सरकार लगातार आश्वासन दे रही है कि आरोपियों को जल्द पकड़ लिया जाएगा.