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क्षमता से दोगुने कैदी, खूंखार अपराधियों का साम्राज्य... तिहाड़ में केजरीवाल, हैरतअंगेज है इस जेल की दास्तान

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल तिहाड़ के जेल नंबर 2 में बंद हैं. उनको 15 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है. कुछ दिन पहले ही ईडी ने शराब घोटाले में उनको गिरफ्तार किया था. कहा जा रहा है कि वो जेल के अंदर से ही अपनी सरकार चलाएंगे.

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आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल तिहाड़ के जेल नंबर 2 में बंद हैं.
आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल तिहाड़ के जेल नंबर 2 में बंद हैं.

सोमवार 1 अप्रैल 2024. वक्त शाम के 4:13 बजे. ठीक यही वो वक्त था जब खुद तिहाड़ के हाकिम ने तिहाड़ के अंदर कदम रखा. जी हां, तिहाड़ दिल्ली सरकार के अधीन आता है. दिल्ली सरकार के मुखिया कोई और नहीं बल्कि खुद अरविंद केजरीवाल हैं. हालांकि हाकिम इस बार एक कैदी के तौर पर तिहाड़ आए हैं. वही तिहाड़ जहां उनकी कैबिनेट के मंत्री रहे मनीष सिसोदिया और इसी जेल के मंत्री रहे सत्येंद्र जैन पहले से मौजूद हैं. हालांकि उम्मीद कम ही है कि अंदर इनकी कोई बैठक हो पाएगी. क्योंकि एक ही दीवार के पीछे होते हुए भी सभी जुदा होंगे. 

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वैसे अजीब कमाल ये है कि केजरीवाल ने खुद अपनी सरकार में कभी कोई मंत्रालय अपने पास नहीं रखा. लेकिन अब तिहाड़ में वो एक साथ दो-दो विभाग संभालेंगे. मुख्यमत्री और कैदी का. तिहाड़ के लिए भी ये बिल्कुल नया होगा. क्योंकि कैदी होने के अलावा संवैधानिक तौर पर केजरीवाल दिल्ली के चुने हुए मुख्यमंत्री भी हैं और वो बिना इस्तीफा दिए अंदर गए हैं. वैसे तो तिहाड़ में कुल 9 जेल हैं, जिनमें करीब 18 हजार कैदी ठुंसे पड़े हैं. अब चूंकि नेताओं का जेल आना-जाना लगा रहता है लिहाज़ा जेल के कुछ हिस्सों में ऐसे मेहमानों के लिए खास इंतजाम भी हैं.

खास यानी कि ऐसी जगह जो चोर-उचक्कों, छटे हुए बदमाशों या फिर खूंखार गैगस्टर या आतंकवादियों के सेल या ठिकानों से ज़रा अलग हों. इन खास जगहों में तिहाड़ का जेल नंबर एक, दो और चार ज्यादा बेहतर हैं. केजरीवाल को जेल नंबर दो में रखा गया है. मनीष सिसोदिया जेल नंबर एक में हैं, जबकि सत्येंद्र जैन को जेल नंबर सात में रखा गया है. संजय सिंह को जेल नंबर पांच में रखा गया है, जिनको आज यानी मंगलवार को कोर्ट ने जमानत दे दी है. केजरीवाल सुबह सवेरे उठने वालों में से हैं, इसीलिए उन्हें जेल मैनूअल से कोई ज्यादा दिक्कत नहीं होगी. 

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सुबह उठने से लेकर रात सोने तक... जानिए तिहाड़ जेल का मैनूअल

जेल में कैदियों की डेली रूटीन सुबह सूरज निकलने के साथ ही शुरू हो जाती है. सुबह छह बजे हर कैदी को उठना होता है. इसके बाद रोजर्मरा के कामों को निपटाने के बाद सुबह साढ़े छह से सात बजे उन्हें नाश्ता दिया जाता है, जिसमें आम तौर पर ब्रेड और चाय होती है. दोपहर का खाना 11 बजे दिया जाता है. दाल, एक सब्जी पांच रोटी या चावल. दोपहर तीन बजे शाम की चाय मिलती है. इसके बाद तीन से पांच बजे तक जेल में कैदियों के खेलने और टहलने का मौका मिलता है. फिर शाम के सात बजे रात का खाना. खाने में दाल, एक सब्जी, पांच रोटी या फिर चावल दिया जाता है.

मेडिकल रिपोर्ट और डॉक्टरी सलाह पर कैदियों को उनकी सेहत के हिसाब से अलग से खाना मिलता है. इनमें घर का खाना भी होता है. हालांकि हाल के वक्त में हम सबने तिहाड़ की जो असली तस्वीर देखी है वो उससे बिल्कुल अलग है, जो कभी कैदियों को डराती थी. जेल की सुरक्षा, वहां मौजूद पाबंदी, वहां की सख्ती, वहां के कायदे कानून अब सब बदल गए हैं. अब तिहाड़ का सच कुछ और ही है. इस सच में तमाम कायदे-कानूनों पर करारे-करारे हरे और गुलाबी नोट भारी पड़ रहे हैं? वीआईपी और रसूख वाले लोगों के सामने इस जेल की दीवारें अब छोटी पड़ जाती हैं.

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जानिए कब और कैसे बनाई गई थी एशिया की सबसे बड़ी जेल तिहाड़

साल 1957. आजादी के ठीक दस साल बाद. वैसे तो दस साल का वक्त अपने-आप में काफी लंबा होता है. लेकिन यदि किसी मुल्क के मुस्तबिल को संवारने की बात करें, तो दस साल कुछ भी नहीं होते. वो भी तब जब मुल्क लुटेरों और आंक्राताओं की मार झेल कर पहले ही कई साल पीछे चला गया हो. कुछ इन्हीं दिनों में और इन्हीं हालात के बीच 1957 में दिल्ली के पश्चिमी छोर पर तिहाड़ की इमारत बन कर तैयार हुई. फिर अपने बनने से लेकर नौ साल तक इस जेल को चलाने की जिम्मेदारी पंजाब के पास रही. आगे चल कर इसकी कमान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यानी दिल्ली के हवाले कर दी गई. 

किरण बेदी ने बदली तिहाड़ की तस्वीर, बना दिया था जेल से आश्रम

साल 1984 के आते-आते इस जेल का काफी विस्तार हुआ और तब पूरे कांप्लेक्स को ही तिहाड़ जेल का नाम दे दिया गया. असल में ये जेल चाणक्यपुरी से करीब 7 किलोमीटर दूर दिल्ली के तिहाड़ गांव के क़रीब बनाई गई थी, ऐसे में इसके साथ शुरू से ही तिहाड़ का नाम जुड़ा रहा. करीब 400 एकड़ में फैले इस जेल का नाम तब पहली बार पूरी दुनिया में अच्छी वजह से चर्चा में आया, जब इंस्पेक्टर जनरल ऑफ प्रिजन्स के तौर पर इसकी कमान देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी के हाथों में आई. किरण बेदी ने अपने सकारात्मक प्रयासों से इसका नाम तिहाड़ जेल से बदल कर तिहाड़ आश्रम कर दिया. 

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किरण बेदी ने जेल में बंद कैदियों और वहां के मुलाजिमों के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत करने के साथ-साथ विपश्यना मेडिटेशन का भी आगाज किया, ताकि अपराधियों को जुर्म की स्याह दुनिया से ज्यादा से ज्यादा दूर कर समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जा सके. इन योजनाओं का ही असर था कि साल 2014 में इस जेल के 66 कैदियों को उनकी क्षमता और अच्छे चाल-चलन के मद्देनजर सीधे देश की कई नामी कंपनियों में नौकरी मिली. और तो और एक बंदी ने जेल में रहते हुए यूपीएससी का इम्तेहान भी पास कर लिया और नई शुरुआत की. 

लेकिन ये भी सच है कि धीरे-धीरे हर गुजरती तारीख के साथ तिहाड़ की ये साख मानों फिर से जुर्म के अंधेरे में गुम होने लगी. फिलहाल तिहाड़ जेल परिसर में कुल नौ सेंट्रल जेल मौजूद हैं, जबकि इसके अलावा तिहाड़ जेल की दो शाखाएं रोहिणी और मंडोली भी हैं. इनमें रोहिणी में जहां एक सेंट्रल जेल है, वहीं मंडोली में 6 सेंट्रल जेल. लेकिन इतना होने के बावजूद तिहाड़ के सामने क्षमता से ज्यादा कैदियों की समस्या विकराल रूप लेकर खड़ी है. ऊपर से जेल की क्षमता से यहां करीब दो गुने कैदियों के बंद होने की मजबूरी ने मानों सारा का सारा खेल बिगाड़ कर रख दिया. 

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तिहाड़ में कैद हैं दोगुने कैदी, पहली बार ऐसे लगा भ्रष्टाचार का दाग

साल 2022 की एक रिपोर्ट के मुताबिक तिहाड़ जेल की कुल क्षमता कुल 10 हज़ार 26 कैदियों की है, जबकि इस जेल में फिलहाल लगभग 18 हज़ार कैदी बंद हैं. यानी क्षमता से दोगुना. 16 मार्च 1986 को तिहाड़ के दामन पर भ्रष्टाचार, लापरवाही और निकम्मेपन का पहला दाग़ लगा था. कहते हैं कि तिहाड़ में बंद चार्ल्स शोभराज ने यहां रहते हुए एक बार ऐसा जाल बट्टा फैलाया कि जेल के मुलाजिमों को अपने जन्मदिन के नाम पर केक के बहाने नशा देकर जेल से ही फरार हो गया. तिहाड़ के इतिहास में ऐसी लापरवाही का ये पहला मामला था. फिर तो नमालूम साल-दर-साल ऐसे कितने ही मामले सामने आए.

तिहाड़ जेल से क्राइम सिंडिकेट चला रहे हैं कई कुख्यात गैंगस्टर

हाल ही में महाठगी के आरोपी सुकेश चंद्रशेखर का जेल से वायरल वीडियो, उससे की गई रिश्वतखोरी के चलते तकरीबन सौ जेल मुलाजिमों का सस्पेंड हो जाना, जेल में दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन का मालिश मसाज कराना, तिहाड़ की साख पर लगे वो धब्बे हैं, जिन्हें शायद कभी मिटाया नहीं जा सकेगा. फिलहाल हालत ये है कि तिहाड़ और उसकी दोनों शाखाएं अपराध और अपराधियों का अड्डा बन कर रह गई हैं. यहां बंद गैंगस्टर जेल से ही बैठे-बैठे अपना क्राइम सिंडिकेट चला रहे हैं. वो जेल से ही बैठे-बैठे कारोबारियों, उद्योगपतियों और अपने शिकार लोगों को फोन करते हैं, उनसे रंगदारी मांगते हैं. 

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बड़े क्रिमिनल गैंग्स से जुडे कई खूंखार अपराधी तिहाड़ जेल में हैं कैद

एक रिपोर्ट के मुताबिक तिहाड़ में इन दिनों कम से कम 20 बड़े और 30 छोटे क्रिमिनल गैंग्स से जुडे खूंखार अपराधी कैद हैं, जो जेल से ही जुर्म काला साम्राज्य चलाते हैं. तिहाड़ में बंद बड़े अपराधियों में अगर अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन का नाम आता है, तो सजायाफ्ता आतंकी यासीन मलिक का नाम भी शामिल है. इसके अलावा नामी गैंगस्टर और सरगनाओं में नीरज बवानिया, काला जठेड़ी, नासिर उर्फ छेनू, अनिल भाटी, नवीन बाली, रोहित चौधरी, रोहित मोई, हाशिम बाबा, दीपक बॉक्सर, संपत नेहरा, हड्डी, अट्टे, किकड़ी, बीड़ी, चवन्नी-अट्ठन्नी जैसे तमाम नाम शामिल हैं.

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कुख्यात गैंगस्टर काला जठेड़ी भी तिहाड़ जेल में बंद है, जिसने पिछले महीने लेडी डॉन अनुराधा चौधरी से शादी रचाई है.

8000 सीसीटीवी कैमरे, 365 दिन 24 घंटे सुरक्षाकर्मियों का कड़ा पहरा

जाहिर है इतने खूंखार लोगों को एक जगह पर कैद रखना तिहाड़ प्रशासन के लिए अपने-आप में एक बड़ी चुनौती है. वो भी तब, जब इनमें से ज्यादातर एक दूसरे जानी दुश्मन हों और मौका मिलते ही कातिलाना हमला कर किसी को भी खत्म कर सकते हों. जाहिर है तिहाड़ के लिए ये चुनौती रोज़ की है और इस चुनौती से पार पाने के लिए तिहाड़ में जहां 365 दिन और चौबीसों घंटे सुरक्षाकर्मियों का कड़ा पहरा रहता है, वहीं चप्पे-चप्पे पर लगे करीब 8 हजार सीसीटीवी कैमरे, जैमर, अलार्म, हाई सिक्योरिटी सेल का भी इंतजाम है. मगर सच्चाई यही है कि ये सब कागजों पर ज्यादा है. हकीकत जुदा है. 

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तिहाड़ को करीब जानेंगे केजरीवाल, क्या बदलेगी जेल की किस्मत 

टिल्लू ताजपुरिया की तिहाड़ में कत्ल की बात आज भी डराती है. सुकेश चंद्रशेखर का तिहाड़ में ही रह कर दो सौ करोड़ कमा लेने का सच आज भी हैरान करता है. लॉरेंस बिश्नोई को बनाने वाला कोई और नहीं बल्कि तिहाड़ ही है. इसी तिहाड़ ने कभी तिहाड़ के मंत्री रहे सतेंद्र जैन की ऐसी मसाज वाली तस्वीर भी उगली थी. अब चूंकि खुद केजरीवाल इसी तिहाड़ में कुछ दिन गुजारेंगे तो ज़ाहिर है वो इसे अंदर से और ज्यादा करीब से जानेंगे. क्या पता जब वो बाहर आएं और तब भी दिल्ली सरकार और इस तिहाड़ के हाकिम हों तो शायद उनके तजर्बे का फायदा तिहाड़ को एक बेहतर जेल बनाने में मिले.

 

इनपुट- दिल्ली से मनीषा झा, अरविंद ओझा और चिराग गोठी के साथ सुप्रतिम बनर्जी
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