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Azamgarh Student Death Case: यूपी के आजमगढ़ में एक छात्रा की मौत का मामला प्रदेश भर में गरमा गया है. इस केस में पुलिस ने स्कूल की प्रिंसिपल और छात्रा के क्लास टीचर को अरेस्ट कर लिया है. जिसके विरोध में प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने 8 अगस्त को स्कूल बंद रखने का ऐलान कर दिया. एसोसिएशन का कहना है कि बिना जांच किए गिरफ्तारी करना सही नहीं है. जबकि, पुलिस का दावा है कि उनके पास पर्याप्त सबूत हैं जिनके बल पर उन्होंने प्रिंसिपल और क्लास टीचर को गिरफ्तार किया है. तो आइए जानते हैं पूरा मामला और इस घटना को लेकर प्रिंसिपल व टीचर ने क्या कहा?
दरअसल, 31 जुलाई को आजमगढ़ के एक गर्ल्स स्कूल की 11वीं क्लास में पढ़ने वाली छात्रा ने स्कूल की छत से कूदकर आत्महत्या कर ली थी. आरोप है कि लड़की के बैग से मोबाइल बरामद हुआ था. इसी को लेकर उसे जमकर डांट-फटकार लगाई गई और प्रताड़ित किया गया. इसी से आहत होकर उसने तीसरी मंजिल से कूदकर जान दे दी.
मृतका के परिजनों की तहरीर पर स्कूल प्रिंसिपल और क्लास टीचर पर मुकदमा दर्ज किया गया और बाद में दोनों को अरेस्ट कर लिया गया. हालांकि, इस कार्रवाई का विरोध करते हुए प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन (Unaided Private Schools Association UP) ने 8 अगस्त को प्राइवेट स्कूलों की बंदी की घोषणा कर दी.
छात्रा के साथ उस दिन क्या हुआ था?
बता दें कि गिरफ्तार स्कूल की प्रिंसिपल का नाम सोनम मिश्रा है, वहीं टीचर का नाम अभिषेक राय है. इस घटना को लेकर उन्होंने बताया कि शुक्रवार को चेकिंग हुई थी कि कहीं कोई छात्रा मोबाइल आदि प्रतिबंधित चीज तो नहीं लेकर आई है. इसी कड़ी में लड़की के पास मोबाइल बरामद हुआ. उस दिन मामला रफा-दफा हो गया.
सोमवार को जब स्कूल खुला तो प्रिंसिपल मैम ने उसे ऑफिस बुलाया और बात की. लड़की से पैरेंट्स का नंबर मांगा गया. लेकिन पैरेंट्स को आने में देर लग गई. इसी बीच लड़की दौड़कर तीसरी मंजिल पर पहुंची और छलांग लगा दी. आनन-फानन उसे अस्पताल ले जाया गया. लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
मेरे ऑफिस के बाहर खड़ी थी छात्रा: प्रिंसिपल
स्कूल प्रिंसिपल सोनम ने कहा कि मैंने कुछ गलत नहीं किया. जिस दिन मोबाइल मिला था, पैरेंट्स को उसी दिन बुलाया गया था लेकिन वो नहीं आए. 44 साल पुराना हमारा स्कूल है, हम भला गलत क्यों करेंगे? उस दिन वो (छात्रा) मेरे ऑफिस के बाहर 15-20 मिनट तक खड़ी थी. मैंने सोचा था कि वो सामने रहेगी और जब पैरेंट्स आएंगे तो उन्हें सौंप देंगे. उनसे शिकायत करेंगे.
प्रिंसिपल ने आगे कहा कि हमें ऐसा कोई अंदेशा नहीं था. हमारे भी बच्चे हैं, हम सब समझते हैं. हम लोग शिक्षा का काम कर रहे हैं. छात्रों को समझाना, बचाना यही हमारी जिम्मेदारी है. हम किसी को मारने का काम तो करेंगे नहीं.
कुछ ही मिनट में छात्रा ने ये डिसीजन ले लिया: क्लास टीचर
मृतक छात्रा के क्लास टीचर अभिषेक राय ने कहा कि मैंने ही पैरेंट्स को फोन कर बुलाया था. हम बताना चाहते थे कि उनकी बेटी के पास से मोबाइल मिला है, जो कि कोई भी स्कूल अलाउड नहीं करता. फोन पर छात्रा की मां ने बताया कि वो कुछ देर बाद आएगी तो मुलाकात करेगी. लेकिन उसी 10 से 15 मिनट के बीच में छात्रा ने इस तरह का डिसीजन ले लिया. फिर पौने दो बजे तक पैरेंट्स भी आ गए.
खून के धब्बे मिटाए गए?
इस घटना को लेकर आजमगढ़ के एसपी अनुराग आर्य का भी बयान सामने आया है. उन्होंने बताया कि मृतका के परिजनों की शिकायत पर धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. लेकिन बाद में हत्या के बजाय हत्या के लिए उकसाने का केस (धारा 306) दर्ज किया. दोनों नामजद अभियुक्त प्रिंसिपल सोनम मिश्रा और क्लास टीचर अभिषेक राय को गिरफ्तार करके रिमांड के लिए कोर्ट भेजा जा रहा है.
केस की विवेचना के लिए एक टीम गठित की गई है. सबूतों को इकट्ठा करने के लिए स्कूल के CCTV कैमरे को जब्त कर लिए गए हैं. CCTV फुटेज में 31 जुलाई को 12:00 बजे के बाद छात्रा का प्रिंसिपल के कमरे में जाना, फिर बाहर आना और कमरे के बाहर काफी देर तक खड़े रहना सब दिख रहा है. लगभग 1:15 बजे के आसपास वो सीढ़ी के रास्ते तीसरी मंजिल पर गई, जहां से वो नीचे गिरी.
घटनास्थल के निरीक्षण के दौरान बेंजीन टेस्ट से यह प्रमाणित हुआ जिस जगह पर छात्रा गिरी थी वहां पर ब्लड की मौजूदगी थी. लेकिन उस ब्लड को साफ कर दिया गया. शायद स्कूल के लोगों द्वारा पानी से ब्लड को धुला गया था. सबूत मिटाने का ये कृत्य अपराध की श्रेणी में आता है.
छात्रा को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया था?
शुरुआती विवेचना में यह बात सामने आई है कि छात्रा के पास मोबाइल मिलने के बाद उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया था. घटना वाले दिन छात्रा को क्लास अटेंड कराने के बजाए प्रिंसिपल रूम में बुलाया गया था. सजा के रूप में उसको प्रिंसिपल रूम के बाहर काफी देर तक खड़ा रखा गया. इस घटना से छात्रा को शर्मिंदगी महसूस हुई.
फिलहाल, पुलिस की विवेचना अभी जारी रहेगी. स्कूल स्टाफ और दूसरी छात्राओं के बयान भी लिए जाएंगे. साइंटिफिक तरीके से साक्ष्य संकलित किए जाएंगे. अगर किसी अन्य व्यक्ति का भी नाम इसमें आता है प्रशासन द्वारा कार्रवाई करते हुए उसकी भी गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाएगी.