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फ्रीलांसर को धोखे से बचाने के लिए अंकित-शान्या ने शुरू की राइटर्स कम्युनिटी, ऐसे मिली तरक्की

अंकित देव ने कहा, 'राइटर्स कम्युनिटी के 3 लक्ष्य हैं- जीरो स्कैम, यूनिवर्सल सैंपल सिस्टम और मिनिमम पेमेंट फ़ॉर फ्रीलांसर. हमारी कोशिश है कि प्रति फ्रीलांसर्स को 10,500 रुपये/महीने मिले, हम सफल भी हुए, हमारे फ्रीलांसर्स को कम से कम 400 रुपये दैनिक की आय मिलती है.'

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अंकित देव और शान्या दास
अंकित देव और शान्या दास

फ्रीलांसिंग. एक ऐसा फील्ड जहां कोरोना काल के दौरान संभावनाएं अपार आई, लेकिन बहुत बड़ी संख्या में लोग धोखे का शिकार भी हुए. इसकी सबसे बड़ी वजह पारदर्शिता की कमी रही. इसी कमी को दूर करने के लिए कोरोना काल के दौरान 2020 में राईटर्स कम्युनिटी की नींव बिहार के अंकित देव और शान्या दास ने रखी. 

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अंकित देव ने बताया, 'हम दोनों फाउंडर मेंबर फ्रीलांसिंग से जुड़े हुए थे, लेकिन दोनों के साथ पैसे को लेकर धोखा हो गया, इस धोखे की वजह से हमें ऐसा प्लेटफॉर्म को बनाने का आईडिया आया, जहां फ्रीलांसर के साथ पूरी पारदर्शिता हो, इस वजह से हमने राईटर्स कम्युनिटी की नींव रखी, आज हम सभी फ्रीलांसर को पारदर्शिता के साथ उनकी सैलरी देते हैं.'

फ्रीलांसर्स को 34 हजार रुपये तक मिली सैलरी

अंकित देव ने कहा, 'राइटर्स कम्युनिटी के 3 लक्ष्य हैं- जीरो स्कैम, यूनिवर्सल सैंपल सिस्टम और मिनिमम पेमेंट फ़ॉर फ्रीलांसर. हमारी कोशिश है कि प्रति फ्रीलांसर्स को 10,500 रुपये/महीने मिले, हम सफल भी हुए, हमारे फ्रीलांसर्स को कम से कम 400 रुपये दैनिक की आय मिलती है, वहीं हमारे एक्सपर्ट्स को 34,000 तक की मासिक आय मिली.'

इन क्षेत्रों में भी फ्रीलांसिंग का मौका

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फ्रीलांसिंग की बात आती है तो लोगों के दिमाग में राइटर्स का ख्याल आता है, लेकिन कोरोना काल में फ्रीलांसिंग का क्षेत्र काफी बढ़ा हो गया है. अंकित देव अर्पण का कहना है कि फ्रीलांस का क्षेत्र काफ़ी व्यापक है. उन्होंने बताया कि ग्राफ़िक डिजाइनिंग, सोशल मीडिया मैनेजमेंट, वेब डेवलपमेंट में भी फ्रीलांसिंग हो रही है.

अंकित देव अर्पण ने कहा कि जिन लोगों की रुचि तकनीक में है एवं जो इस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं, उनके लिए वेब डेवलपमेंट एक बेहतरीन फ्रीलांस का अवसर है जहां विभिन्न कंपनियों, गैर सरकारी संस्थाओं की वेबसाइट बनाने के कार्य के साथ ही एसईओ मैनेजमेंट, पेज डिजाइनिंग के अवसर भी मौजूद हैं.

हालांकि, अंकित देव मानते हैं कि एकेडमिक लेखन एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें कई अवसर मौजूद हैं, सब्जेक्ट मैटर एक्सपर्ट, प्रूफरीडर, रीव्यूअर, डेटा एंट्री एक्सपर्ट ऐसे ही कुछ पद हैं जिनसे जुड़कर आय सृजन के साथ ही लोगों को नई चीजें सीखने और अपनी क्षमताओं को अन्वेषित करने का मौका मिलता है.

अब प्लेसमेंट सेल्स में फ्रीलांस भी

वहीं शान्या दास का कहना है कि आज के दौर में निरंतर नए-नए सेग्मेंट्स इस क्षेत्र में जुड़ रहे हैं, डाटा हैंडलिंग, अकॉन्ट्स, आर्किटेक्ट, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, आदि इसके कुछ ऐसे उदाहरण हैं जो देश की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में एक अहम भूमिका निभाते हैं, देश की अग्रणी शैक्षणिक संस्थाए भी अपने प्लेसमेंट सेल्स में फ्रीलांस को जोड़ रही हैं.

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उन्होंने बताया कि आज के दौर में युवाओं खासकर महिला वर्ग का आर्थिक रुप से सक्षम होना अति आवश्यक है, ऐसे में फ्रीलांस का क्षेत्र एक बेहतरीन अवसर है क्योंकि यह न केवल आपको घर बैठे कमाने का अवसर प्रदान करता है बल्कि, इससे जुड़कर आज की युवा पीढ़ी को सीखने तथा अपनी क्षमताओं को और अधिक बढ़ाने का मौका भी मिलता है.

महिलाएं सबसे अधिक चुन रही हैं फ्रीलांसिंग की फील्ड

शान्या दास ने कहा कि फ्रीलांसिंग के क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों से अधिक हैं, करीब 65% महिलाएं फ्रीलांस में अपनी भूमिका निभा रही हैं, कुछ महिलाएं अन्य कंपनियों के साथ कार्यरत हैं, कुछ गृहिणियां हैं, तथा कुछ अध्ययनरत छात्राएं भी फ्रीलांस को करिअर विकल्प के रूप में चुन रही हैं. अभी तक हमारे पास कुल 408 फ्रीलांसर्स कार्य कर रहे हैं.

शान्या दास ने कहा कि आमतौर पर दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश के लोगों की संख्या इस कार्य में अधिक रही है, लेकिन इसके साथ ही बिहार, राजस्थान, कोलकाता और दक्षिण भारतीय राज्य के लोगों की सहभागिता अधिक होती है.

 

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