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3 दिन, 682 KM और नफरत की इंतहां.. गोवा में होटल के रूम नंबर 404 में क्या हुआ था ऐसा कि कातिल बन गई CEO मां

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में जाना पहचाना नाम बन चुकी 39 साल की सूचना सेठ (Suchana Seth) इन दिनों काफी सुर्खियों में है. लेकिन किसी अच्छे काम के लिए नहीं. बल्कि, उसने जो किया है उसके लिए लोगों के मन में उसके प्रति काफी नफरत भर गई है. उसने अपने ही 4 साल के बेटे (Son) को मार डाला. वो भी सिर्फ इसलिए ताकि उसका पति उनके बेटे से न मिल पाए. चलिए जानते हैं मासूम की हत्या की हर एक जानकारी डिटेल में...

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मां ने अपने ही 4 साल के बेटे को मार डाला.
मां ने अपने ही 4 साल के बेटे को मार डाला.

तारीख, 6 जनवरी 2024... आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में जाना पहचाना नाम बन चुकी 39 साल की सूचना सेठ (Suchana Seth) अपने 4 साल के बेटे को लेकर बेंगलुरु से गोवा (Bengaluru To Goa) के डेबोलिम एयरपोर्ट पहुंची. यहां से उसने कैंडोलिम इलाके के लिए कैब बुक की. वहां सोल बयान ग्रैंड होटल के रूम नंबर 404 में चेक-इन किया. होटल की बुकिंग सूचना ने पहले से ही करवा रखी थी. रिसेप्शन पर उसने बाकायदा अपना आईडी कार्ड भी दिया. फिर 6, 7 और 8 जनवरी को सूचना अपने बेटे के साथ गोवा के अलग-अलग इलाकों में घूमी.

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अब तक सबकुछ ठीक था. लेकिन फिर तभी 8 जनवरी की रात करीब दस बजे सूचना ने होटल के रिसेप्शन पर फोन कर बेंगलुरु के लिए एक कैब बुक करवाने को कहा. होटल के ट्रैवल डेस्क को सूचना की ये बात बड़ी अजीब लगी. ट्रैवल डेस्क पर मौजूद शख्स ने सूचना को मशवरा दिया कि कैब से बेंगलुरु जाने की बजाय फ्लाइट से जाना कहीं ज्यादा सस्ता पड़ेगा और वक्त भी बचेगा. लेकिन सूचना ने कैब से ही बेंगलुरु जाने की बात दोहराते हुए उसे उसके लिए उसी वक्त एक कैब बुक करने को कहा. साथ ही ये भी कहा कि पैसे की चिंता ना करें, जो भी किराया होगा, वो दे देगी.

अब रात 8 जनवरी से 9 जनवरी में दाखिल हो चुकी थी. रात के करीब 1 बजे थे. एक इनोवा कार होटल पहुंची. सूचना ने रिसेप्शन पर पहुंच कर बिल चुकाया और चेकआउट कर लिया. चेकआउट करने के बाद एक बैग लिए वो होटल से बाहर निकली और बाहर खड़ी इनोवा कार में बैठ गई. कार अब गोवा से बेंगलुरु के लिए रवाना हो गई. लेकिन सूचना के जाने में एक अजीब बात थी. होटल वो अपने चार साल के बेटे के साथ आई थी, लेकिन चेकआउट के बाद जब वो होटल छोड़ रही थी, तब उसके पास सिर्फ एक बैग था, बेटा नहीं.

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गोवा से बेंगलुरु तक की दूरी 682 किलोमीटर से भी ज्यादा की है. सड़क के रास्ते इस सफर को पूरा करने में लगभग 13 घंटे लगते हैं. उधर, सूचना कार में बेंगलुरु की तरफ बढ़ रही थी इधर गोवा में नई सुबह ने दस्तक दे दी थी. सुबह होते ही होटल के स्टाफ ने तमाम कमरों के साथ-साथ सूचना के कमरे की भी सफाई करनी शुरू कर दी. तभी एक स्टाफ की नजर सूचना के कमरे में मौजूद खून के कुछ बूंदों पर पड़ी. खून देखते ही वो घबरा गया. उसने फौरन होटल मैनेजर को इसकी खबर दी. मैनेजर ने फौरन कैलंगूट पुलिस स्टेशन को इसकी सूचना दी. तब घड़ी में सुबह के 8 बजे थे. सूचना मिलते ही पुलिस फौरन होटल के उस कमरे में पहुंची. खून के निशान देख कर पुलिस को अंदाजा हो गया कि इस कमरे में कुछ तो हुआ है.

पुलिस ने होटल स्टाफ से कमरे में ठहरे गेस्ट के बारे में पूछताछ की. तब पता चला है कि ये कमरा रात एक बजे बेंगलुरु से सूचना सेठ नाम की एक महिला ने खाली किया था. गोवा पुलिस ने सूचना के बारे में होटल स्टाफ से पूरी जानकारी मांगी. ना सिर्फ जानकारी मांगी, बल्कि होटल के सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाला. तभी पुलिस को सूचना के चार साल के अपने बच्चे के साथ बेंगलुरु से गोवा आने और रात 1 बजे कैब से बेंगलुरु वापस जाने के बारे में पता चला. पुलिस भी फ्लाइट की बजाय कैब से बेंगलुरु जाने के सूचना के फैसले को जानकर हैरान रह गई. पर उससे भी ज्यादा हैरान वो तब हुई, जब होटल के स्टाफ और सीसीटीवी कैमरे से ये पता चला कि वो आई तो एक बच्चे के साथ थी, लेकिन लौटी अकेली. पुलिस के सामने अब ये सवाल था कि चार साल का वो बच्चा आखिर कहां गया? सवाल ये भी था कि कमरे में मौजूद खून के वो निशान किसके हैं?

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पुलिस के सवाल का बेखौफ होकर दिया जवाब

पुलिस ने फौरन अपना दिमाग लगाया और होटल के ट्रैवल डेस्क से उस ट्रैवल एजेंसी का नंबर लिया, जिसने सूचना के लिए इनोवा कार भेजी थी. गोवा पुलिस ने कार ड्राइवर को फोन मिलाया. फोन मिलाते ही उससे कहा कि वो कार में बैठी मैडम से उसकी बात कराए. मैडम यानी सूचना के लाइन पर आते ही पुलिस ने उससे पूछा कि क्या आपका बेटा कहां है? वो आपके साथ वापस क्यों नहीं गया? सूचना ने बेखौफ जवाब दिया कि वो गोवा में ही एक रिश्तेदार के पास है. कुछ दिन बाद लौटेगा. उसने बाकायदा गोवा के अपने उस रिश्तेदार का पता भी पुलिस को दे दिया. गोवा पुलिस को लगा कि शायद वो गलत शक कर रही है. फिर भी पुलिस ने सूचना के दिए पते पर पुलिस की एक टीम भेजी. लेकिन वो पूरा इलाका छान मारने के बावजूद वो पता नहीं मिला, जिसका पता सूचना ने दिया था. यानी सूचना का दिया पता फर्जी था. गोवा पुलिस को तब लगा कि मामला गड़बड़ है.

कैब ड्राइवर ने थाने में रोक दी गाड़ी, सूचना हुई गिरफ्तार

लिहाजा तुरंत पुलिस ने दोबारा उस कैब ड्राइवर को फोन किया, जिसमें सूचना बैठी थी. पुलिस ने धीमे से ड्राइवर से कहा कि जैसे ही तुम्हें अपने करीब कोई पुलिस स्टेशन दिखाई दे, फौरन गाड़ी को वहीं ले जाना और वापस फोन करना. तब कैब बेंगलुरु से 200 किलोमीटर पहले कर्नाटक के ही चित्रदुर्ग इलाके से गुजर रही थी. तभी ड्राइवर की नजर चित्रदुर्ग में ही मौजूद आईमंगला पुलिस स्टेशन पर पड़ी. उसने फौरन गाड़ी को पुलिस स्टेशन में घुसा दिया. इससे पहले कि सूचना कुछ समझ पाती, ड्राइवर ने गोवा पुलिस की बात आईमंगला पुलिस स्टेशन में मौजूद पुलिस वालों को बताई और फोन मिला कर गोवा पुलिस से उनकी बात करा दी.

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गोवा पुलिस ने आईमंगला पुलिस को सारी बात बताते हुए सूचना और उसके सामान की तलाशी लेने की रिक्वेस्ट की. कर्नाटक पुलिस इनोवा कार में मौजूद उस बड़े बैग की तलाशी लेनी शुरू की. जब बैग खोला तो ऊपरी कपड़े के नीचे एक बच्चे की लाश मिली. सूचना को फौरन हिरासत में ले लिया गया. गोवा पुलिस को इसकी खबर दी गई. जिसके बाद गोवा पुलिस की एक टीम आईमंगला पुलिस स्टेशन के लिए रवाना हो गई.

पुलिस के मन में थे कई सवाल

गोवा पुलिस के मन में तमाम सवाल थे. चार साल के जिस बच्चे की लाश बैग में थी, वो कौन था? क्या वो सूचना का बेटा था? अगर बेटा था, तो फिर एक मां ने अपने ही हाथों अपने बेटे को क्यों मारा? कत्ल करने के बाद वो लाश को बैग में रख कर 682 किलोमीटर की दूरी तय कर बेंगलुरु क्यों जा रही थी? अगर उसे लाश ठिकाने ही लगाना था, तो उसने गोवा में ऐसा क्यों नहीं किया? और सबसे बड़ा सवाल ये कि एक मां अपने बच्चे का कत्ल क्यों करेगी? और कत्ल के बाद लाश के साथ सफर क्यों करेगी? इन्हीं सवालों के साथ गोवा पुलिस की एक टीम कर्नाटक के आईमंगला पुलिस स्टेशन पहुंच चुकी थी. सबसे पहले गोवा पुलिस सूचना को चित्रदुर्ग की एक अदालत में पेश कर उसका ट्रांजिट रिमांड लिया. फिर बेटे का शव चित्रदुर्ग के ही सरकारी अस्पताल के इसी मुर्दाघर में रखवा दिया पोस्टमार्टम के लिए. ताकि मौत की वजह पता की जा सके.

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इसके बाद अदालत की इजाजत से गोवा पुलिस अब सूचना को लेकर एक बार फिर गोवा के लिए निकल पड़ी. आधी कहानी तो वापसी के सफर में ही सूचना सुना चुकी थी. बाकी का सच गोवा पहुंचने के बाद उसने पुलिस के सामने उगल दिया. अब गोवा पुलिस के पास सारे सवालों के जवाब थे. पूरी कहानी कुछ यूं थी...

कोलकाता की रहने वाली है सूचना सेठ

39 साल पहले सूचना सेठ का जन्म कोलकाता में हुआ था. एक अच्छे परिवार से आने वाली सूचना बचपन से ही पढ़ने लिखने में बेहद तेज थी. कई भाषाओं पर उसका कमांड था. उसने फिजिक्स ऑनर्स में टॉप रैंक के साथ ग्रैजुएशन किया. संस्कृत में पोस्ट ग्रैजुएशन और फिर डेटा साइंस की पढ़ाई की. आगे चल कर उसने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई में भी महारत हासिल की. दुनिया की कई नामचीन यूनिवर्सिटी से जुड़ी. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई के एथिक्स के बारे में वो घूम-घूम कर लेक्चर यानी ज्ञान दिया करती थी. एआई की अच्छा और बुराई के बारे में बताया करती थी. सूचना के पास डेटा साइंस और एआई में काम करने का 12 साल का तजुर्बा है. बाद में उसने बेंगलुरु में एक स्टार्टअप कंपनी की शुरुआत की. माइंडफुल एआई लैब नाम की इस कंपनी की वो फाउंडर और सीईओ है.

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केरल के वेंकटरमन से 2010 में हुई थी सूचना की शादी

2010 में सूचना की मुलाकात बेंगलुरु में ही केरल के रहने वाले वेंकटरमण से हुई. दोनों में प्यार हुआ और उन्होंने शादी कर ली. वेंकट भी एक अच्छे और पढ़े लिखे परिवार से हैं. शादी के बाद सबकुछ ठीक चल रहा था. 9 साल बाद यानी 2019 में दोनों को एक बेटा हुआ. तब भी सबकुछ ठीक था. लेकिन फिर 2020 में कोरोना आते ही मियां बीवी के रिश्ते में कड़वाहट आनी शुरू हो गई. दोनों में झगड़ा इस कदर बढ़ा कि दोनों अलग-अलग रहने लगे पर बेटा मां के पास था. इस अलगाव के बावजूद वेकंटरमन अक्सर अपने बेटे से मिलने सूचना के पास आता. लेकिन सूचना उसे बेटे से मिलने नहीं देती. अलगाव का ये मामला फिर अदालत तक जा पहुंच चुका. दोनों ने तलाक की अर्जी डाल दी. दोनों ही बेटे की कस्टडी चाहते थे.

वेंकटरमन ने कोर्ट में कई बार ये शिकायत की कि सूचना उसे उसके बेटे से मिलने नहीं देती. आखिरकार 2023 के खत्म होते होते बेंगलुरु की जिला कोर्ट ने दोनों के अलगाव पर अपना फैसला सुनाया. कानूनी तौर पर दोनों का तलाक हो गया. लेकिन इसके साथ ही अदालत ने एक और फैसला दिया. फैसला ये कि बेटा अपनी मां यानी सूचना के पास ही रहेगा. लेकिन वेंकटरमन महीने में चार बार हर संडे अपने बेटे से मिल सकते हैं. बस कोर्ट का यही फैसला सूचना को नागवार गुजरा. वो अपने पति से इस कदर नफरत करती थी कि उसके हिस्से खुशी का कोई पल आए, ये उसे बर्दाश्त नहीं था. और वेंकटरमन अपने बेटे से मिल कर हमेशा खुश हो जाते थे.

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कोर्ट के आदेश के बाद विदेश चले गए वेंकटरमन

सूचना सेठ फिर इसी उधेड़बुन में लग गई कि कैसे वो अपने पति की खुशियों को छीन ले. लेकिन इस खुशी के रास्ते में कोई और नहीं उसका अपना बेटा आ रहा था. सूचना को अपने पति और खुशियों से इस कदर नफरत थी कि नफरत की आग में उसकी ममता तक को जला डाला. अब वो मौके की तलाश में थी. इत्तेफाक से नए साल ने उसे ये मौका भी दे दिया. संडे की मुलाकात के कोर्ट के आदेश के बाद पहली बार वेंकटरमन काम के सिलसिले में विदेश चले गए. यानी सात जनवरी को पड़ने वाले संडे को वो अपने बेटे से नहीं मिल सकते थे. सूचना इस संडे को खोना नहीं चाहती थी. 
लिहाजा उसने शनिवार यानी छह जनवरी को ही बेंगलुरु छोड़ दिया और गोवा पहुंच गई. अपने बेटे के साथ. तीन दिन वो गोवा में रुकी. मासूम बेटे को तो पता ही नहीं था कि पति पत्नी का झगड़ा या तलाक क्या होता है. उसे मम्मी पापा दोनों चाहिए थे. लेकिन जब-जब उसके मुंह से पापा निकलता, तब-तब पति के लिए सूचना की नफरत और गहरी हो जाती. और इसी नफरत की आग में उसने 8 जनवरी की रात आठ से दस बजे के दरम्यान अपने ही हाथों से अपनी ममता का गला घोंट डाला.

पोस्टमार्टम में हुआ ये खुलासा

बता दें, बच्चे का पोस्टमार्टम किया जा चुका है. सरकारी अस्पताल हिरियुर के प्रभारी चिकित्सक डॉ. कुमार नाइक ने शव के पोस्टमार्टम के बाद हत्या का तरीका बताया है. उन्होंने बताया कि निश्चित रूप से बच्चे की हत्या करने के लिए किसी हथियार का प्रयोग किया गया होगा. यह हथियार तकिया या तौलिया हो सकता है, जिसका इस्तेमाल लड़के का गला घोंटने के लिए किया गया हो. जब डॉ. कुमार नाइक से पूछा गया कि बच्चे की मौत कितने घंटे पहले हुई होगी, तो उन्होंने बताया कि पोस्टमार्टम करने से करीब 36 घंटे पहले. क्या बच्चे के शव पर कोई अन्य खून के निशान थे? इस पर उन्होंने कहा कि शरीर पर कहीं अन्य खून का निशान नहीं है. गला घोंटने के दबाव से बच्चे के चेहरे की नसें उभर गई हैं.
 

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