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kolhapur serial killer sisters की सजा कम हुई, कोर्ट ने फांसी को उम्रकैद में बदला

kolhapur serial killer sisters: 2001 में कोर्ट ने दोनों बहनों का दोषी पाते हुए फांसी की सजा सुनाई थी. मामला बॉम्बे हाईकोर्ट चला गया था. हाईकोर्ट ने 2004 में दोनों की सजा को बरकरार रखा. ठीक ऐसा ही सुप्रीम कोर्ट ने भी 2006 में किया था.

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13 बच्चों को किडनैप कर उनमें से कई की जान लेने वालीं बहनें रेणुका शिंदे और सीमा गावित.
13 बच्चों को किडनैप कर उनमें से कई की जान लेने वालीं बहनें रेणुका शिंदे और सीमा गावित.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोर्ट ने माना- अधिकारियों की लापरवाही से याचिका लेट हुई
  • 2001 में दोनों बहनों को फांसी की सजा सुनाई गई थी

बच्चों का अपहरण कर उनसे भीख मंगवाने वालीं 2 बहनों को बॉम्बे हाईकोर्ट से राहत मिली है. कोर्ट ने उनकी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है. दोनों बहनों का नाम रेणुका शिंदे और सीमा गावित है.

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दोनों ने भीख मंगवाने के लिए 13 बच्चों का अपहरण किया था. इनमें से जिन बच्चों ने भीख मांगने से इनकार कर दिया. दोनों ने मिलकर उनकी हत्या कर दी.

2001 में कोर्ट ने दोनों बहनों का दोषी पाते हुए फांसी की सजा सुनाई थी. मामला बॉम्बे हाईकोर्ट चला गया था. हाईकोर्ट ने 2004 में दोनों की सजा को बरकरार रखा. ठीक ऐसा ही सुप्रीम कोर्ट ने भी 2006 में किया था. दोनों बहनों ने यह कहते हुए दोबारा कोर्ट का रुख किया था कि उनकी याचिका पर सुनवाई होने में देर हुई है. दूसरी तरफ महाराष्ट्र सरकार भी इनकी सजा बरकरार रखने की लगतार कोशिश कर रही थी. 

अधिकारियों की लापरवाही से याचिका में हुई देरी
जस्टिस नितिन जामदार और जस्टिस सारंग कोटवाल की बेंच ने महसूस किया कि इनकी याचिका पर कार्रवाई करने में बेवजह देरी की गई. राज्य सरकार के अधिकारियों ने लापरवाही बरतते हुए दया याचिका पर कोई निर्णय नहीं लिया. कोर्ट ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक युग में भी ऐसा होने पर आश्चर्य होता है. अपराधी बहनों का बच्चों की हत्या करना समझ से परे है. अपराध गंभीर है. इसमें सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है, लेकिन राहत पर विचार किया जाना चाहिए. अदालत ने बहनों के उस प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने 25 साल जेल काटने का हवाला देकर रिहा करने की अपील की थी.

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