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Amelia Dyer: ब्रिटेन की खौफनाक लेडी सीरियल किलर, जिसने 400 से ज्यादा बच्चों को मार डाला

3 अप्रैल 1896 का दिन, एक मछुआरा रोज की तरह अपनी नाव लेकर लंदन (London) की थेम्स नदी में मछलियां पकड़ रहा था. इसी दौरान उसके जाल में एक पैकेट फंसा. उसने पैकेट को खोला तो दंग रह गया. पैकेट में एक छोटी सी बच्ची का शव था. नाविक ने शव मिलने की की खबर पुलिस को दी. जिसके बाद इस एक लाश के कारण 400 से भी ज्यादा बच्चों की मौत का खुलासा हुआ. चलिए जानते हैं क्या है ये पूरी कहानी...

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अमेलिया डायर (फाइल फोटो)
अमेलिया डायर (फाइल फोटो)

आज हम बात करेंगे 1896 में ब्रिटेन में हुई एक खौफनाक घटना के बारे में. यह घटना बेबी फार्मिंग से संबंधित है. दरअसल, उन दिनों ब्रिटेन में कुछ लोग रुपये देकर अपने बच्चों की देखभाल के लिए उन्हें बेबी फार्मर्स के पास छोड़ दिया करते थे. इनमें से कुछ बेबी फार्मर्स ऐसे थे जो कि कुछ अवधि के लिए ही बच्चों की देखभाल करते थे. फिर तय समय के बाद उन्हें उनके परिजनों को सौंप देते थे. लेकिन कुछ बेबी फार्मर्स ऐसे भी थे जो कि पैसे लेकर हमेशा के लिए बच्चों को अपने पास रख लेते थे. फिर उन्हें किसी ऐसे जरूरतमंद को बेच देते थे जिनकी खुद की संतान नहीं होती थी. एक तरह से देखा जाए तो यह बच्चों का व्यापार ही था.

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लेकिन यहां एक एक बेबी फार्मर भी थी जिसने बच्चों की देखभाल के लिए लोगों से पैसे तो लिए. लेकिन बच्चों की देखभाल करने की बजाय उन्हें जान से ही मार डाला. Daily Mail की रिपोर्ट के मुताबिक, इस महिला ने 400 से भी ज्यादा बच्चों को पैसे के लालच में बेरहमी से मार डाला. कौन थी ये महिला और कैसे उसकी इन हरकतों का खुलासा हुआ चलिए जानते हैं विस्तार से...

4 अप्रैल 1896 का दिन, एक मछुआरे को थेम्स नदी में मछली पकड़ने के दौरान एक पैकेट में लिपटी छोटी सी बच्ची की लाश मिली. जिसकी उम्र एक साल से भी कम थी. उसकी गर्दन के चारों ओर एक सफेद टेप लिपटी हुई थी. देखने से लग रहा था कि बच्ची को इसी टेप से गला घोंटकर मारा गया है. साथ ही एक कागज भी लाश के साथ था जिसमें एक घर का पता लिखा हुआ था. मछुआरे ने तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दी. पुलिस ने लाश को कब्जे में ले लिया. फिर उस पते पर जा पहुंची जो उस कागज में लिखा हुआ था.

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यह पता था अमेलिया डायर (Amelia Dyer) नामक महिला का. पुलिस ने जैसे ही अमेलिया के घर में एंट्री ली तो उन्हें वहां इंसानी मांस की बदबू आई. उसके बाद पुलिस ने जब घर की तलाशी ली तो वहां उन्हें बहुत से टीकाकरण के कागजात और छोटे बच्चों के ढेर सारे कपड़े भी मिले. इसी के साथ उन्हें कुछ अखबारें मिलीं जिसमें पाया गया कि इस महिला ने श्रीमति हार्बिंग और श्रीमति स्मिथ सहित कई नामों से बेबी फार्मिंग के इश्तेहार छपवाए थे. उस घर में पुलिस को वैसे ही पेपर और टेप भी मिली जो कि उस बच्ची की लाश के पास बरामद हुई थी.

थेम्स नदी से मिली कई बच्चों की लाश
सबूत मिलते ही पुलिस ने ड्रैगिंग ऑपरेशन शुरू किया. उस ड्रैगिंग ऑपरेशन के दौरान पुलिस को नदी से और भी बच्चों की लाश मिलीं. जब लाशों की गिनती 50 तक पहुंची तो पुलिस ने अमेलिया से पूछा कि आखिर ये बच्चे हैं कौन और तुमने कितने बच्चों को इस तरह मारा है. अमेलिया ने बताया कि हर बच्चे की गर्दन के पास जो टेप लगी है उसी में बच्चे का नाम भी लिखा है. लेकिन उसने यह नहीं बताया कि उसने कितने बच्चों को मारा है. उसने बताया कि वह बच्चे के मुंह में टेप लगा देती थी. फिर गर्दन के चारों ओर टेप लगाकर गला घोंटकर उन्हें मार देती थी.

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24 साल की अमेलिया ने 59 साल के थॉमस से की शादी
अब पुलिस के सामने सवाल यह था कि आखिर अमेलिया ने इन बच्चों को क्यों मारा? फिर सख्ती से पूछताछ में अमेलिया ने पुलिस को अपनी कहानी बतानी शुरू की. उसने बताया कि उसका जन्म 1837 में हुआ था. वह 5 भाई बहनों में सबसे छोटी थी. उसकी मां की मानसिक हालत ठीक नहीं थी जिसके कारण उसका बचपन अच्छा नहीं बीता. वही उनकी देखभाल करती थी. फिर 1848 में उसकी मां की मौत हो गई. इसके बाद वह ब्रिस्टल में अपनी आंटी के पास रहने लगी. 1861 में जब वह 24 साल की हुई तो उसने जॉर्ज थॉमस (George Thomas) नामक शख्स से शादी कर ली. जॉर्ज की उम्र उस समय 59 साल थी. दोनों ने मैरिज सर्टिफिकेट में अपनी-अपनी उम्र झूठी लिखवाई. जॉर्ज ने अपनी उम्र 48. जबकि, अमेलिया ने अपनी उम्र 30 लिखवाई.

बेटी के लिए छोड़ी नर्सिंग की नौकरी
शादी के बाद अमेलिया ने नर्सिंग की ट्रेनिंग ली. जल्द ही उसकी नौकरी भी लग गई. अमेलिया ने फिर एक बेटी को जन्म दिया. जिसका नाम एलेन थॉमस बेटी की देखभाल के लिए उसके पास समय नहीं होता था. इसलिए उसने नर्सिंग की नौकरी छोड़ दी. सब कुछ ठीक चल रहा था. लेकिन 1869 में पति जॉर्ज थॉमस की मौत हो गई. इसके बाद अमेलिया को पैसों की और भी किल्लत होने लगी. पैसों के लिए उसने फिर बेबी फार्मिंग शुरू की. इसमें वह पैसे लेकर कुछ समय से लिए बच्चों की देखभाल करती थी. फिर तय समय अवधि के बाद बच्चों को लौटा देती थी.

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भुखमरी से हुई बच्चों की मौत
फिर 1872 में उसने ब्रिस्टल के शराब बनाने वाले मजदूर विलियम डायर से शादी की. उनके भी दो बच्चे हुए. जिनके नाम मैरी एन और वीलियम सैमुअल रखा गया. थोड़े ही समय बाद उसने विलियम डायर से भी तलाक ले लिया. अब उसे बेबी फार्मिंग से आए पैसों से ही अपने तीनों बच्चों को पालना पड़ रहा था. ऐसे में उसके मन में लालच आ गया और वह देखभाल के लिए छोड़े गए बच्चों की सेहत से खिलवाड़ करने लगी. वह उन्हें खाना नहीं देती. जिससे बच्चे भुखमरी का शिकार होकर मर जाते. कुछ समय तक तो सही चलता रहा. लेकिन जब एक बच्चे की मौत के बाद उसके माता-पिता ने जांच करवाई तो पता चला कि बच्चे की मौत अमेलिया की लापरवाही से हुई है. पुलिस तक बात पहुंची तो जांच में खुलासा हुआ कि इसी तरह काफी बच्चे अमेलिया की लापरवाही से मारे गए हैं.

6 महीने की जेल के बाद रिहा हुई अमेलिया
फिर 1879 में पुलिस ने अमेलिया को गिरफ्तार कर लिया. लेकिन उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत न होने के चलते 6 महीने के बाद उसे जेल से रिहा कर दिया गया. अब अमेलिया को समझ आ गया था कि अगर वह कुछ समय के लिए ही बच्चों को देखभाल के लिए रखती है तो वह बच्चो को मार नहीं सकती. इसलिए अब उसने अलग-अलग नामों से अखबारों में इश्तेहार देना शुरू किया. जिसमें उसने टेंपरेरी देखभाल की जगह बच्चों को हमेशा के लिए खरीदने की बात लिखवाई.

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बच्चों को मारकर नदी में फेंक देती थी
नाम अलग होने के कारण लोग भी अब अमेलिया को पैसे देकर बच्चे सौंप जाते. उन्हें लगता कि अमेलिया या तो हमेशा के लिए उनके बच्चों की देखभाल करेगी. या फिर उन्हें किसी जरूरतमंद को सौंप दिया करेगी. जिससे बच्चे का भविष्य बन जाए. लेकिन उन्हें नहीं पता था कि अमेलिया उनके बच्चों के साथ क्या करने वाली है. अब अमेलिया बच्चों को गोद लेने के कुछ ही घंटों बाद उन्हें मार डालती. फिर उनके शवों को नदी में फेंक देती थी. वहीं, कुछ बच्चों को दफना भी देती थी.

10 जून 1896 में फांसी पर लटकाया
अमेलिया का यह बयान सुनकर पुलिस भी दंग रह गई. उसने बताया कि उसे याद नहीं कि उसने कितने बच्चों को मारा है. Daily Mail के मुताबिक, पुलिस ने अनुमान लगाया कि अमेलिया ने 400 से भी ज्यादा बच्चों को मौत के घाट उतारा है. पुलिस ने भी अमेलिया को कोर्ट में पेश किया. सबूतों के चलते कोर्ट ने अमेलिया को फांसी की सजा सुनाई. जिसके बाद 10 जून 1896 में उसे फांसी पर लटका दिया गया. मौत से पहले उससे पूछा गया कि क्या आपको कुछ कहना है? तो अमेलिया के आखिरी शब्द थे 'मेरे पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं है.'

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