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विदेश भेजने का झांसा देकर ठगी करने का मास्टरमाइंड अरेस्ट, दुबई से चला रहा था रैकेट

विदेश भेजने के नाम पर लोगों से ठगी करने वाले रैकेट के मास्टरमाइंड को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. इस खेल का सरगना दुबई में छिपा हुआ था. हालांकि इस रैकेट के दो एजेंटों को पुलिस ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया था. लेकिन सरगना गौरव गोसाईं पुलिस की गिरफ्त से बाहर था. लेकिन पुलिस की उस पर नजर थी. शातिर गौरव जून-2022 में नेपाल के रास्ते सड़क मार्ग से अवैध रूप से भारत में दाखिल हुआ था. इसके बाद वह पुलिस के जाल में फंस गया.

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पुलिस ने शातिर मास्टरमाइंड को गिरफ्तार कर लिया है
पुलिस ने शातिर मास्टरमाइंड को गिरफ्तार कर लिया है

लोगों को विदेश भेजने का झांसा देकर ठगी करने वाले इंटरनेशनल इमिग्रेशन रैकेट के मास्टरमाइंड को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. जानकारी के मुताबिक इस केस में पुलिस दिल्ली और पंजाब से एक-एक एजेंट को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है.

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तीन यात्रियों से किया था 36 लाख में सौदा


पुलिस के मुताबिक 16 मार्च 2022 को तीन यात्री सुच्चा सिंह, सुरजीत सिंह और अमनदीप सिंह को पेरिस के लिए उड़ान भरनी थी. लेकिन संदिग्ध पाए जाने पर उन्हें फ्लाइट से उतार दिया गया था. इतना ही नहीं, उनके फ्रेंच वीजा भी संदिग्ध थे. इस मामले को एयरलाइंस द्वारा जर्मन दूतावास के ALO को भेजा गया था, जिसने जांच के बाद तीनों वीजा को फर्जी घोषित कर दिया था. इसके बाद मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई.

जांच के दौरान आरोपी सुच्चा सिंह, सुरजीत सिंह और अमनदीप सिंह को गिरफ्तार कर पुलिस ने पूछताछ की. इसमें आरोपियों ने खुलासा किया कि वे दिल्ली के उत्तम नगर निवासी गुरविंदर सिंह मोखा और पंजाब के रोपड़ निवासी संदीप कुमार नाम के एजेंटों के संपर्क में आए थे. उन्हें एजेंटों ने आश्वासन दिया था कि हर यात्री से 15 लाख रुपये लेकर फ्रांस का फर्जी वीजा दिया जाएगा. इसके एवज में कुल 45 लाख खर्च करने होंगे. हालांकि सौदा 36 लाख में तय हुआ था. तीनों आऱोपियों ने एजेंटों को 5 लाख का पेमेंट भी कर दिया था. एजेंटों ने उन्हें अपने सहयोगी और मास्टरमाइंड गौरव गोसाईं से मिलवाया. जो दुबई में बैठकर रैकेट चलाता है. 

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आरोपी सुशील को पेरिस भेजने की हुई थी डील


इसी तरह 24 मार्च 2022 को एक यात्री सुशील कुमार को एयर इंडिया की फ्लाइट से पेरिस की यात्रा करनी थी. लेकिन संदिग्ध पाए जाने पर एयरलाइंस के अधिकारियों ने उससे पूछताछ की. एयरलाइंस द्वारा मामला जर्मन दूतावास के एएलओ को भेजा गया था. जहां से वीजा को फर्जी घोषित कर दिया था. इस केस में भी मामला दर्ज किया गया था.

इस मामले में सुशील कुमार को गिरफ्तार किया गया. उसने पुलिस पूछताछ में बताया कि वह अपने भाई के माध्यम से एजेंट गौरव गोसाईं के संपर्क में आया था. जो कि घूमने के लिए  दुबई गया था और गौरव से मिला था. उसने 50 हजार रुपये का भुगतान भी किया था. डील की बाकी रकम गौरव के यूरोप पहुंचने पर दी जानी थी.

दुबई में छिपकर चला रहा था रैकेट


मास्टरमाइंड गौरव गोसाईं भारत से बाहर था. गौरव दुबई और यूएसए में छिपा था और अपने रैकेट को चलाने  के लिए अक्सर भारत आता था. उसका लुक आउट सर्कुलर जारी किया गया था, ताकि भारत में प्रवेश करते समय उसे गिरफ्तार किया जा सके. जून-2022 में गौरव गोसाईं नेपाल के रास्ते सड़क मार्ग से अवैध रूप से भारत में दाखिल हुआ. वह भारत में वर्चुअल इंटरनेशनल नंबरों का इस्तेमाल कर रहा था. टीम ने उसकी ट्रैकिंग की. टीम ने दिल्ली में गौरव गोसाईं के मूवमेंट को इंटरसेप्ट कर गिरफ्तार कर लिया.

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ग्रेजुएट है शातिर गौरव गोसाईं


आरोपी गौरव गोसाईं दिल्ली के तिलक नगर का रहने वाला है. वह इस रैकेट का मास्टरमाइंट है. शातिर ने दिल्ली विश्वविद्यालय से आर्ट में ग्रेजुएशन किया है. जल्दी पैसा कमाने के लिए साल 2015 में उसने फर्जी वीजा रैकेट का काम शुरू किया था. उसके भारत में कई एजेंटों से  संबंध हैं. वह उत्तर प्रदेश और गुजरात में भी ये खेल चला रहा था. 

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