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छत्तीसगढ़: कारोबारी ने की 12.5 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी, ऐसे दिया धोखाधड़ी को अंजाम

अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक मेसर्स अधिराज सीमेंट ने कई फर्जी कंपनियों के जरिए जारी बोकस बिलों के आधार पर लगभग 12 करोड़ 53 लाख रुपये का गलत इनपुट टैक्स हासिल किया है.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • छत्तीसगढ़ में जीएसटी चोरी का मामला
  • 12 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी
  • कारोबारी को किया गया गिरफ्तार

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में जीएसटी चोरी का एक बड़ा मामला सामने आया है. यहां 12 करोड़ रुपये से ज्यादा की जीएसटी चोरी मामले में कारोबारी शुभम सिंघल को गिरफ्तार किया गया है. आरोपी ने फर्जी बिलों के जरिए जीएसटी चोरी की वारदात को अंजाम दिया था.

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ज्वाइंट कमिश्नर श्रवण बंसल के निर्देश पर कारोबारी शुभम सिंघल की गिरफ्तारी की गई है. कारोबारी अधिराज सीमेंट का संचालक है. कारोबारी ने फर्जी कंपनी बनाकर लगभग 12 करोड़ 53 लाख रुपये की जीएसटी चोरी की है. छत्तीसगढ़ में जीएसटी चोरी के मामले में कारोबारी शुभम सिंघल की गिरफ्तारी यह साफ करती है कि किस तरह से केंद्रीय जीएसटी और केंद्रीय उत्पाद शुल्क के अधिकारियों की पैनी नजर प्रदेश के बड़े कारोबारियों पर बनी हुई है. 

अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक मेसर्स अधिराज सीमेंट ने कई फर्जी कंपनियों के जरिए जारी बोकस बिलों के आधार पर लगभग 12 करोड़ 53 लाख रुपये का गलत इनपुट टैक्स हासिल किया है. वहीं जब्त किए गए दस्तावेजों की जांच अभी जारी है. हालांकि शुरुआती जांच में पाया गया है कि अधिराज सीमेंट ने फर्जी फॉर्म मेसर्स यूनाइटेड इस्पात रायपुर के जरिए जारी 82 करोड़ 10 लाख रुपये बोकस बिलों पर करीब 12 करोड़ 53 लाख रुपये फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल किया और उससे जीएसटी अदायगी के लिए गलत उपयोग किया गया.

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मेसर्स यूनाइटेड इस्पात फर्जी कंपनी

मेसर्स यूनाइटेड इस्पात रायपुर एक फर्जी कंपनी है, जिसके नाम का उपयोग केवल बोकस बिलों को जारी करने के लिए किया गया. जांच के दौरान पाया गया कि अधिराज सीमेंट के जरिए जानबूझकर बोकस बिलों का उपयोग गलत रूप से किया गया.  बोकस बिलों का उपयोग जीएसटी की धारा 132 के तहत दंडनीय अपराध है. इस मामले में शुभम को वस्तु एंव सेवा कर अधिनियम की धारा 69(1) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है.

दस्तावेज जब्त

ज्वाइंट कमिश्नर श्रवण बंसल के मुताबिक शुभम सिंघल ने तकरीबन 80 करोड़ रुपये के बोकस बिलों के माध्यम से सरकार को करीब साढ़े 12 करोड़ से ज्यादा का नुकसान पहुंचाया है. पहले दो दिन सर्चिंग की कार्रवाई की गई और अब आखिरकार उसे गिरफ्तार कर लिया गया है. फर्जी कंपनी मेसर्स यूनाइटेड इस्पात के नाम से बिल बनाए गए थे. फिलहाल दस्तावेज जब्त कर लिए गए हैं.

 

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