हाथरस के जिस गांव में दलित युवती के साथ कथित तौर पर गैंगरेप और हिंसा की वारदात को अंजाम दिया गया वहां जातीय दबंगई का बोलबाला है. इस मामले में पीड़िता का ताल्लुक दलित समुदाय के बाल्मीकि समूह से था.
इस मामले में पीड़िता की जिंदगी की कहानी भारत के सामान्य गांव में पलने-बढ़ने वाली एक आम लड़की की तरह ही है. गरीबी और दूसरे सामाजिक कारणों की वजह से 19 साल की पीड़िता मात्र तीसरी कक्षा तक ही पढ़ पाई थी. उसकी पढ़ाई-लिखाई उसके घर से मात्र 100 मीटर दूर एक स्कूल में हुई.
इसके बाद बच्ची की पढ़ाई रुक गई थी, वह अपने ग्रामीण जीवन में रम गई थी. लड़की अपनी मां और छोटे भाई के बेहद करीब थी. पड़ोसी बताते हैं कि वह एक मेहनती लड़की थी और उसका ज्यादा किसी से वास्ता नहीं था. उसकी अपनी तीन बहनें ही उसकी सखी-सहेली थीं और उसे अपने घर में ही रहना पसंद था. लड़की के दो भाई भी थे. लड़की के एक पड़ोसी ने आजतक से कहा कि वह एक सामान्य और घरेलू लड़की थी. वह खेतों में काम करती, भैसों को दुहती और दूसरे घरेलू काम करती थी.
पड़ोसी बताते हैं कि खेतों में वह 3-4 घंटे काम करती और जानवरों के लिए चारे का जुगाड़ करती. इस दौरान उसकी मां भी उसके साथ ही होती थी. इसके बाद वह घर आती और परिवार के लिए खाना बनाती.
14 सिंतबर को हाथरस जिले के चंदपा थानाक्षेत्र में 19 साल की पीड़िता के साथ गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया गया. लड़की का पहले अलीगढ़ में इलाज हुआ, इसके बाद उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया. 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान लड़की की मौत हो गई.
हाथरस पुलिस ने इस मामले में चार आरोपियों संदीप, रामू, लवकुश और रवि को गिरफ्तार किया है. पुलिस के मुताबिक चारों का ताल्लुक अगड़ी जाति से है. 22 साल का संदीप सिंह नाम का आरोपी इंटरमीडिएट पास है और वह पीड़िता के घर के पास ही रहता है.
आस-पास के लोग कहते हैं कि संदीप सिंह पीड़िता को गलत नजरों से देखा करता था. पीड़िता की मां भी इस बात की पुष्टि करती है. उन्होंने कहा कि ये लड़के मेरी बेटी के साथ बदतमीजी करते थे. मेरी बेटी सुंदर थी, संदीप उसके पीछे पड़ा रहता था. हमने संदीप के परिवार से इसकी शिकायत भी की थी, लेकिन उन्होंने हमें वापस लौटा दिया.
(हाथरस से तनुश्री पांडे के इनपुट के साथ)