सरकारें कानून बनाकर चाहे जितने दावे कर लें, बाल मजदूरी पर लगाम नहीं लग पा रही है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के नरेला इलाके में छापेमारी कर एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने 61 बाल मजदूरों को मुक्त कराया. एनजीओ ने प्रशासन के सहयोग से छापेमारी कर दो फैक्ट्रियों में काम कर रहे इन 61 मासूम बाल श्रमिकों को मुक्त कराया.
जानकारी के मुताबिक नरेला के औद्योगिक इलाके में स्थित एक जूता बनाने की फैक्ट्री और एक गीजर फैक्ट्री में बाल मजदूरों से काम कराए जाने की शिकायत मिल रही थी. इन शिकायतों के आधार पर एक एनजीओ ने इन्हें मुक्त कराने के लिए प्रशासन से सहयोग मांगा. एनजीओ के सदस्यों ने प्रशासन के सहयोग से इन फैक्ट्रियों में छापेमारी की. छापेमारी के दौरान इन फैक्ट्रियों में काम करते बच्चे नजर आए.
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बाल मजदूरों को एनजीओ और प्रशासन की टीम ने रेस्क्यू किया. रेस्क्यू किए गए इन 61 बच्चों में 13 लड़कियां शामिल हैं. इन बच्चों की उम्र 12 से 17 साल के बीच बताई जा रही है. आरोप है कि एनजीओ और प्रशासन ने जिन 61 बच्चों को रेस्क्यू किया है, उन बच्चों से इन फैक्ट्रियों में पिछले दो साल से बंधुआ मजदूर की तरह काम लिया जा रहा था. एनजीओ ने दोनों फैक्ट्रियां सील कर इनके मालिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.
गौरतलब है कि बच्चों को प्रतिदिन के हिसाब से 100 से 150 रुपये दिहाड़ी दी जाती थी. सस्ते श्रम के लिए फैक्ट्रियों में बच्चों से काम कराया जा रहा था. ये सभी बच्चे बिहार के निवासी बताए जा रहे हैं.
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