उत्तर पूर्व दिल्ली में दंगे भड़काने में कथित भूमिका के लिए राजनेताओं सहित कई लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग करने वाली कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है. इस दौरान HC ने पार्टियों से पूछा आपराधिक मामलों में जनहित याचिकाओं का दायरा क्या है?
उच्च न्यायालय - क्या वे वही लोग हैं, जिनके खिलाफ आरोप लगाए गए हैं, क्या वही लोगल इस मामले में पक्षकार हैं? क्या हम वास्तव में उनकी बात सुने बिना उन्हें गिरफ्तार करने की आपकी याचिका पर आगे बढ़ सकते हैं?
याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने भी इस मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस पर सवाल खड़े किए हैं. कॉलिन ने कहा कि हमें इन मामलों की जांच करने वाली दिल्ली पुलिस पर भरोसा नहीं है. दिल्ली पुलिस ने दंगों में सक्रिय भूमिका निभाई. उनकी शालीनता दिखाने वाले वीडियो मौजूद हैं.
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इससे पहले अजय गौतम हाई कोर्ट के सामने पेश हुए और कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है. अजय गौतम ने कहा कि एक 7 साल की बच्ची कह रही थी 'हम मोदी और शाह को मार के रहेंगें'
हाई कोर्ट - मिस्टर गौतम यह बयानबाजी है. कार्यवाही को सनसनीखेज न बनाएं और इसे पूरी तरह से किसी और चीज के लिए एक मंच ना बनाएं.
अजय गौतम - मैं फिर कहता हूं कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला था. दिल्ली को बंधक बनाया गया था.
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हाई कोर्ट - अजय गौतम और उनकी भावनाओं को देखते हुए बताना चाहते हैं कि हम यहां केवल मुश्किल मामलों को ही देख सकते हैं. इसी तरह ये मामले पूरी तरह से उलझ जाते हैं.
हाई कोर्ट - अजय गौतम की याचिका का अन्य याचिकाओं से कोई लेना-देना नहीं है. हम इसे अलग करेंगे और इसे अलग से सुनेंगे. वह एक अलग घटना की बात कर रहे हैं. वो कह रहे हैं कि यह अंतरराष्ट्रीय साजिश है.
इसके बाद हाई कोर्ट के जज इस मामले पर आपस में चर्चा करने के लिए ब्रेक पर चले गए.