देश की सबसे बड़ी अदालत ने दहेज उत्पीड़न और दहेज हत्या के मामले में आरोपी 80 वर्षीय महिला की अपील को खारिज कर दिया. आरोपी महिला की की बहू ने उत्पीड़न से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी. अब आरोपी महिला को सजा भुगतनी होगी.
मंगलवार को एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में आत्महत्या करने वाली एक महिला की सास (80 वर्षीय) सहित तीन लोगों की सजा को बरकरार रखा है. हालांकि शीर्ष अदालत ने आरोपी सास की उम्र को देखते हुए उसकी सजा को एक साल से घटाकर तीन महीने कर दिया है.
इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा 'यह एक बहुत गंभीर अपराध है, जब एक महिला अपनी बहू के साथ क्रूरता करती है. जब एक महिला दूसरी महिला की रक्षा नहीं करती है, तो बाद में हर बहू असुरक्षित हो जाएगी.'
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फैसले में जस्टिस एम.आर. शाह और बी.वी. नागरत्ना की बेंच ने कहा 'एक महिला होने के नाते अपीलकर्ता यानी उस सास को अधिक संवेदनशील होना चाहिए था. अगर एक महिला यानी सास, दूसरी महिला की रक्षा नहीं करती है, तो दूसरी महिला यानी बहू असुरक्षित हो जाएगी.'
अदालत ने कहा 'चूंकि पीड़िता का पति भी विदेश में रह रहा था, और पीड़िता अपने ससुराल वालों के साथ अकेली रह रही थी, इसलिए सास और उसके परिवार का कर्तव्य था कि वह अपनी बहू को परेशान करने के बजाय उसकी देखभाल करती और उसे प्रताड़ित ना करती.'
आरोपी महिला चेन्नई की रहने वाली मीरा है. जिसकी उम्र अब 80 साल है. उसे अपनी बहू के साथ क्रूरता करने के लिए कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी. उसकी बहू ने 2006 में आत्महत्या कर ली थी. घटना के समय आरोपी मीरा की उम्र लगभग 63 वर्ष थी. अब उसे 3 महीने जेल में बिताने पड़ेंगे.