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कमांडर की हत्या का बदला और ईरानी साजिश... चार साल पहले की गई डोनाल्ड ट्रंप पर हमले की प्लानिंग?

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हत्या की साजिश को लेकर एक बड़ा दावा किया जा रहा है. उसके मुताबिक ट्रंप की जान का दुश्मन कोई और नहीं बल्कि ईरान है. इसकी भनक खुफिया एजेंसियों को लग चुकी थी. इसके बाद सीक्रेट सर्विस ने ट्रंप की सुरक्षा को बढ़ा दिया है.

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डोनाल्ड ट्रंप की हत्या की साजिश को लेकर एक बड़ा दावा किया जा रहा है.
डोनाल्ड ट्रंप की हत्या की साजिश को लेकर एक बड़ा दावा किया जा रहा है.

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हुए जानलेवा हमले के बाद एक बड़ा खुलासा हुआ है. दावा किया जा रहा है कि अमेरिकी अधिकारियों को जानकारी मिली थी ईरान ट्रंप की हत्या की साजिश रच रहा है. हालांकि, इस बात का कोई संकेत नहीं है कि शनिवार को थॉमस मैथ्यू क्रुक्स ने पूर्व राष्ट्रपति की हत्या के इरादे से गोली चलाई वो इस षड्यंत्र से जुड़ा था या नहीं. 

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एक अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी ने कहा है कि सीक्रेट सर्विस और ट्रंप के चुनाव अभियान पर नजर रख रही एजेंसियों को शनिवार की रैली से पहले खतरे के बारे में पता चल गया था. उस अधिकारी ने सीएनएन को बताया कि इस खतरे से ट्रंप की टीम को भी आगाह किया गया. बढ़ते खतरे को देखते हुए सीक्रेट सर्विस ने ट्रंप की सुरक्षा में इजाफा किया था.

इसके बाद पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प की सुरक्षा चाक-चौबंद की गई, लेकिन शनिवार को हमला हो गया. सीक्रेट सर्विस के अधिकारियों ने ट्रम्प के चुनाव का इंतजाम देखने वालों को बताया था कि वो बार-बार बाहर खुली जगहों पर रैलियां करने से बचें. ऐसी जगहों पर खतरा ज्यादा होता है. हालांकि, इस पूरे मामले में एफबीआई ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी के प्रवक्ता एड्रिएन वॉटसन ने कहा कि शूटर थॉमस मैथ्यू क्रूक्स और किसी अन्य के बीच फिलहाल कोई ज्ञात संबंध की जानकारी नहीं है. बताया जा रहा है कि ट्रंप के खिलाफ ईरान की साजिश जनवरी 2020 के बाद ही शुरू हो गई थी. इसी समय ईरानी सेना के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या हुई थी.

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यह हत्या अमेरिकी सेना के हमले में हुई थी. ईरान ने सुलेमानी की हत्या का बदला लेने की कसम खाई थी. यही वजह है कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर काम करने वाले ट्रम्प प्रशासन के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों को सरकार छोड़ने के बाद भी कड़ी सुरक्षा मिली हुई है. साल 2022 में डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में तैनात जॉन बोल्टन की हत्या कर दी गई थी.

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न्याय विभाग ने बोल्टन की हत्या की साजिश रचने के आरोप में IRGC के एक सदस्य के खिलाफ आपराधिक आरोपों की घोषणा की थी. अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि बोल्टन के खिलाफ की गई कार्रवाई सुलेमानी की हत्या का बदला लेने के लिए की गई थी. ट्रंप ही नहीं पूर्व विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो भी ईरानी हत्या की साजिश के निशाने पर थे. 

इस मामले से जुड़े कई स्रोत बताते हैं कि महीनों से ईरान पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उनके खास अधिकारियों की हत्या करने का प्रयास कर रहा है. ये खतरा अब कई गुना बढ़ गया है. अपने उपर हुए जानलेवा हमले के बाद ट्रंप ने बताया था कि उनके दाएं कान के ऊपरी हिस्से पर गोली लगी थी. उन्होंने सीक्रेट सर्विस और दूसरी कानूनी एजेंसियों का शुक्रिया कहा था. 

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उन्होंने एक बयान में कहा था, ''गोली मेरी त्वचा को छूकर निकल गई. बहुत सारा ख़ून निकल गया. मुझे एहसास हुआ कि क्या कुछ हो रहा है. ये अविश्वसनीय है कि हमारे देश में इस तरह की हरकतें हो सकती हैं.'' इस हमले को लेकर सीक्रेट सर्विस ने भी बयान जारी किया है. उसकी तरफ से कहा गया है कि हमलावर ने रैली की जगह से बाहर एक ऊंची जगह से फायरिंग की थी.

बताते चलें कि यूनाइटेड स्टेट सीक्रेट सर्विस की स्थापना अमेरिकी राष्ट्रपति की सुरक्षा करने के लिए की गई थी. व्हाइट हाउस, बड़े अधिकारियों, बड़े नेताओं के साथ पूर्व राष्ट्रपतियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी सीक्रेट सर्विस के पास होती है. इसके एजेंट खतरे से पहले ही उसका आकलन कर लेते हैं. किसी अनहोनी को होने से पहले ही रोकने के लिए जाने जाते हैं.

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