जीएसटी और डीआरआई ने फर्जी कंपनियां बनाकर फेक इन्वॉयस जारी करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है. इस पूरे कांड में 362 करोड़ रुपए कि जीएसटी चोरी सामने आई है. डाटा माइनिंग के उपरांत शक के दायरे में आईं दो कंपनियों के ठिकानों पर अधिकारियों द्वारा छापेमारी की गई. इस छापेमारी में 200 से अधिक कंपनियों की फाइलें, मोबाइल फोन, डिजिटल सिग्नेचर, डेबिट कार्ड्स, सिम कार्ड्स, आधार कार्ड, पैन कार्ड, पेन ड्राइव, ऑफिसों की चाबियां, चेक बुक, रबर की मोहर और कच्चा रिकॉर्ड प्राप्त हुआ.
इसके उपरांत विस्तृत जांच करने पर पता चला कि इस नेटवर्क का समस्त डाटा विदेशों में स्थित सर्वर के माध्यम से क्लाउड में सुरक्षित रहता है डाटा एनालिसिस और साक्ष्यों से पता चला कि इस नेटवर्क में 275 अस्तित्वहीन कंपनियां हैं जो सिर्फ पेपरों में अस्तित्व में हैं . इन कंपनियों द्वारा कुल 3189 करोड़ों रुपए कि फर्जी बिल जारी किए गए.
दरअसल इन 3 आरोपियों का गिरोह एनसीआर में सभी कंपनियों के नाम पतों पर जालसाजी कर रहा था. जांच में सामने आया है कि 275 फर्जी कंपनियों के दस्तावेजों में सभी पते गाजियाबाद, गौतम बुद्धनगर, दिल्ली के मिले हैं. डीआरआई अधिकारियों ने बताया कि रेडीमेड गारमेंट का कारोबार कर जालसाज पिछले कई सालों से फर्जी बिल काट रहे हैं.
गिरोह का सरगना टिंकू यादव गाजियाबाद का ही रहने वाला है. गिरोह में शामिल टिंकू यादव फर्जी कंपनियों को तैयार करने का काम करता है. डीआरआई अधिकारियों ने बताया कि लोगों से फर्जीवाड़ा करके उनके आधार कार्ड और पैन कार्ड ले लेता था और उनका प्रयोग करके फर्जी कंपनियां बनाता था. टिंकू यादव के बयान और जांच मे सामने आए तथ्यों के आधार पर इस गिरोह के मास्टरमाइंड विपिन कुमार गुप्ता और योगेश मित्तल को गिरफ्तार किया गया.
डीआरआई के अधिकारियों की माने तो गैंग का दूसरा आरोपी विपिन कुमार गुप्ता दुबई से जीएसटी के फर्जीवाड़े का गिरोह ऑपरेट करता था. कुछ दिन पहले ही ये दुबई से गाजियाबाद लौट कर आए था. पुलिस ने उसका पासपोर्ट सीज़ कर दिया था. वो भागना चाहता था लेकिन वह मजबूर था. उसके पास पासपोर्ट नहीं था. जिसकी खबर जीएसटी अधिकारियों को हो चुकी थी और विपिन गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया. डीआरआई के मुताबिक विपिन कुमार गुप्ता और योगेश मित्तल पहले भी डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआई) द्वारा गिरफ्तार किए जा चुके हैं. इन दोनों के खिलाफ ईडी भी जांच कर रही है. डीआरआई अधिकारियों का कहना है कि यह सीरियल ऑफेंडर हैं.