scorecardresearch
 

मुंबई: फर्जी वैक्सीनेशन मामले में 9वीं FIR दर्ज, दो डॉक्टरों समेत 4 के खिलाफ केस

कांदिवली के हीरानंदानी वैक्सीनेशन मामले में आज सभी आरोपियों को बोरीवली के कोर्ट में पेश किया गया. जहां शिवम अस्पताल के डॉक्टर शिवराज पठारिया और उनकी पत्नी नीता पठारिया और कल गिरफ्तार डॉक्टर मनीष त्रिपाठी को 4 जुलाई तक पुलिस रिमांड मिली है जबकि बाकी अन्य आरोपियों को जेल कस्टडी में भेज दिया गया है.

Advertisement
X
मुंबई फर्जी वैक्सीनेशन मामले में 9वीं एफआईआर दर्ज (फोटो-PTI)
मुंबई फर्जी वैक्सीनेशन मामले में 9वीं एफआईआर दर्ज (फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • हीरानंदानी वैक्सीनेशन मामले में आज सभी आरोपियों की हुई पेशी
  • कल गिरफ्तार डॉक्टर मनीष त्रिपाठी को 4 जुलाई तक पुलिस रिमांड

मुंबई में फर्जी वैक्सीनेशन मामले में समता नगर पुलिस ने एक और एफआईआर दर्ज की है. यह एफआईआर दो डॉक्टरों और उसके दो स्टूडेंट्स के खिलाफ दर्ज की गई है. उन पर बिना बीएमसी के परमिशन के कैंप लगाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है.

Advertisement

बता दें कि यह मुंबई फर्जी वैक्सीनेशन मामले में नौवीं एफआईआर है. इससे पहले 8 एफआईआर दर्ज हो चुकी है.

प्राप्त जानकारी के मुताबिक समता नगर पुलिस ने एक शिकायत के बाद आरोपी डॉक्टर मनीष त्रिपाठी, एक और डॉक्टर और मनीष के 2 स्टूडेंट्स को बिना बीएमसी परमिशन फेक वैक्सीनेशन कैंप लगाने के मामले में केस दर्ज किया है. इससे पहले अब तक कांदीवली, बोरीवली, नौपाडा, वर्सोवा, खार, भोईवाड़ा और बांगुर नगर पुलिस ने फेक वैक्सीनेशन रैकेट में मामला दर्ज किया है.

हीरानंदानी वैक्सीनेशन मामले में कोर्ट में पेशी

कांदिवली के हीरानंदानी वैक्सीनेशन मामले में आज सभी आरोपियों को बोरीवली के कोर्ट में पेश किया गया. जहां शिवम अस्पताल के डॉक्टर शिवराज पठारिया और उनकी पत्नी नीता पठारिया और कल गिरफ्तार डॉक्टर मनीष त्रिपाठी को 4 जुलाई तक पुलिस रिमांड मिली है बाकी अन्य आरोपियों को  जेल भेज दिया गया है.

Advertisement

कैंप में लगाई 390 लोगों को वैक्सीन

मालूम हो कि हीरानंदानी सोसाइटी में 30 मई को वैक्सीनेशन कैंप लगाया गया था. इसमें 390 लोगों को कोविशील्ड लगाई गई. कहानी तब शुरू हुई जब एक भी लोगों में वैक्सीन का साइड इफेक्ट नजर नहीं आया. इसके बाद से ही सवाल उठने लगे कि कहीं लोगों को फर्जी वैक्सीन तो नहीं लगा दी गई? सवाल इसलिए भी उठे क्योंकि वैक्सीन लगने के तुरंत बाद लोगों को सर्टिफिकेट भी नहीं मिला.

चौंकाने वाली बात ये रही है कि 10 दिन बाद कुछ लोगों को सर्टिफिकेट मिलने लगे लेकिन इन पर अलग-अलग अस्पतालों का नाम था. वहीं जिन अस्पतालों के नाम से वैक्सीनेशन कैंप लगाए गए उनका कहना था कि उन्होंने सोसाइटी में ऐसा कोई कैंप ही नहीं लगाया. 

Advertisement
Advertisement