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स्कूल फीस ना भर पाने पर पिता और दो बेटियाें ने की खुदकुशी, जानें गोरखपुर की दर्दनाक कहानी

गोरखपुर में आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते पिता और दो बेटियों ने दुपट्टे से फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली. जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि करीब पांच महीने से दोनों बच्चियों की स्कूल फीस भी नहीं भरी जा पा रही थी. सुसाइड नोट में लिखा है कि हमारे मरने के बाद घर में रखे दोनों तोते को छोड़ दिया जाए.

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पिता और दो बेटियों ने घर में लगाई फांसी (फाइल-फोटो)
पिता और दो बेटियों ने घर में लगाई फांसी (फाइल-फोटो)

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से एक दर्दनाक घटना सामने आई है. यहां एक परिवार के तीन लोगों ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली. इस घटना के बाद से इलाके में सनसनी फैल गई. बताया जा रहा है कि मृतक परिवार की आर्थिक स्थिति खराब थी. जिस कारण  पिता और दो नाबालिग बेटियों ने दुपट्टे से फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली.फॉरेंसिक टीम जांच के लिए मौके पर पहुंची और तीनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजकर मामले की जांच शुरू कर दी है. 

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यह घटना शहर के शाहपुर इलाके के गीता वाटिका स्थित घोसीपुरवा की है. जितेंद्र श्रीवास्तव (45) अपनी दो बेटियों और पिता ओम प्रकाश के साथ रहते थे. जितेंद्र घर पर ही सिलाई का काम करते थे. 1999 ट्रेन हादसे में उनका दायां पैर कट गया था.  वो कृत्रिम पैर के सहारे घर में ही सिलाई का काम करते थे जबकि उनकी पत्नी सिम्मी की दो साल पहले 2020 में कैंसर से मौत हो गई थी.  उनकी दोनों बेटियां मान्या श्रीवास्तव (16) और मानवी श्रीवास्तव (14) आवास विकास स्थित सेन्ट्रल एकेडमी में कक्षा नौ और सात में पढ़ती थीं.पुलिस को पता चला कि करीब पांच महिनों से दोनों बच्चियों की फीस भी नहीं भरी गई थी. 37000 हजार रुपये बकाया था.  

मृतक जितेंद्र के पिता ओम प्रकाश श्रीवास्‍तव ने बताया कि मंगलवार सुबह सात बजे  नाइट ड्यूटी खत्म कर लौटे तो उन्होंने घर का मुख्य दरवाजा खुला देखा. अंदर जाकर उन्होंने देखा तो अलग-अलग कमरे में बेटा जितेंद और पोती 16 वर्षीय मान्या और 14 वर्षीय मानवी का शव फंखे से लटक रहे थे. वो चीखते हुए बाहर आए और  घटना की जानकारी पड़ोसियों के साथ ही शाहपुर थाना पुलिस को दी.

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एसएसपी डॉक्टर गौरव ग्रोवर ने बताया कि घटना से जुड़े सभी पहलुओं की जांच चल रही है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद स्थिति साफ होगी. परिवार और उनके पिता से बातचीत में आर्थिक तंगी और कर्ज में डूबे होने की बात सामने आ रही है. दोनों बच्चियों की पांच-पांच महीने की स्कूल फीस बकाया थी.  जितेंद्र की दोनों बेटियां पढ़ने में काफी होशियार थीं. चार उन्होंने घर पर चार साल पहले दो तोते पाले थे. जिनका नाम उन्होंने पैब्लो और लीली रखा था.

पुलिस को घर में दोनों तोते कपड़े से ढकें मिले. पास में सुसाइड नोट भी मिला जिस पर लिखा हुआ था कि हमारे मरने के बाद दोनों तोते को छोड़ दिया जाए. बताया जा रहा है कि जब परिवार के लोगों ने तोतों को बाहर निकालकर उड़ाने की कोशिश की तो तोते नहीं उड़े. पुलिस ने दोनों तोते को कब्जे में ले लिया है. इस मामले की कई एंगल से जांच कर रही है. 

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