scorecardresearch
 

27 घंटे, सबसे सुरक्षित बैंक और 900 करोड़ की लूट... जब फोटोग्राफर की साजिश ने मचाई सनसनी

कहानी फ्रांस में हुई उस बैंक रॉबरी की जिसमें डकैतों ने 27 घंटे तक लूटपाट की और इसकी भनक किसी को भी नहीं लगी. उस बैंक को सबसे सुरक्षित बैंक माना जाता था. कारण था उसके मेन गेट में लगा सिक्योरिटी वॉल्ट और बैंक की मजबूत दीवारें. लेकिन डकैतों ने इतनी चालाकी से इस बैंक लूट को अंजाम दिया जिसकी कल्पना किसी ने भी नहीं की थी.

Advertisement
X
27 घंटे तक लूटा बैंक.
27 घंटे तक लूटा बैंक.

19 जुलाई 1976... फ्रांस का नीस (Nice) शहर... यहां रोजाना की तरह सुबह के समय सोसायटी जनरल (Societe Generale) बैंक में कर्मचारी पहुंचना शुरू हो गए थे. यह बैंक उस समय दुनिया का सबसे सिक्योर्ड बैंक माना जाता था. क्योंकि यहां सुरक्षा के लिए सबसे मजबूत वॉल्ट था. यही कारण था कि यहां चोरी होना लगभग नामुमकिन था.

Advertisement

रोज यहां बैंक के वॉल्ट को अनलॉक करके पहले दरवाजा खोला जाता. फिर उसके बाद कर्मचारी बैंक के अंदर जाते. उस दिन भी कर्मचारी बैंक के वॉल्ट को खोलने की कोशिश करने लगे. लेकिन वो नहीं खुला. बता दें, इस वॉल्ट का वजन करीब 20 टन था. पहले भी कई बार इस दरवाजे को खोलने में दिक्कत आ चुकी थी. दरअसल, इसके अंदर का लॉक अक्सर जाम हो जाता था. जिसे वॉल्ट बनाने वाली कंपनी की मदद से खुलवा लिया जाता था.

उस दिन भी बैंक कर्मचारियों को लगा कि शायद इसका लॉक अंदर से जाम हो गया है. फिर उन्होंने दोबारा वॉल्ट बनाने वाली कंपनी को इसकी सूचना दी. आधे ही घंटे के बाद कंपनी के एक्सपर्ट्स बैंक पहुंच गए. उन्होंने इस दरवाजे को खोलने की कोशिश की. लेकिन हैरानी की बात यह थी कि इस बार उनसे भी यह दरवाजा नहीं खुला. उन्होंने कई बार इसे खोलने की कोशिश की. लेकिन नाकामयाब रहे.

Advertisement

उधर, बैंक के बार ग्राहकों की भी भीड़ लग गई थी. आखिरकार 3 घंटे बाद बैंक कर्मचारियों और वॉल्ट कंपनी के एक्सपर्ट्स ने तय किया कि दरवाजे में ड्रिल से छेद करते देखा जाएगा कि आखिर वॉल्ट खुलने में दिक्कत कहां आ रही है. वॉल्ट के दरवाजे पर किसी फोर्स एंट्री के निशान भी नहीं थे, जिससे कि यह लग सके कि किसी ने उसे खोला हो या खोलने की कोशिश की हो.

हेवी ड्यूटी ड्रिल से जब छेद करके दरवाजे के अंदर देखा गया तो सभी के होश उड़ गए. दरअसल, वॉल्ट के दरवाजे को किसी ने वेल्ड करके अंदर से बंद कर दिया था. यह मंजर देखकर बैंक कर्मचारियों का हैरान होना लाजमी था. क्योंकि वॉल्ट के दरवाजे के अंदर जाने का बस एक ही रास्ता था. इसके न ही इसके अंदर कोई रोशनदान था और न ही कोई खिड़की. वॉल्ट को अनलॉक करके की दरवाजा खुल सकता था. तो आखिर इसे अंदर से किसने वेल्ड करके बंदर कर दिया था? यह सवाल सबके मन में था.

फिर तय किया गया कि दीवार में बड़ा छेद करके अंदर जाया जाए. लेकिन यह दीवारें भी काफी मजबूत थीं. इन दीवारों में छेद कर पाना काफी मुश्किल भरा था. इसमें लोहा भी लगा हुआ था. खैर कई घंटों की मेहनत के बाद इसमें इतना बड़ा छेद हो गया कि एक इंसान अब आसानी से अंदर जा सकता था.

Advertisement

'लुट चुका था पूरा बैंक'

जब अंदर का मंजर देखा गया तो सभी के होश ही उड़ गए. बैंक में चोरी हो चुकी थी. कुछ लॉकर्स टूटे तो कुछ खुले पड़े थे. वहीं, दीवार पर स्प्रे से कुछ अल्फाज लिखे हुए थे. जो कि फ्रेंच भाषा में थे. दीवार पर लिखा था 'Sans armes sans haine et sans violence' जिसका मतलब है, बिना हथियार के, बिना नफरत के और बिना किसी हिंसा के.

बैंक कर्मचारियों ने देखा कि वहां जमीन पर एक सुरंग बनी हुई है. अब आगे का काम पुलिस का था. पुलिस मौके पर पहुंच चुकी थी. डकैत बैंक में मौजूद पैसा और सोना लेकर फरार हो गए थे. जो सुरंग उन्होंने बनाई थी वो शहर के सबसे बड़े अंडरग्राउंड सीवरेज लाइन में जाकर निकली. पुलिस को मौके से काफी सामान मिला जिसे लुटेरों ने लूट के लिए इस्तेमाल किया था. इसमें 27 गैस सिलेंडर भी थे. जिसकी मदद से डकैतों ने वेल्डिंग टॉर्च जलाई थी.

न सिर्फ इतना. उन्होंने सीवरेज लाइन में ताजा हवा के लिए वेंटिलेशन उपकरणों का भी इस्तेमाल किया था. Guardian के मुताबिक, ये लूट 20 मिलियन डॉलर से भी ज्यादा की थी. जिसकी आज के जमाने में कीमत 110 मिलियन डॉलर यानि 900 करोड़ भारतीय रुपयों को बराबर है. यह उस दौर की सबसे बड़ी बैंक लूट थी.

Advertisement

गर्लफ्रेंड के कारण पकड़ा गया एक लुटेरा

उस समय फ्रांस के बैंक में हुई इस लूट का पूरी दुनिया को पता लग चुका था. पुलिस अब उन लुटेरों की तलाश में जुट गई जिन्होंने इस बैंक रॉबरी को अंजाम दिया. 3 महीनों के बाद यानि अक्टूबर 1976 में पुलिस को एक बहुत बड़ी लीड मिली. डकैतों के ग्रुप का एक मेंबर अपनी ही गर्लफ्रेंड की टिप पर पकड़ा गया. पहले तो वो मान नहीं रहा था. लेकिन जब उससे सख्ती से पूछताछ की गई तो उसने पूरे गैंग के बारे में बता दिया.

गैंग के बाकी मैंबर्स को पकड़ा गया तो पता चला कि यह गिरोह छोटी-मोटी चोरियां ही किया करता था. पहले पुलिस को ये बात हजम नहीं हो रही थी कि यह गिरोह इतनी बड़ी बैंक लूट भी कर सकता है. लेकिन बाद में पता चला कि इसका मास्टरमाइंड तो कोई और ही थी. गैंग के लोगों ने मास्टरमाइंड का नाम बताया अल्बर्ट स्पाजियारी 'Albert Spaggiari'. अल्बर्ट एक फोटोग्राफर था.

पुलिस ने जब इसे अरेस्ट किया तो उसने बिना किसी झिझक के यह कबूल कर लिया कि बैंक रॉबरी का मास्टरमाइंड वही है. अल्बर्ट ने बताया कि उसने पहले पहले इस बैंक में लॉकर लिया था. फिर बहाने से वहां जाकर सारी चीजों की फोटो ले खींच लिया करता था.

Advertisement

कैसे दिया लूट की इस वारदात को अंजाम

उसने अपने ही लॉकर में एक अलार्म क्लॉक रखा. जिसका अलार्म रात के समय पर सेट कर दिया. जब अलार्म बजने से भी कोई अलर्ट नहीं हुआ और न ही कोई सिक्योरिटी अलार्म बजा तो उसे कन्फर्म हो गया कि वॉल्ट में कोई सिक्योरिटी सिस्टम नहीं लगा है. फिर वह इंजीनियर के भेष में सिटी गवर्नमेंट के ऑफिस गया और वहां से शहर का नक्शा निकलवाया. इस मैप में सीवरेज लाइन कहां और कितना दूर है, इसका अंदाजा लगाया. फिर उसने कैल्कुलेशन की तो पाया कि अगर वह सीवरेज लाइन में 26 फीट का टनल बनाए तो वह सीधा बैंक के अंदर निकल सकता है.

इस काम के लिए बहुत ही मेहनत की जरूरत थी. लिहाजा अल्बर्ट ने इसके लिए शहर के गैंगस्टर से कॉन्टेक्ट किया और उसे अपना प्लान बताया. उस गैंगस्टर ने अपने आदमियों को इस काम पर लगा दिया. टनल को खोदने के लिए दो महीनों का वक्त लग गया क्योंकि यह काम बिना किसी मशीन के किया जा रहा था. और इस काम को रात के समय ही किया जा सकता था.

27 घंटे तक करते रहे बैंक में लूट

फिर 18 जुलाई 1976 की रात को वो वॉल्ट में फाइनली दाखिल हो गए. अगले 27 घंटे तक उन्होंने बड़े ही आराम से लूट की. वहां उन्होंने लंच भी किया और डिनर भी. फिर लूटपाट करके उसी टनल से फरार हो गए. पुलिस ने अल्बर्ट इस बयान के बाद उसे कोर्ट में पेश किया. अल्बर्ट ने वहां भी अपना जुर्म कबूल कर लिया. उसे इसके लिए उम्रकैद की सजा सुनाई गई.

Advertisement

जज के सामने से ही फरार हो गया मास्टरमाइंड

कोर्ट में तब अल्बर्ट ने लूटी हुई रकम और सोना कहां रखा है इसकी डिटेल एक कोड वर्ड के जरिए कागज में लिखकर जज को दी. कहा कि वो इस बारे में सिर्फ जज को ही बताएगा. जज जब उसे कमरे में लेकर गए और कोड के बारे में पूछने लगे तो अल्बर्ट ने मौका पाते ही कमरे की खिड़की से छलांग लगा दी. वहां पहले से ही एक बाइक खड़ी थी. अल्बर्ट तुरंत उसमें बैठा और वहां से फरार हो गया. पुलिस की लाख कोशिश के बाद भी वह नहीं पकड़ा जा सका.

कई साल बाद उसका इंटरव्यू एक इटली के चैनल में ब्रॉडकास्ट हुआ. इसमें उसने बताया कि उसे 12 साल की उम्र से ही खजानों को ढूंढने का शौक था. और यह शौक उसने बैंक रॉबरी से पूरा किया. इसके बाद अल्बर्ट कहां गया किसी को पता नहीं लगा. फिर 8 जून 1989 में अल्बर्ट की मौत हो गई. अल्बर्ट की मां का कहना था कि उसकी डेड बॉडी को कोई घर के बाहर रख गया था.

 

Advertisement
Advertisement