
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में कथित गैंगरेप के बाद 19 साल की युवती की मौत को लेकर देशभर में आक्रोश है. अपराधियों को कठोर सजा देने और देश में महिलाओं के लिए अधिक सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग हर तरफ सुनाई दे रही है. ऐसे में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों से पता चलता है कि 2012 में भारत को हिला देने वाली निर्भया गैंगरेप-मर्डर की घटना के बाद, असल में, देश में रेप के अपराध घटने की जगह और बढ़े हैं.
इंडिया टुडे की डेटा इंटेलीजेंस यूनिट (DIU) ने बीते 10 साल में राज्यवार रेप केसों के आंकड़ों का विश्लेषण किया. DIU ने पाया कि 2019 में देश में दर्ज कुल रेप केसों में से दो-तिहाई से अधिक केस 10 राज्यों से रिपोर्ट हुए. इन 10 राज्यों में यूपी से राजस्थान और मध्य प्रदेश से केरल तक-जैसे राज्य शामिल हैं. बीते 10 साल में इन राज्यों में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर स्थिति बद से बदतर हुई है.
भारत में रेप महामारी
NCRB के ताजा उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में कुल दर्ज रेप केसों में, पांच रेप पीड़िताओं में से चार इन 10 राज्यों से हैं - राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, असम, हरियाणा, झारखंड, ओडिशा और दिल्ली.
इन 10 राज्यों में कुल रिपोर्ट किए गए रेप केसों की संख्या पिछले 10 वर्षों में लगभग दोगुनी हो गई है - 2009 में 12,772 से 2019 में 23,173 तक. देश के बाकी 26 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में बीते 10 साल में रेप केसों की संख्या में कोई खास बदलाव नहीं आया है.
औसतन, भारत में महिलाओं से रेप का जोखिम पिछले 10 वर्षों में लगभग चार गुना बढ़ गया है. 2009 में, उपरोक्त 10 राज्यों हर दिन लगभग तीन महिलाओं से रेप की घटनाएं रिपोर्ट हुईं. 2019 में इन 10 राज्यों में यह आंकड़ा तीन से बढ़कर 11 पर पहुंच गया.
महिलाओं के लिए असुरक्षित
राजस्थान में पिछले 10 साल में रिपोर्ट हुए रेप केसों की संख्या में 295 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. ये देश के किसी भी राज्य की तुलना में सबसे खराब स्थिति है. NCRB डेटा के मुताबिक 2009 में राजस्थान में 1,519 रेप केस दर्ज हुए. 2019 में ये आंकड़ा बढ़कर 5,997 केस तक पहुंच गया.
केरल इस सूची में दूसरा सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला राज्य है. केरल में पिछले 10 साल में रेप केसों की संख्या में 256% की बढ़ोतरी हुई. 2009 में केरल में 568 रेप केस दर्ज हुए जो 2019 में 1,455 बढ़कर 2,023 तक पहुंच गए.
भारत में महिलाओं के लिए तीसरा सबसे असुरक्षित राज्य दिल्ली है. देश की राजधानी दिल्ली में बीते 10 साल में रेप केस 167% यानि तीन गुना बढ़े हैं. 2009 में दिल्ली में 469 रेप केस की तुलना में 2019 में 1,253 ऐसे केस दर्ज हुए.
पड़ोसी राज्य हरियाणा में, पिछले 10 वर्षों में रेप केसों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है. इस अवधि में, राज्य में रिपोर्ट रेप केसों में लगभग 145 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2009 में हरियाणा में 603 रेप केस दर्ज हुए जो 2019 में बढ़कर 1,480 हो गए. इसी तरह, झारखंड में 10 साल में रेप केसों की संख्या 97% बढ़ी है. 2009 में 719 रेप केस दर्ज हुए जो 2019 में बढ़कर 1,416 हो गए.
उत्तर प्रदेश, हाथरस की घटना की वजह से इन दिनों सुर्खियों में हैं. इस घटना को कथित तौर पर गलत तरह से डील करने को लेकर राज्य प्रशासन को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. देश में सबसे ज्यादा आबादी वाले इस राज्य में पिछले 10 साल में रेप केस लगभग दोगुने हो गए. राज्य में 2009 में 1,759 रेप केसों की तुलना में 2019 में 3,065 ऐसे केस दर्ज हुए.
इन 10 राज्यों में मध्य प्रदेश अकेला राज्य है जहां, रेप केसों की संख्या में 17 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है. मध्य प्रदेश में 2013 से 2018 तक हर साल 4,000 से अधिक रेप केस रिपोर्ट हुए. 2019 में प्रदेश में 2,485 रेप केस रिपोर्ट हुए. अन्य राज्यों में महाराष्ट्र, ओडिशा और असम में पिछले 10 साल में रेप केसों मे क्रमशः 55 प्रतिशत, 35 प्रतिशत और 9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई.
निर्भया के 7 साल बाद
NCRB के आंकड़ों से पता चलता है कि 2012 के दिल्ली गैंगरेप-मर्डर केस के बाद राजस्थान, केरल, हरियाणा और झारखंड ने क्रमशः 83 प्रतिशत, 66 प्रतिशत, 52 प्रतिशत और 18 प्रतिशत अधिक रेप केस बीते सात साल में रिपोर्ट किए.
औसतन, इन 10 राज्यों ने बीते सात वर्षों में 23,173 रेप केस रिपोर्ट किए जो कि 3 फीसदी ऊंचा आंकड़ा है. दूसरी ओर, अन्य 26 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में समान अवधि में रेप केसों की संख्या 21 प्रतिशत घटकर 11,173 से 8,860 पर आ गई.
निर्भया केस के बाद सरकार सख्त कानूनों को अमल में लाई थी. उस केस के बाद के डेटा से पता चलता है कि इन कानूनों से अधिकतर अपराधियों के लिए खौफ पैदा नहीं हो सका, जो कि इन कानूनों का मकसद था. कानून के अमल में लाने की खामियों की वजह से कुछ राज्यों में रेप केस अधिक दर्ज हुए. हाथरस में जो हुआ, उसने देश को एक बार फिर हिला दिया है. ऐसे में कानून के सख्ती से पालन की मांग फिर जोर पकड़ रही है.