लड़ाई तो हाथरस में पीड़िता को इंसाफ दिलाने की है, लेकिन इस लड़ाई की आड़ में दंगे कराने की साजिश कौन रच रहा है? वो कौन है जो यूपी को दंगों की आग में झोंकना चाहता है? उत्तर प्रदेश सरकार की एजेंसियों के साथ ही प्रवर्तन निदेशालय की जांच जारी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कह रहे हैं कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.
कथित फंडिंग मामले में जांच एजेंसियों की रडार पर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के उपाध्यक्ष अब्दुल सलाम है. नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध प्रदर्शनों के कथित फंडिंग मामले में अब्दुल सलाम से पहले भी पूछताछ की गई थी. अब्दुल सलाम केरल राज्य विद्युत बोर्ड में काम करते हैं.
गौरतलब है कि योगी सरकार ने सोमवार सुबह दंगा भड़काने की साजिश का खुलासा किया और शाम होते-हाते इनसे जुड़े चार आरोपी गिरफ्तार भी कर लिए गए. यूपी पुलिस ने मथुरा के टोल प्लाजा से चारों मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी का दावा किया. यूपी पुलिस का दावा है कि ये चारों हाथरस की ओर जा रहे थे.
पुलिस के मुताबिक चारों का संबंध पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई और उसके सहयोगी संगठन कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया यानी सीएफआई से है. दंगे की साजिश के आरोप में पकड़े गए आरोपियों में अतीक उर रहमान मुजफ्फरनगर जिले के रतनपुरी थाने के नगला गांव का रहने वाला है, सिद्दीकी मल्लपुरम के बेंगारा का रहने वाला है.
इसके अलावा गिरफ्तार मसूद अहमद बहराइच जिले के जरवल का रहने वाला है और आलम रामपुर के घेर फतेह खान गांव का रहने वाला है. इन चारों आरोपियों के पास से मोबाइल, लैपटॉप और माहौल बिगाड़ने वाले संदिग्ध साहित्य बरामद हुए. अदालत ने इनको 14 दिन के लिए जेल में भेज दिया है.
पहले ही यूपी पुलिस ने ये साफ कर दिया है कि हाथरस कांड के साये में दंगा फैलाने की साजिश रची जा रही थी. इस कड़ी में पीडिता को आर्थिक मदद के बहाने दंगे के लिए पैसा जुटाने की तरफ भी पुलिस का निशाना है. इस कड़ी में दंगे वाली साजिश की जांच में ईडी की एंट्री हो गई है.
सूत्रों के मुताबिक हाथरस में इंसाफ के बहाने जातीय दंगे भड़काने की साजिश के लिए गैरकानूनी फंड की जांच ईडी करेगी. ईडी जल्द ही इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दायर कर सकती है.