साथी पर रेप का आरोप लगाने वाली वायुसेना (IAF) की 28 वर्षीय महिला अफसर ने गंभीर आरोप लगाए हैं. उसने डॉक्टरों पर रेप की पुष्टि के लिए टू-फिंगर टेस्ट करने का आरोप लगाया है. टू-फिंगर टेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट बैन लगा चुका है. इसके अलावा पीड़िता ने सबूतों से छेड़छाड़ और पूछताछ के दौरान असंवेदनशील रवैया अपनाने का आरोप लगाया. हालांकि गुरुवार को यह मामला एयरफोर्स अधिकारियों को सौंप दिया गया है.
तमिलनाडु पुलिस द्वारा 20 सितंबर को दर्ज की गई पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) के अनुसार, महिला अधिकारी ने कहा कि तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले के वायु सेना प्रशासनिक कॉलेज में परिसर में उसके साथ बलात्कार किया गया था. उसने यह भी कहा कि कॉलेज के अधिकारियों ने उससे कहा कि अगर वह टखने की चोट (जो कथित अपराध से घंटों पहले झेली थी) का दर्द सह सकती है, तो वह परिसर में अपने बलात्कारी को देखने के दर्द से भी निपट सकती है.
भारतीय वायुसेना ने आरोपों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. स्थानीय पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने के बाद आरोपी 29 वर्षीय फ्लाइट लेफ्टिनेंट, उसके वकील और भारतीय वायुसेना ने सोमवार को कोयंबटूर की अतिरिक्त महिला अदालत में तर्क दिया कि मामले में सिविल पुलिस का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है.
उन्होंने कोर्ट-मार्शल की कार्रवाई के लिए आरोपी की हिरासत भारतीय वायुसेना को हस्तांतरित करने की मांग की. हालांकि, अदालत ने आरोपी की न्यायिक हिरासत 30 सितंबर तक बढ़ा दी और कहा कि वह उस दिन मामले के अधिकार क्षेत्र पर फैसला करेगी.
क्या है पूरा मामला
एफआईआर के अनुसार, पीड़िता ने 9 सितंबर को प्रशिक्षण के दौरान बास्केटबॉल खेलते समय अपना दाहिना पैर घायल कर लिया था. उसने एक दर्द निवारक दवा ली और उस शाम अधिकारियों के मेस बार में अपने सहयोगियों के साथ शामिल हो गई, जहां आरोपी ने उसके दूसरे पेय के लिए भुगतान करने की पेशकश की.
पीड़ित महिला अधिकारी ने कहा कि उसने उल्टी की और बिस्तर पर चली गई, और दो दोस्तों (एक पुरुष और दूसरी महिला) ने उसकी देखभाल की और जाने से पहले कमरे को बाहर से बंद कर दिया, जब वह सो रही थी, तो आरोपी कथित तौर पर अंदर आया, उसे जगाने की कोशिश की और उसे चूमने की कोशिश की.
पीड़िता के मुताबिक, वह उसे (आरोपी) दूर धकेलती रही लेकिन टखने की चोट के कारण असफल रही और फिर उसका रेप किया गया. इसके बाद पीड़िता के सामने दो विकल्प दिए गए- या तो शिकायत दर्ज करें, या एक लिखित बयान दें कि सब कुछ सहमति से था. फिर उन्हें एयरफोर्स अस्पताल जाने का निर्देश दिया गया था.
पीड़िता का आरोप है कि डॉक्टरों ने उससे निजी सवाल पूछे और टू-फिंगर टेस्ट किया. टू-फिंगर टेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट बहुत पहले बैन लगा चुका है. इन अमानवीय व्यवहारों के बाद महिला ने एफआईआर कराने की ठानी और 19 सितंबर की रात को मुकदमा दर्ज कराया.