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राजस्थान के भीलवाड़ा में निमोनिया (Pneumonia) के इलाज के नाम पर 5 माह की मासूम बच्ची को गर्म सलाखों से दागने का मामला सामने आया है. गंभीर हालत में बच्ची को उपचार के लिए भीलवाड़ा के जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. निमोनिया के इलाज के नाम पर बच्चों को गर्म सलाखों से दागने की यह पहली घटना नहीं है. भीलवाड़ा, चित्तौडगढ और राजसमन्द जिलों में पिछले 2 सालों में ऐसी दर्जनों घटनाऐं सामने आई हैं, जिनमें से 3 बच्चों की तो मृत्यु भी हो चुकी है.
ताजा मामला भीलवाड़ा जिले का है जहां पर एक मां द्वारा ही अपनी पांच वर्षीय मासूम को गर्म सलाखों से दाग दिया गया. बताया गया है कि उस बच्ची को निमोनिया की शिकायत थी जिसके बाद मां ने खुद ही इलाज करते हुए बच्ची को गर्म सलाखों से दाग दिया. इस बारे में बच्ची की मां कहती हैं कि मैने इसको गर्म सलाखों से दागा था. पहले वो ठीक हो गई थी. लेकिन जब उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी तो मैंने खुद ही गर्म सलाखों से दागा था.
बच्ची को निमोनिया होते ही गर्म सलाखों से दागा
इस मामले में बच्ची की नानी की तरफ से भी प्रतिक्रिया दी गई है. उनकी तरफ से भी यही बताया गया है कि पहले घर पर इलाज किया गया, लेकिन जब तबीयत बिगड़ी तो अस्पताल लेकर आ गए. उन्होंने बोला है कि जो लोहे की सलाख होती है तो उसको गर्म करके इसकी मां ने दागा है. मुझे भी मेरे पापा ने ऐसे ही गर्म सलाखों से दागा था जिससे निमोनियां ठीक हो जाता है. लेकिन हमारी बच्ची का ठीक नहीं हुआ, इसलिए उसे अस्पताल लेकर आए हैं.
बच्ची की हालत नाजुक
अब इस अंधविश्वास से स्थानीय डॉक्टर भी परेशान हैं. उनके मुताबिक कई बार जागरूकता फैलाने का प्रयास रहा है, लेकिन फिर भी लोगों का यूं गर्म सलाखों से दागने का सिलसिला नहीं थम रहा है. भीलवाड़ा के राजकीय महात्मा गांधी चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ.अरूण गौड़ ने कहा कि 5 माह की बच्ची को गंभीर अवस्था में हमारी एनआईसीयू में भर्ती करवाया गया है. उसको उसके परिवारजनों ने गर्म सलाखों से दागा है. बच्ची की हालत अभी गंभीर बनी हुई है.
जानकारी के लिए बता दें कि पिछले 2 साल में अकेले भीलवाड़ा जिले में इस तरह की 20 से अधिक घटनाएं सामने आने के बावजूद केवल बनेड़ा थाना क्षेत्र में एक बालिका की मौत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया है.
प्रमोद तिवारी की रिपोर्ट