दिल्ली पुलिस ने एक बड़े चाइल्ड ट्रैफिकिंग रैकेट का भंडाफोड़ किया है. इस रैकेट में शामिल आठ सदस्यों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है, जिनमें पांच महिलाएं भी शामिल हैं. ये गैंग दिल्ली से लेकर पंजाब तक सक्रिय था. नवजात शिशुओं की खरीद और फरोख्त किया करता था. पुलिस ने पहले दो लोगों को दिल्ली से गिरफ्तार किया था. उनकी निशानदेही पर छह अन्य लोगों को पंजाब में छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया गया.
पुलिस उपायुक्त (रोहिणी) गुरइकबाल सिंह सिद्धू ने कहा, ''20 फरवरी को दिल्ली के बेगमपुर थाने को इलाके में नवजात शिशुओं की खरीद-फरोख्त की सूचना मिली थी. इस मामले की जांच के लिए तुरंत एक टीम का गठन किया गया. पुलिस टीम दिए गए पते पर पहुंची और कॉल के तथ्यों की पुष्टि की. एक घर में दो महिलाओं के पास एक नवजात बच्ची थी. उनसे पूछताछ की गई, तो वे बच्चे के माता-पिता के बारे में संतोषजनक जवाब नहीं दे सके.''
पुलिस उपायुक्त ने बताया कि कड़ाई से पूछताछ के दौरान महिलाओं ने खुलासा किया कि वे एक अंतरराज्यीय मानव तस्करी गिरोह संचालित करते हैं, जो विभिन्न राज्यों में नवजात शिशुओं को खरीदता और बेचता है. बच्ची को पंजाब के मुक्तसर से खरीदा गया था. उसका 50 हजार में सौदा किया जाना था. वो किसी खरीदार का इंतजार कर रहे थे. इसके बाद पुलिस ने दोनों महिलाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके गिरफ्तार कर लिया.''
डीसीपी ने कहा कि पुलिस ने शिशुओं की तस्करी में शामिल गिरोह के अन्य सदस्यों को पकड़ने के लिए आगे की जांच की. इस कड़ी में पंजाब में कई जगह छापे मारे गए. तीन महिलाओं सहित गिरोह के छह अन्य सदस्यों को गिरफ्तार किया गया. आरोपी महिलाओं में से एक को पहले मानव तस्करी में शामिल पाया गया था. आरोपियों की पहचान दिल्ली के पीयूष अग्रवाल, पंजाब के राजिंदर और रमन के रूप में हुई है. पुलिस आगे की जांच कर रही है.
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बताते चलें कि साल 2022 में भी दिल्ली पुलिस ने एक बड़े चाइल्ड ट्रैफिकिंग रैकेट का खुलासा किया था. इसमें एक प्राइवेट अस्पताल के मालिक और तीन महिलाओं को गिरफ्तार किया गया था. साउथ रोहिणी की हॉक आई टीम को बच्चों की खरीद-फरोख्त करने वाले एक गिरोह के बारे में सूचना मिली थी. इसके आधार पर 29 अगस्त 2022 को पुलिस ने अपना जाल बिछाया. इस दौरान एक पुलिसकर्मी को नि:संतान पिता के रूप में पेश किया गया था.
इसके बाद दो महिलाएं आईं और उस पुलिसकर्मी से मिलीं. इसके बाद नवजात शिशु को लेकर रुखसाना नाम की एक महिला और एक व्यक्ति (जहांगीरपुरी स्थित संजय ग्लोबल अस्पातल का मालिक डॉ संजय मलिक) भी वहां आ गए. उन्होंने नकली ग्राहक बने पुलिसकर्मी को बच्ची को दिखाया और उसके जन्म से संबंधित दस्तावेज भी दिखाए. फर्जी ग्राहक हेड कांस्टेबल प्रदीप ने बातचीत करते हुए बच्ची का सौदा 1 लाख 10 हजार रुपए में तय किया.
इसी दौरान उक्त पुलिसकर्मी के इशारे पर आसपास मौजूद पुलिस की टीम मौके पर पहुंच गई. आरोपियों को धर दबोचा. उनसे पूछताछ में पता चला कि बच्ची रुखसाना की ही थी, जो अविवाहित है. करीब 7 महीने की गर्भवती रुखसाना प्रेमी के छोड़ने पर गर्भपात के लिए संजय ग्लोबल अस्पताल, जहांगीर पुरी, दिल्ली गई थी. डॉ. संजय मलिक ने उसे बच्चे को रखने के लिए राजी किया और प्रसव के बाद बच्चे को किसी जरूरतमंद व्यक्ति को देकर पैसे कमाने का लालच दिया.
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बच्ची का जन्म 27 जुलाई 2022 को उसके अस्पताल में हुआ था. इसके बाद डॉ. संजय मलिक मधु सैनी और सीमा कुमारी की मदद से एक बच्चे के ग्राहक की तलाश कर रहा था. इस बीच पुलिस ने उन सभी को रंगे हाथों पकड़ लिया. पूछताछ में पता चला है कि संजय मलिक, मधु सैनी और सीमा कुमारी बाल तस्करी का रैकेट चलाते थे. वो विभिन्न अस्पतालों और पैथ लैब के माध्यम से ऐसी लड़कियों की तलाश करते थे, जो किसी कारणवश गर्भवती हो जाती थीं.
वो ऐसी लड़कियों को बच्चा पैदा करने के लिए राजी करती और फिर उन बच्चों को ऐसे विवाहित जोड़ों को बेच देते, जिन्हें उसकी जरूरत होती थी. मधु सैनी पहले होली फैमिली अस्पताल में नर्स के रूप में कार्यरत थी, जो ऐसी लड़कियों की तलाश करती थी. वहीं सीमा कुमारी ग्राहकों को ढूंढती थी, जबकि डॉ. संजय मलिक डिलिवरी कर बच्चे के जन्म प्रमाण से संबंधित फर्जी दस्तावेज तैयार करता था. पकड़े जाने से पहले उन लोगों ने 5-6 बच्चों का सौदा किया था.