इजरायली सेना ने नॉर्थ और साउथ गाजा में कहर बरपाने के बाद वेस्ट बैंक की तरफ रुख कर लिया है. आईडीएफ फिलिस्तीनी शहर तुलकर्म के नूर शम्स में कहर बरपा रही है. यहां कई मकान मलबे में तब्दील हो गए हैं. चारो तरफ खून के निशान हैं. बंदूक की गोलियों के ढेर नजर आ रहे हैं. शनिवार को इज़रायली सेना ने यहां ज़बरदस्त छापेमारी कर बड़े पैमाने पर जान माल का नुकसान किया है.
फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालयल के मुताबिक इजरायली सेना ने वेस्ट बैंक में 14 फिलिस्तीनियों को मार डाला है. कई लोग घायल हुए हैं. इसके साथ ही कई फिलिस्तीनियों को गिरफ्तार कर इजरायली सैनिक अपने साथ ले गए हैं. एक दूसरे हमले में इज़रायली सेना ने एक एंबुलेंस ड्राइवर के सीने में उस वक्त गोली मार दी, जब छापेमारी के दौरान वो एक घायल फिलिस्तीनी को लेने गया था.
इजरायली सेना ने छापेमारी की कार्रवाई शुक्रवार से शुरू की थी, जो शनिवार तक जारी रही. इस दौरान इजरायली सेना की भीड़ नजर आई. नूर शम्स क्षेत्र के ऊपर तीन ड्रोन भी मंडराते दिखे. इस मौके पर इजरायली सेना की कुछ हथियारबंद लड़ाकों के साथ उनकी जमकर गोलीबारी हुई. इसमें इज़रायली की सेना ने कई आतंकियो को मारने का दावा किया और कई आतंकियों को गिरफ्तार किया है.
हमास और इजरायल के बीच संघर्ष को 6 महीने से ज्यादा हो गए हैं, जो थमने का नाम नहीं ले रहा. इस बीच इज़रायली लोगों का गुस्सा प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ बढ़ता जा रहा है. एक बार फिर शनिवार को हज़ारों की तादाद में लोग तेल अवीव, यरुशलम समेत पूरी इज़रायल में पीएम नेतन्याहू के खिलाफ सड़कों पर निकले. हाथों में बैनर-पोस्टर और इज़रायली झंडा लिए गाज़ा में बंधकों की रिहाई की मांग किया.
यही नहीं प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पीएम नेतन्याहू बंधकों की रिहाई के लिए गंभीर नहीं है. इसके साथ ही पीएम नेतन्याहू को तानाशाह बताते हुए कहा कि वो उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा. एक प्रदर्शनकारी बैट हेन ने कहा, ''हम एक दशक से अधिक समय से इस तानाशाह से छुटकारा पाने की कोशिश कर रहे हैं. दुख की बात है कि हम इसमें बहुत सफल नहीं हो पाए हैं. इसकी हमें बहुत ऊंची कीमत चुकानी पड़ रही है.''
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ इज़रायल में लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं. पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास के हमले से पहले भी हर शनिवार को हज़ारों इज़रायली ऐसे ही प्रदर्शन कर नेतन्याहू के इस्तीफे की मांग कर रहे थे. पहले ये पीएम नेत्याहू के भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाकर इस्तीफे की मांग कर रहे थे और अब 7 अक्टूबर के बाद सुरक्षा के मोर्चे पर विफलता को देखकर ऐसी मांग की जा रही है.