जेएनयू छात्र संघ ने परिसर में बढ़ते यौन उत्पीड़न और हिंसा के मामलों पर जेएनयू प्रशासन की लापरवाही के चलते अपने गुस्से का इजहार किया है. सोमवार की देर शाम जेएनयूएसयू के बैनर तले गंगा ढ़ाबे पर छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया.
संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि यौन उत्पीड़न के लिए जीरो टॉलरेंस होना चाहिए. JNUSU ने पीड़ितों के लिए इंसाफ की मांग करते हुए आरोपियों की कड़ी निंदा की.
सेंटर फॉर रशियन स्टडीज के छात्रों ने हाल ही में जारी एक बयान में कहा कि केंद्र के एक छात्र केशव कुमार पर जेएनयू की कम से कम दो छात्राओं ने यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं. उसने अंतरंग साथी के साथ हिंसा और बिना सहमति छात्राओं की तस्वीरों का उपयोग करना, बलात्कार का प्रयास और ब्लैकमेल करने के मामले में शामिल होना स्वीकार किया है.
जेएनयूएसयू ने यौन शोषण के इन कृत्यों की कड़ी निंदा की और सेंटर ऑफ रशियन स्टडीज के छात्रों के साथ मिलकर फैकल्टी से आरोपी केशव कुमार को सभी पदों से हटाने की मांग की. बयान में कहा गया कि संगठन पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए उनके संघर्ष में पूरी एकजुटता से साथ है.
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बयान में कहा गया कि वर्तमान में बलात्कार के प्रयास के मुकदमे में आरोपी राघवेंद्र मिश्रा को जेएनयू परिसर से बाहर किए जाने की घोषणा की गई थी. लेकिन वो कई मौकों पर जेएनयू परिसर में देखा गया है. चीफ प्रॉक्टर ने 14 फरवरी 2020 के एक आदेश में राघवेंद्र को अकादमिक रूप से निलंबित कर दिया था. यही नहीं उसे छात्रावास से भी निष्कासित कर दिया था. लेकिन आरोपी आदेशों का उल्लंघन करते हुए जेएनयू परिसर में घूम रहा है.
राघवेंद्र मिश्रा के खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोपों को ध्यान में रखते हुए, यह बेहद जरूरी है कि आरोपी को प्रावधानों में किसी भी तरह की छूट न दी जाए और परिसर में बचे लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए. इसलिए जेएनयूएसयू ने मांग करते हुए कहा है कि राघवेंद्र मिश्रा का कैंपस परिसर में प्रवेश प्रतिबंधित किया जाना चाहिए और उसके जमानत आदेश की शर्तों को देखते हुए चीफ प्रॉक्टर और दिल्ली पुलिस को इस पर ध्यान देना चाहिए.
ये दो परेशान करने वाली घटनाएं आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) के निवारण तंत्र की एक बड़ी विफलता हैं. क्योंकि यह पीड़ितों का भरोसा नहीं जीत पाई. साथ ही पीड़ितों को ICC में जाने और शिकायत दर्ज कराने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जेएनयू में GSCASH को खत्म करके ICC की स्थापना की गई थी. लेकिन इस नई समिति के गठन के बाद से ही परिसर की सुरक्षा में गिरावट देखी जा रही है.