आंखों से बहता खून, हाथ-पैर के टूटे पंजे और बदहवास हालत...ये दर्दभरी दास्तां है यूपी में कानपुर एक शख्स की. उसे नौकरी का झांसा देकर भिखारी गैंग के लीडर के हाथ 70 हजार रुपये में बेच दिया गया था. यहीं से शुरू हुआ यातनाओं का वो सिलसिला जो किसी भी इंसान का दिल दहला दे.
गौरतलब है कि नौबस्ता रवींद्र नगर निवासी सुरेश मांझी (30) नौकरी की तलाश में था. उसकी मजबूरी का फायदा उठाकर परिचित विजय मखरिया पिंक बिल्डिंग निवासी विजय ने 6 महीने पहले झकरकटी पुल के नीचे बंधक बनाया और शहर से दूर लेकर चला गया. सुरेश के घर ना पहुंचने पर परिजनों ने तलाश शुरू की. काफी खोजबीन के बाद भी उसका कोई पता नहीं चल सका.
केमिकल डालकर अंधा कर दिया
उधर, सुरेश मांझी को वो यातनाएं दी जा रही थीं जो शायद इंसानियत को देखते हुए कोई अपने दुश्मन को भी ना दे. भिखारी गैंग का लीडर जुल्म पर जुल्म ढाए जा रहा था. भीख मंगवाने के लिए सुरेश के हाथ पैर के पंजे तोड़ दिए गए. इतना ही नहीं उसकी आंखों में केमिकल डालकर अंधा तक कर दिया गया. उसके शरीर को दागा भी गया.
दी गई असहनीय प्रताड़ना
इन असहनीय प्रताड़ना के चलते सुरेश की तबीयत बिगड़ गई. गैंग लीडर को जब लगा कि वो मर ही जाएगा तो दो महीने पहले उसे आरोपी विजय के जरिए कानपुर भेज दिया. दर्दभरी ये कहानी यहां भी नहीं रुकी. विजय उससे शहर में ही भीख भूखा-प्यासा रखकर भीख मंगवा रहा था.
घरवालों के पैरों तले जमीन खिसक गई
किसी तरह राहगीर की मदद से सुरेश रविवार को नौबस्ता स्थित अपने घर पहुंचा. उसकी हालत देखकर घरवालों के पैरों तले जमीन खिसक गई. गुरुवार को क्षेत्रीय पार्षद को घटना की जानकारी मिली. इसके बाद उन्होंने परिजनों के साथ पहुंचकर नौबस्ता थाने में तहरीर दिलाई. इस दौरान हंगामा भी हुआ. इस मामले पर डीसीपी साउथ प्रमोद कुमार का कहना है कि तीन लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है. जांच के लिए टीम गठित की गई है. आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.