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हनीट्रैप...तंत्र-मंत्र... ब्लू फिल्म और मर्डर, केरल बलि कांड की पूरी कहानी

केरल के पथानामथिट्टा में दो महिलाओं की बलि ने सभी को हिलाकर रख दिया है. महिलाओं को पहले बहला फुसलाकर लाया गया, फिर उनकी हत्या की गई. इसके बाद शवों के दरिंदगी हुई. यह सब सिर्फ इसलिए हुआ ताकि पापों से मुक्ति मिले और घर में पैसा ही पैसा आए. इस मामले में आरोपी तांत्रिक और एक दंपति पुलिस की गिरफ्त में है.

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तीनों आरोपी (बाएं से) शफी, भगवल सिंह और उसकी पत्नी लैला हिरासत में भेजे गए (फाइल फोटो)
तीनों आरोपी (बाएं से) शफी, भगवल सिंह और उसकी पत्नी लैला हिरासत में भेजे गए (फाइल फोटो)

कभी कोरोना, कभी ब्लैक फंगस, कभी चक्रवात, कभी तूफान की वजह से चर्चा में रहने वाला राज्य केरल इस बार दूसरी वजह से सुर्खियों में है. यहां 2 महिलाओं की नरबलि और उनसे हुई जघन्यता ने राज्य ही नहीं पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. सवाल पूछे जा रहे हैं कि जहां 100 फीसदी आबादी साक्षर हो, जो राज्य शिक्षा में सबसे आगे हो, जहां प्रति व्यक्ति आय भी ठीक-ठाक हो, जिस राज्य में रोजी-रोजगार का संकट न हो, जिस राज्य की एक बहुत बड़ी आबादी खाड़ी देशों में रहती हो. जो राज्य इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्कूल-कॉलेज और मेडिकल सुविधाओं के लिए जाना जाता हो, जहां कम्युनिस्टों की सरकार हो वहां ऐसा कैसे हो गया?

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सोशल मीडिया पर बहस चल रही है कि साक्षर होने और शिक्षित होने में अंतर है. साक्षरता से सोच नहीं बदलती, नजरिया नहीं बदलता लेकिन शिक्षा आपको तार्किक तरीके से सोचना सिखा देती है. इसका जवाब इस तरह भी दिया जा रहा है कि इस घटना का मास्टरमाइंड छठी क्लास के बाद स्कूल नहीं गया. भगवल सिंह और लैला भी कोई खास पढ़े लिखे नहीं है. दोनों शफी की हाथ की कठपुतली हो गए और ऐसा जघन्य अपराध कर डाला.

केरल का एक जिला है पथानामथिट्टा, इसका एक गांव है एंलथूर (Elanthoor) 11 अक्टूबर को यहां पर भारी संख्या में पुलिस पहुंचती है और घर के पीछे वाले हिस्से में खुदाई कराने लगती है. घर के बाहर जमावड़ा लग जाता है. लेकिन पुलिस किसी को अंदर नहीं आने देती. थोड़ी देर बाद, यहां से मानव अंग के टुकड़े निकलने लगते हैं जिन्हें पुलिस पॉलिथीन में भरवाने लगती है. यह बात जंगल में आग की तरह फैलती है. जितने मुंह उतनी बातें, क्योंकि यहां पर जो परिवार रहता था वह एकदम साधारण था. आसपास के लोगों को उनसे कोई शिकायत नहीं थी.

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कौन हैं भगवन सिंह और लैला

यहां भगवल सिंह और उसकी पत्नी लैला रहते हैं. दोनों के नाम देखकर कभी-कभी ऐसा लगता है कि दोनों उत्तर भारत के होंगे लेकिन ऐसा नहीं है. भगवल सिंह के पिता उस इलाके के जाने-माने मसाज थेरेपिस्ट थे. जिन्हें केरल में वैड्यार (Vaidyar) कहा जाता है. भगवल सिंह का परिवार मलयाली है लेकिन वैड्यार की वजह से परिवार सरनेम 'सिंह' लिखता रहा है. भगवल सिंह को कविताएं लिखने का शौक है, फेसबुक पर उसके 800 फॉलोअर हैं. वह समय-समय पर कविताएं पोस्ट करता रहा है. ऐसी कविताओं को केरल में हैकू (Haiku) कहा जाता है. The Hindu में छपी खबर के मुताबिक उसने हैकू के एक ऑनलाइन सेशन में भाग लिया था. भगवल सिंह पश्चिम एशिया के किसी देश में बसना चाहता था लेकिन उसे सफलता नहीं मिली. पिता की विद्या उसे आती थी. उनके न रहने पर भगवल सिंह ने घर के पास ही एक मसाज थेरेपी सेंटर खोला. उसकी दूसरी पत्नी लैला इसमें हाथ बंटाती थी. पहली पत्नी से अलगाव के बाद 26 साल पहले भगवल सिंह की जिंदगी मैं लैला आई थी. दोनों के एक बेटा है जो दुबई में रहता है. पहली पत्नी से भगवल सिंह को एक बेटी है जो विदेश में परिवार के साथ रहती है.

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लैला का टोटके में भरोसा

कुल मिलाकर सब ठीक चल रहा था. परिवार सेटल था पति-पत्नी दोनों उम्र के एक पड़ाव पर थे. पड़ोसियों के मुताबिक परिवार का स्वभाव सहयोगी था, लेकिन लैला कुछ ऐसे टोटके करती रहती थी जो पड़ोसियों को खटकते थे. ऐसा लगता था कि कुछ गड़बड़ है, बाद में इनके घर पर गाड़ियों का आना जाना शुरू हो गया लेकिन यह इनका निजी मामला है, यह सोचकर कोई दखल नहीं देता था.  

कोरोना ने बंद किया रास्ता, 'श्रीदेवी' बन गया शफी

दरअसल 2019 में कोरोना की शुरूआत हुई और बाद में लॉकडाउन की स्थिति बनी. इस दौरान ऐसे धंधों पर बड़ी चोट पहुंची, जिनमें टच करना मजबूरी हो. मसाज बिना टच किए हो नहीं सकता. भगवल सिंह का बिजनेस धीरे-धीरे ठप पड़ने लगा. जरूरतें उतनी ही थीं लेकिन इनकम का स्रोत अचानक बंद हो गया. दूसरी ओर कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए केरल सरकार ने फैसला किया जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों को छोड़ दिया जाए जिससे वहां कोरोना न फैले. इस रिहाई में मोहम्मद शफी भी जेल से बाहर आ गया जो 75 साल की महिला से रेप के आरोप में जल में बंद था. शफी पर पहले कुल 6 मामले दर्ज थे.

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भगवल सिंह फेसबुक पर कविताएं पोस्ट करता था. उधर, मोहम्मद शफी शिकार की तलाश में फेसबुक पर 'श्रीदेवी' के नाम से मौजूद था. श्रीदेवी भगवल सिंह पर डोरे डालने लगी. उसकी शान में कसीदे पढ़ने लगी. भगवल सिंह पानी-पानी हो जाता. श्रीदेवी ने उसे एहसास कराया कि वह उसके प्यार में है. दोनों में बातें होने लगीं. भगवल सिंह खुलने लगा, उसने श्रीदेवी को बताया कि वह आर्थिंक संकट से गुजर रहा है. श्रीदेवी ने उसे सुझाव दिया कि वह रशीद नाम के तांत्रिक को जानता है, भगवल सिंह उससे मिले, सारी समस्यायों का समाधान हो जाएगा. लैला पहले से ही ऐसी शक्तियों में विश्वास करती थी. दोनों रशीद के पास पहुंच गए. पुलिस के मुताबिक रशीद कोई और नहीं मोहम्मद शफी ही था.

शफी ने दोनों को समझाया कि अगर दोनों को आर्थिक तंगी से निकलना हो तो एक मानव बलि देनी होगी. अगर हालात सुधारने हैं तो इतना करना होगा, इससे घर में सुख समृद्धि आएगी. उसने लैला और भगवल को कैसे समझाया यह तो बाद में बाहर आएगा लेकिन उन्हें इस बात पर सहमत कर लिया है कि बलि में उनकी सक्रिय भागीदारी जरूरी है. बलि चढ़ने वाले को जितनी पीड़ा होगी उतना ही ज्यादा फायदा होगा. पुलिस के मुताबिक दरअसल शफी सैडिस्ट है यानी जिसे दूसरों को दुख देने में, तकलीफ देने में, तड़पाने में सुख मिलता है. लेकिन लैला और भगवल के सामने समस्या थी कि वह बलि किसकी चढ़ाएं. शफी ने यह मुश्किल यह कहकर आसान कर दी कि वह इंतजाम कर देगा बस पैसे का इंतजाम आप लोगों को करना होगा.

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मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि भगवल और लैला से शफी ने 3 लाख रुपये हड़प लिए. इसके बाद उसने एर्नाकुलम में रहने वाली रोजलीन से संपर्क किया. 49 साल की रोजलीन को झांसा दिया गया कि उसे एक पॉर्न फिल्म में काम करना होगा, इसके लिए उसे 15 लाख रुपये मिलेंगे. उम्र का तकाजा, पैसे की चाह में रोजलीन शफी की जाल में फंस गई. शायद उसे बताया गया हो कि उसकी उम्र को देखते हुए उसके साथ कुछ गलत नहीं किया जाएगा. जो पात्र फिल्म में काम करेंगे उसकी मां-बहन की भूमिका में रोजलीन होगी.

वो खौफनाक दिन

शफी रोजलीन को लेकर भगवल और लैला के पास पहुंचा. पहले से सबकुछ तय कर लिया गया था. रोजलीन को एक कमरे में ले जाया गया. जहां उसे बेड पर सोने के लिए कहा गया. फिर उसके हाथ-पांव बांध दिए गए. रोजलीन को बताया गया कि यह फिल्म का हिस्सा है. हाथ-पांव बांधे जाने के बाद रोजलीन असहाय हो गई तो लैला ने चाकू उठाया और उसके प्राइवेट पार्ट पर वार करने लगी. रोजलीन जितना चिल्लाती शफी उतना ही खुश होता. इसके बाद भगवल ने रोजलीन के स्तन काट दिए. इतना करने के बाद भी रोजलीन की सांसे चल रही थीं. पुलिस के मुताबिक बाद में लैला ने उसका गला रेत दिया. इसके बाद उसके शव को घर के पीछे दफना दिया गया. अनुष्ठान पूरा हो चुका था. बलि दी जा चुकी थी. लेकिन भगवल और लैला के हालात नहीं सुधर रहे थे. इसके कुछ महीने बाद दोनों ने शफी से फिर संपर्क किया. शफी ने बताया कि अनुष्ठान में कुछ कमी रह गई है. अगर सबकुछ ठीक करना है तो एक और बलि देनी होगी.

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पद्मा ऐसे बनी शिकार

लैला और भगवल ने शफी को बता दिया है कि वो इंतजाम नहीं कर पाएंगे. इस बार भी जिम्मा शफी ने ही उठाया. शफी कोच्चि में लॉटरी बेचने वाली पद्मा को जानता था. वह कई बार उनसे मिला और झांसे में ले लिया. पद्मा को सेक्स वर्क के बदले 15000 रुपये देने के लिए तैयार किया गया. शफी ने वादा किया कि वह पद्मा को लेकर आएगा. भगवल और लैला ने तैयारियां पूरी कर लीं. शफी 26 सितंबर को पद्मा को लेकर भगवल के घर पहुंचा. लेकिन यहां एक गड़बड़ हो गई. तीनों पद्मा के साथ वैसा ही करना चाहते थे जैसा रोजलीन का हाथ-पांव बांधकर किया था लेकिन पद्मा घर पहुंचते ही पैसे की मांग करने लगी. पैसे रखे तो थे नहीं जो दे दिए जाते. पैसे तो देने भी नहीं थे. ऐसे में बात बढ़ गई. शफी ने रस्सी से पद्मा का गला दबा दिया और वहीं उसकी मौत हो गई. इसके बाद उसके साथ वही नृशंसता की गई जो रोजलीन के साथ की गई थी. उसके शरीर के 56 टुकड़े किए गए. ऐसा भी दावा किया जा रहा है कि बॉडी का कुछ पार्ट पकाकर खाया भी गया लेकिन पुलिस ने इस दावे की जांच की बात कही है.

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एक सीसीटीवी फुटेज ने खोला राज

8 जून को रोजलीन गायब हो चुकी थी. यूपी में रह रही उसकी बेटी ने एर्नाकुलम पुलिस में मां की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. 26 सितंबर को पद्मा गायब हो गई. वह ऐसी लेडी थी जो लॉटरी का काम बंद होने के बाद हर रोज अपने परिवारवालों से बात करती थी. कोच्चि में रहने वाली उसकी बहन जब उससे संपर्क नहीं कर पाई तो धर्मपुरी तमिलनाडु में रह रहे परिजनों से संपर्क किया. 27 सितंबर को पद्मा की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई. The Hindu में छपी खबर के मुताबिक, कोच्चि के डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (लॉ एंड ऑर्डर) एस शशिधरन को लगा कि यह सामान्य गुमशुदगी नहीं है. उन्होंने तमाम पुलिसवालों को सीसीटीवी फुटेज पर लगा दिया. अथक परिश्रम के बाद एक धुंधली सी फुटेज मिली जिसमें पद्मा एक एसयूवी में सवार हो रही है. जब नंबर की जांच की गई तो यह मोहम्मद शफी की निकली. इसके बाद पुलिस ने शफी को उठा लिया. लेकिन शफी ने मुंह नहीं खोला. उसके मोबाइल की सीडीआर निकलवाई गई फिर भगवल और लैला को पकड़ा गया. उन दोनों ने जो जो किया था, सब पुलिस के सामने उगल दिया.

इसके बाद पुलिस तीनों को लेकर भगवल और लैला के घर पहुंची. घर के पीछे खुदाई की गई तो जहां तहां मानव मांस के टुकडे़ मिले. इसे इकट्ठा कर जांच के लिए भेजा गया. पुलिस का कहना है कि डीएनए जांच के बाद ही तय हो पाएगा कि कौन सा टुकड़ा किसका है.

इस घटना के बाद यह बहस जोर पकड़ने लगी है कि जिस राज्य में साक्षरता और शिक्षा का स्तर बेहतर हो वहां पर ऐसी घटना कैसे हो सकती है. केरल के चैनलौं पर इसको लेकर कई दिनों तक डिबेट होती रही. पक्ष और विपक्ष वाले इसकी चीरफाड़ करते रहे. बीजेपी ने आरोप लगाया कि भगवल कम्युनिष्ट पार्टी का सदस्य है. लेकिन पार्टी का कहना है कि वह कभी भी पार्टी का सदस्य नहीं रहा. केरल में पहली बार ऐसी वारदात हुई हो ऐसा नहीं है. इससे पहले भी कम से कम 4 मामले अलग-अलग जिलों में देखे गए हैं. डिबेट में कई लोगों ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाए हैं. केरल शास्त्र साहित्य परिषद के एपी मुरलीधरन कहते हैं कि 'अगर कोई बच्चा क्लास में बलि के बारे में पूछता है तो उससे कहा जाता है कि पढ़ाई के बारे में फोकस करो. उसे तार्कि तरीके से इसके नुकसान के बारे में नहीं बताया जाता. उसे ये नहीं समझाया जाता कि इस तरह के अंधविश्वास दूर करने के लिए क्या किया जाए.'

ऐसी शक्तियों और अंधविश्वास में यकीन करने वालों में दो बातें कॉमन होती हैं. पहली वो मानते हैं कि उन पर भूतों का साया है और दूसरा कि वो पैसे की किल्लत से गुजर रहे होते हैं. दोनों बातों को लिंक कर दिया जाता है फिर होता है एक खतरनाक साजिश, जघन्य अपराध का जन्म. यह वही केरल है जहां सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति सुप्रीम कोर्ट ने दे दी है फिर भी परंपराओं में विश्वास करने वाली महिलाएं वहां जाने से परहेज करती हैं. केरल में भी कई मंदिर ऐसे हैं जहां जाकर लोग भूत-प्रेत का साया उतरवाते हैं. एक मंदिर में तो पीपल के पेड़ पर गुड़िया के अंगों में कीलें ठोंकी जाती हैं परिवार या व्यक्ति पर गलत साया न पड़ने पाए.

दो महिलाओं की बलि से जिस नई बहस को जन्म दिया है, हो सकता है इसके बाद केरल में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए बड़े कदम उठाए जाएं. कानून बनाने की भी बात चल रही है. लेकिन सबसे बड़ी बात है जागरुकता फैलाना. ऐसी घटनाओं से बचने के लिए अंधविश्वास और विश्वास की महीन रेखा को समझना- समझाना होगा. लोगों को एहसास दिलाना कि तंत्र-मंत्र भूत प्रेत से आगे निकलना होगा. परिश्रम और सही दिशा में काम करने से ही उन्नति के दरवाजे खुलते हैं. नए रास्ते खोजने होंगे, नई राह बनानी होगी. साथ में ऐसी घटिया सोच रखने वालों और ऐसा जघन्य अपराध करने वालों को ऐसी सख्त सजा देनी होगी कि दूसरा कोई ऐसा करने से पहले हजार बार सोचे.

 

 

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