उत्तर प्रदेश के लखनऊ में स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की एमडी की स्टूडेंट और रेजिडेंट डॉक्टर ने कुलपति को पत्र लिखकर शिकायत की है. छात्रा ने आरोप लगाया है कि यौन शोषण के मामले को वापस लेने के लिए उस पर दबाव बनाया जा रहा है. छात्रा ने पिछले साल फार्माकोलॉजी एंड थेराप्यूटिक्स विभाग में दाखिला लिया था.
मध्य प्रदेश की रहने वाली पीड़िता का कहना है कि पिछले साल 25 जून को उसने दाखिला लिया था. इसके बाद, 28 जुलाई को डिपार्टमेंट के एसोसिएट रिसर्चर देवाशीष मुखर्जी ने छेड़खानी और बदसलूकी की. पीड़िता ने कहा, ''इस घटना के बारे में जब मैंने अपने डिपार्टमेंट हेड को बताया तो उनके द्वारा मुझे सही एश्योरेंस नहीं दिया गया, जिसके चलते मैंने इस घटना की जानकारी पुलिस को दी और एफआईआर दर्ज करवाई. बाद में यह मामला कोर्ट तक चला गया, जहां कोर्ट ने मामले की सही और निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए.''
छात्रा का कहना है कि कोर्ट के निर्देश के बाद केजीएमयू की विशाखा कमेटी ने जांच शुरू की. नियमानुसार, विशाखा कमेटी को 90 दिनों में अपनी जांच रिपोर्ट जमा करनी होती है, लेकिन पिछले 10 महीने से मुझे कोई रिपोर्ट नहीं दी गई. इसके बाद एचओडी ने मीटिंग बुलाई, जिसमें सभी प्रोफेसर थे और मेरे गाइड भी थे.
उस दौरान, एचओडी ने कहा कि मैं अपना केस वापस ले लूं और जो भी पहले चीजें हो चुकी हैं, उसे नॉर्मल कर लूं क्योंकि विशाखा कमेटी में कुछ साबित नहीं हुआ है. मेरी वजह से बाकी लोग जो डिपार्टमेंट के हैं, उनका भी करियर बर्बाद हो जाएगा. सब मेरी वजह से परेशान हो रहे हैं और डिपार्टमेंट का नाम खराब हो रहा है.
कुलपति को लिखे पत्र में पीड़िता ने कहा है कि मैं पूछना चाहती हूं कि क्या डिपार्टमेंट का नाम किसी भी लड़की की डिग्निटी से बड़ा है. अगर विशाखा कमेटी की रिपोर्ट आ गई है, तो वह कहां है? न ही कोर्ट में जमा हुई और ना ही मुझे दिखाई गई. वहीं, मेरे सीनियर से कहा गया है कि मुझ पर दबाव बनाएं, ताकि मैं अपना केस वापस ले लूं. पीड़िता डॉक्टर ने आगे बताते हुए कहा कि मेरे ऊपर कोरोना काल में महामारी कानून लगाया गया, जबकि मैंने बताया था कि मेरी तबीयत खराब है और मैं ड्यूटी नहीं कर पाऊंगी.
केजीएमयू की रेजिडेंट डॉक्टर ने आरोप में कहा कि मुझे वॉट्सेएप मैसेज और फोन पर धमकियां दी गईं. मेरी वजह से मेरे बैचमेट्स को तंग किया जा रहा था और तो और मेरे पिता के साथ भी बदसलूकी करते हुए उन्हें धमकी दी गई. उनसे कहा गया है कि अगर मैं केस वापस नहीं लेती हूं तो बहुत सारे क्रिमिनल चार्ज मेरे ऊपर लगा दिए जाएंगे. बता दें कि इस मामले में लखनऊ के थाना चौक में आरोपी रिसर्च एसोसिएट देवाशीष मुखर्जी के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में धारा 354-(क) के तहत मामला दर्ज कर एफआईआर लिखवाई गई थी.