खालिस्तानी स्लीपर सेल अब पंजाब के बाद दिल्ली में भी एक्टिव हो गए हैं. जानकारी सामने आने के बाद अब खुफिया एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं. सूत्रों से आजतक को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक 12 जनवरी को दिल्ली के जनकपुरी, तिलक नगर, पश्चिम विहार समेत तकरीबन 12 जगहों पर खालिस्तान के समर्थन में लगे पोस्टर एक बड़ी साजिश का हिस्सा थे. यह एक विदेशी साजिश थी. खालिस्तानी टेरर नेटवर्क के स्लीपर सेल किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में हैं. हालांकि, इस मामले में दिल्ली से 2 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है.
दरअसल, गणतंत्र दिवस के पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के विकासपुरी, जनकपुरी, तिलक नगर, पश्चिम विहार ईस्ट,पश्चिम विहार नॉर्थ के इलाकों में दीवरों पर स्प्रे से सिख फॉर जस्टिस और खालिस्तान जिंदाबाद के पोस्टर लगाए गए थे. इतना ही नहीं रेफरेंडम 2020 लिखकर माहौल खराब करने की कोशिश की गई थी. सूचना मिलते ही पुलिस ने इन पोस्टरों को हटाकर ग्रैफिटी पर पेंट किया था. पुलिस ने आईपीसी की धाराओ में तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया था.
खालिस्तानी आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस ने भी वीडियो जारी करके दिल्ली में हमले की धमकी दी थी, लाल किले पर झंडा फहराने वाले को 5 मिलियन डॉलर का इनाम देने की बात भी कही थी. इसी वजह से लाल किले के आस-पास भी सुरक्षा ज्यादा कर दी गई थी. दिल्ली पुलिस के पीआरओ सुमन नलवा ने कहा था कि कुछ लोगों ने दिल्ली के कुछ स्थानों पर राष्ट्र-विरोधी, खालिस्तान-संबंधी पेंटिंग की थी.
इस मामले में कानूनी कार्रवाई की जा रही है. दिल्ली पुलिस यह सुनिश्चित कर रही थी कि गणतंत्र दिवस से पहले कोई गलत गतिविधि न हो. बता दें कि एसएफजे (सिख्स फॉर जस्टिस) एक प्रतिबंधित संगठन है.अमेरिका, कनाडा, यूके आदि में विदेशी राष्ट्रीयता के कुछ कट्टरपंथी सिखों द्वारा चलाए जा रहे फ्रिंज संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) को गैरकानूनी घोषित किया जा चुका है.
खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस एक आतंकी संगठन है. मई 2022 में इसी संगठन ने हिमाचल विधानसभा के दरवाजे पर खालिस्तानी झंडा फहराया था. इस संगठन पर 2019 में केंद्र सरकार ने बैन लगा दिया था. ये संगठन भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहता है. पहले भी इस संगठन पर कई गंभीर आरोप लग चुके हैं. तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हुए किसान आंदोलन के समय भी सिख फॉर जस्टिस का नाम सामने आया था. NIA ने दिसंबर 2020 में चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें किसान आंदोलन से जुड़े नेताओं के SFJ से कथित कनेक्शन की बात कही गई थी. इस मामले में 40 से ज्यादा नेताओं को समन भेजा गया था.