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KIIT सुसाइड केस: कमेटी के सामने पेश हुए यूनिवर्सिटी संस्थापक, विदेश मंत्रालय ने जारी किया ये बयान

ओडिशा के भुवनेश्वर में स्थित कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी में एक नेपाली छात्रा की खुदकुशी के मामले की जांच के लिए हाई लेवल कमेटी ने अपना काम शुरू कर दिया है. शुक्रवार को केआईआईटी के संस्थापक अच्युत सामंत यूनिवर्सिटी के बड़े अधिकारियों के साथ कमेटी के सामने पेश हुए.

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Third year BTech student committed suicide in KIIT hostel
Third year BTech student committed suicide in KIIT hostel

ओडिशा के भुवनेश्वर में स्थित कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी में एक नेपाली छात्रा की खुदकुशी के मामले की जांच के लिए हाई लेवल कमेटी ने अपना काम शुरू कर दिया है. शुक्रवार को केआईआईटी के संस्थापक अच्युत सामंत यूनिवर्सिटी के बड़े अधिकारियों के साथ कमेटी के सामने पेश हुए. शाम 6:30 बजे निर्धारित अपनी सुनवाई से पहले वो राज्य अतिथि गृह पहुंचे.

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वहीं, इस मामले में विदेश मंत्रालय ने भी अपना बयान जारी किया है. इसमें कहा गया है, ''हम केआईआईटी में नेपाली छात्रा की मौत से बहुत दुखी हैं. भारत सरकार विदेशी छात्रों की सुरक्षा को उच्च प्राथमिकता देती है. विदेश मंत्रालय ओडिशा सरकार, केआईआईटी और नेपाली समक्षों के साथ संपर्क में है. विदेशी छात्रों के लिए 24/7 हेल्पलाइन है. भारत विदेशी छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है.''

केआईआईटी के संस्थापक अच्युत सामंत ने एक दिन पहले ही इस घटना के लिए नेपाली छात्रों के अभिभावकों से माफी मांगी थी. विधानसभा में कांग्रेस विधायकों ने इस मामले के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराते हुए उनकी गिरफ्तारी की मांग की थी. अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) सत्यब्रत साहू की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय जांच समिति को 16 फरवरी को छात्र की आत्महत्या के कारणों, संस्थान के प्रशासन की मनमानी, कई छात्रों को निलंबित करने और उनके लिए संस्थान को बंद करने के निर्णय की जांच करने का काम सौंपा गया है. 

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केआईआईटी के दो निलंबित वरिष्ठ अधिकारी जयंती नाथ और मंजूषा पांडे शुक्रवार की शाम 4 बजे समिति के समक्ष पेश हुए थे. उन पर नेपाल के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया है. इसमें उन्होंने दावा किया था कि केआईआईटी नेपाली छात्रों को मुफ्त भोजन उपलब्ध कराता है. संस्थान का बजट पूरे नेपाल से अधिक है. उनके इस बयान का वीडियो वायरल हुआ था.

बताते चलें कि नेपाली छात्रा की खुदकुशी के बाद कैंपस में बवाल मच गया. इंसाफ की मांग करते गुए नेपाली छात्र प्रदर्शन करने लगे. इसके बाद यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने प्रदर्शनकारी छात्रों को जबरन हॉस्टल से बाहर निकाल दिया. बस में भरकर उनको रेलवे स्टेशन पर उतार दिया गया. उन्हें नेपाल जाने के लिए कह दिया गया. जबकि कई छात्रों के पास खाने और जाने के पैसे नहीं थे.

इस मामले के संज्ञान में आते ही नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने दूतावास के दो अधिकारी ओडिशा भेजा. उनके हस्तक्षेप के बाद छात्रों को कुछ राहत मिली. प्रधानमंत्री ओली ने फेसबुक पर लिखा, "मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से हमारे संज्ञान में आया है कि ओडिशा में केआईआईटी के छात्रावास में एक नेपाली छात्र की मृत्यु हो गई है. नेपाली छात्रों को जबरन बाहर निकाल दिया गया है. सरकार इस पर राजनयिक चैनलों के माध्यम से काम कर रही है. हम संबंधित अधिकारियों के संपर्क में है." उनके हस्तक्षेप के बाद यूनिवर्सिटी ने कदम पीछे खींच लिए.

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