कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुए रेप-मर्डर केस में लेडी डॉक्टर का पोस्टमार्टम करने वाले एक डॉक्टर ने बड़ा खुलासा किया है. पोस्टमार्टम करने वाली फॉरेंसिक टीम के एक सदस्य डॉक्टर अपूर्व बिश्वास का दावा है कि अपने को पीड़िता का चाचा बताने वाले एक व्यक्ति ने उन पर जल्दी पोस्टमार्टम करने का दबाव बनाया था. उन्होंने डॉक्टरों से कहा था, ''यदि आज पोस्टमार्टम जल्दी नहीं हुआ तो खून की गंगा बहा दूंगा.''
डॉक्टर अपूर्व बिश्वास को रविवार को सीबीआई ने पूछताछ के लिए बुलाया था. जांच एजेंसी ने उनसे करीब पांच घंटे की पूछताछ की है. वहां से वापस आने के बाद उन्होंने अपना बयान दिया है. उनका कहना है कि पीड़िता का चाचा बताने वाले एक शख्स ने जल्दी पोस्टमार्टम के लिए कहा था. लेकिन पेपर आने में देरी होने की वजह से पोस्टमार्टम करने में समय लग गया. बिश्वास के इस बयान पर बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने एक पोस्ट किया है.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है, ''पीड़िता का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर अपूर्व बिश्वास ने जिस शख्स का जिक्र किया है, वो पूर्व काउंसलर संजीव मुखर्जी हैं. वो पहले पानीहाटी में सीपीएम के काउंसलर थे. उन्होंने बाद में टीएमसी जॉइन कर लिया था. फिलहाल पानीहाटी के टीएमसी नेता निर्मल घोष के बहुत करीबी हैं. इसी संजीव ने पीड़िता के परिजनों की जानकारी के बिना क्रिमिनेशन सर्टिफिकेट पर साइन भी किया था.''
शुभेंदु अधिकारी ने आगे लिखा है, ''सभी जानते हैं कि पीड़िता का अंतिम संस्कार जल्दबाजी में किया गया था. पुलिस श्मशान घाट पर होने वाली गतिविधियों पर नज़र रख रही थी और शव को ठिकाने लगाने के लिए बहुत जल्दबाजी में थी. ममता बनर्जी के निर्देश पर पानीहाटी विधायक निर्मल घोष खुद मौजूद थे. क्रिमिनेशन सर्टिफिकेट पर पर एक और नाम/हस्ताक्षर भी है- सोमनाथ डे. क्या ये वही हैं, जो एक टीएमसी नेता हैं?
इससे पहले लेडी डॉक्टर रेप-मर्डर केस की जांच कर रही सीबीआई ने कोलकाता पुलिस को लेकर एक बड़ा खुलासा किया था. जांच एजेंसी ने कहा था कि मुख्य आरोपी संजय रॉय की गिरफ्तारी के दो दिन बाद उसके कपड़े और सामान बरामद किए गए थे. कोलकाता पुलिस ने यह जानते हुए कि आरोपी से जुड़े सामान अपराध में उसकी भूमिक तय करने में अहम साबित हो सकते हैं, इसके बावजूद देरी की गई थी.
कोलकाता पुलिस ने मुख्य आरोपी संजय रॉय को वारदात के एक दिन बाद 10 अगस्त को सीसीटीवी फुटेज के आधार पर गिरफ्तार किया था. उसे वारदात के दिन तड़के 4.03 बजे अस्पताल के सेमिनार हॉल में प्रवेश करते हुए देखा गया था. एक सीबीआई अधिकारी ने कहा था, "अपराध में आरोपी की भूमिका पहले ही सामने आ चुकी थी, लेकिन पुलिस ने उसके कपड़े और सामान जब्त करने में 2 दिन की अनावश्यक देरी की थी.''
कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बाद 14 अगस्त को सीबीआई ने इस केस की जांच अपने हाथ में ली थी. इससे पहले कोलकाता पुलिस इसकी जांच कर रही थी. इस मामले में सीबीआई ने पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और ताला पुलिस स्टेशन के प्रभारी अभिजीत मंडल को गिरफ्तार किया था. दोनों पर वारदात से जुड़े सबूत नष्ट करने और जांच की दिशा भटकाने का आरोप है. सीबीआई की पूछताछ में भी दोनों सहयोग नहीं कर रहे हैं.
एक अधिकारी ने कहा था कि मुख्य आरोपी और सह-आरोपी के बीच आपराधिक साजिश रचे जाने की संभावना है. ताला पुलिस स्टेशन, क्राइम सीन और मेडिकल कॉलेज के सीसीटीवी फुटेज के साथ दोनों आरोपियों को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की जाएगी. उनके फोन से निकाले गए मोबाइल डेटा की भी जांच की जाएगी, ताकि उनके बीच हुई बातचीत से इस मामले में संभावित साजिश का पता लगाया जा सके.
केंद्रीय जांच एजेंसी ने अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के एक मामले में संदीप घोष को 2 सितंबर को गिरफ्तार किया था. सीबीआई के वकील ने कहा था, ''हमें लगता है कि इस अपराध के पीछे कोई बड़ी साजिश है. इस घटना की सूचना ताला थाने को सुबह 10 बजे मिली, लेकिन पुलिस अधिकारी 11 बजे मौके पर पहुंचे. एफआईआर रात 11:30 बजे के बाद दर्ज की गई. थाने के ओसी की उस दिन संदीप घोष से कई बार बातचीत हुई थी.''
कोर्ट में अभिजीत मंडल के वकील ने कहा था, ''मेरे मुवक्किल के खिलाफ धाराएं जमानती हैं. उन पर घटनास्थल पर देर से एफआईआर दर्ज करने जैसे आरोप हैं. इसके लिए उनके खिलाफ विभागीय जांच हो सकती है, लेकिन इस गलती के लिए उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. जब भी सीबीआई ने उन्हें नोटिस देकर बुलाया, उन्होंने पूरा सहयोग किया. मेरे मुवक्किल को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, इसके बावजूद वो दोबारा पेश हुए थे.''