कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुए लेडी डॉक्टर रेप-मर्डर केस की जांच में लापरवाही का आरोप लगाते हुए सैकड़ों डॉक्टरों-नर्सों विरोध प्रदर्शन किया है. इस वारदात के सात महीने बाद मेडिकल सर्विस सेंटर, सर्विस डॉक्टर्स फोरम और नर्सेज यूनिटी के नेतृत्व में सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित सीबीआई कार्यालय तक विरोध मार्च निकाला गया है.
करीब दो सौ डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्यकर्मी और नागरिक समाज के प्रतिनिधि मार्च के लिए सीजीओ कॉम्प्लेक्स के प्रवेश द्वार पर पहुंचे. लेकिन पुलिस अधिकारियों ने जुलूस को सीबीआई कार्यालय की ओर बढ़ने से रोक दिया. इसके बाद दोनों पक्षों के बीतचीत के बाद 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को अंदर जाने दिया गया. प्रतिनिधिमंडल ने सीबीआई को एक ज्ञापन सौंपा है.
इसमें सीबीआई से पूरक आरोपपत्र दाखिल करने की मांग की गई है. इसके साथ ही आरोपियों के खिलाफ आरोप दायर करने में देरी के लिए सार्वजनिक स्पष्टीकरण, आगे की कानूनी कार्यवाही के लिए समयसीमा, जांच प्रक्रिया में लापरवाही करने वाले अधिकारी के प्रति सख्त जवाबदेही और सबूतों के आधार पर आरोपियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की भी मांग की गई है.
इस संदर्भ में चिकित्सा सेवा केंद्र की पश्चिम बंगाल राज्य समिति के सचिव डॉ. बिप्लब चंद्रा ने कहा, ''सात महीने बाद भी अभया के असली हत्यारे कौन हैं, यह सवाल अनुत्तरित है. अब तक केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई पूरक आरोप पत्र दाखिल करने में विफल रही है. हमारा मानना है कि न्यायिक प्रक्रिया में देरी हो रही है. हाईकोर्ट ने हलफनामा दाखिल करने को कहा है.''
इस केस को सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया है. इसके बाद सोमवार को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने स्पष्ट रूप से कहा कि क्या लेडी डॉक्टर की हत्या और बलात्कार का एकमात्र अपराधी संजय रॉय है या इसमें अन्य लोग भी शामिल हैं? न्यायाधीश ने निर्देश दिया कि इस मामले में तत्काल हलफनामा दाखिल किया जाए.
इस मामले में पीड़ित लेडी डॉक्टर के माता-पिता की याचिका पर कलकत्ता हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. पिछले हफ्ते उनके वकील ने न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष के सामने इस मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अपनी याचिका के साथ हाईकोर्ट की निर्दिष्ट एकल पीठ में जाने के लिए कहा है. इसके बाद याचिका दाखिल की गई है.