लखीमपुर हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे और मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा समेत सभी 13 आरोपियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. जांच अधिकारी की अर्जी पर कोर्ट ने सभी आरोपियों पर हत्या गैर इरादतन हत्या और लापरवाही से गाड़ी चलाने की धारा को हटाकर एक राय होकर हत्या का प्रयास और लाइसेंसी असलहे के दुरुपयोग की धारा को मंजूरी दे दी है.
इस मंजूरी के साथ ही जेल में बंद आशीष मिश्रा समेत सभी आरोपियों पर साजिश के तहत हत्या और हत्या की कोशिश की धारा में वारंट बना दिया गया है. मंगलवार को सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश कर नई धाराओं में वारंट जारी होने के बाद जेल भेज दिया गया है.
मामले की जांच कर रहे एसआईटी के इंस्पेक्टर विद्या राम दिवाकर ने अपनी जांच में लापरवाही से गाड़ी चलाने की धारा 279, गंभीर चोट पहुंचाने की धारा 338 और गैर इरादतन हत्या की धारा 304A को खारिज कर आरोपीयों पर हत्या का प्रयास 307, खतरनाक हथियारों से लैस होकर चोट करने की धारा 326, एक प्लानिंग के तहत घटना को अंजाम देने की धारा 34, और लाइसेंसी असलहा के दुरुपयोग की धारा 3/ 25 / 30 आर्म्स एक्ट को शामिल करने की कोर्ट में अर्जी डाली थी.
सीजेएम ने सुनवाई के बाद इन नई धाराओं को मंजूर करते हुए सभी आरोपियों का वारंट बनाया है. अब आशीष मिश्रा समेत सभी आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 307, 326, 302, 34, 120b और 3/ 25/30 आर्म्स एक्ट लगाई गई है. जिसके तहत वे सभी अब जेल में रहेंगे. नई धाराओं के अनुसार मामला चलेगा.
सुनवाई के बाद आशीष मिश्रा के वकील अवधेश सिंह का तो दावा है कि पुलिस के द्वारा हत्या बताए जाने से उनका काम आसान हो गया है. अवधेश सिंह का कहना है उनके खिलाफ हत्या का कोई सुबूत नहीं है. गोली किसी को लगी नहीं, सभी लोगों को कुचल के मारा गया है. पुलिस गैर इरादतन हत्या में चार्जशीट नहीं लगा पाई क्योंकि इस हत्या को करने वाला थार जीप का ड्राइवर मर गया था. इसलिए पुलिस ने अब मर्डर का चार्ज लगाया है.
कोर्ट में पेशी से पहले केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा अपने बेटे और मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा से मिलने लखीमपुर जेल भी पहुंचे थे. एसआईटी के जांच अधिकारी ने जिस तरह से हत्या के प्रयास और एक राय होकर घटना को अंजाम देने जैसी धाराओं को कोर्ट में अर्जी देकर बढ़ाया है, इससे यह जरूर कहा जा सकता है कि लखीमपुर हिंसा मामले में पुलिस जल्द चार्जशीट दाखिल करने वाली है.
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