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लखनऊ: 10 हजार नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बरामद, पुलिस ने चार लोगों को लिया हिरासत में

लखनऊ के अमीनाबाद से पुलिस ने 10 हजार नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बरामद किया है. इसके साथ ही चार लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी गई है.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अमीनाबाद पुलिस ने की बरामदगी
  • हिरासत में चार आरोपी, पूछताछ जारी

उत्तर प्रदेश में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के खिलाफ पुलिस का अभियान जारी है. लखनऊ के अमीनाबाद से पुलिस ने 10 हजार नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बरामद किया है. इसके साथ ही चार लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी गई है. पुलिस ने गंभीर धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर छानबीन शुरू की.

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इस बीच उत्तर प्रदेश में कोरोना से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं. सूबे की राजधानी लखनऊ तो एक तरह से एपीसेंटर बनी हुई है. एक तरफ लखनऊ में कोरोना संक्रमितों की तादात लगातार बढ़ती जा रही है, वहीं दूसरी तरफ कोरोना से बचाव के लिए सरकार द्वारा चलाये जा रहे टीकाकरण अभियान भी धीमा पड़ गया है.

पिछले एक सप्ताह के आंकड़ों पर नजर डालें तो लखनऊ में वैक्सीनेशन की स्पीड धीमी हुई है और वैक्सीनेशन कराने वालों की संख्या में कमी देखने को मिल रही है. पिछले 19 अप्रैल को लखनऊ के 44 सरकारी अस्पतालों और उतने ही प्राइवेट सेंटर्स पर कोरोना वैक्सीन के टीकाकरण का कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें कुल 5229 लाभार्थियों ने वैक्सीनेशन कराया. 

इसमें सरकारी अस्पतालों में 3863 और प्राइवेट अस्पतालों में बनाए गए टीकाकरण केंद्रों पर 1366 लोगों ने टीकाकरण करवाया. खास बात यह थी कि इनमें सीनियर सिटीजन की संख्या अधिक थी और कुल 2104 लोगों ने वैक्सीन की दूसरी डोज लगवाई, वहीं पहली डोज मात्र 607 लोगों ने ही लगवाई.

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इसी तरह 20 अप्रैल को 130 अस्पतालों में वैक्सीनेशन की व्यवस्था की गई थी. जिसमें 72 सरकारी अस्पताल और 58 प्राइवेट अस्पताल थे. यहां पर कुल 6033 लोगों का वैक्सीनेशन हुआ. अगले दिन 21 अप्रैल को 129 अस्पतालों में टीकाकरण सत्र चलाया गया. जिनमें शामिल 14 सरकारी और 55 प्राइवेट अस्पतालों में कुल 4913 लोगों ने टीका लगवाया.

यह आंकड़े बताते हैं कि जैसे-जैसे कोरोना संक्रमण का ग्राफ बढ़ता गया वैसे-वैसे अस्पताल की तरफ रुख करने वालों की संख्या में कमी हो गई है. बातचीत के दौरान लोगों जो जानकारी मिली वह काफी हैरान करने वाली थी. लोगों की माने तो उनमें इस बात का डर है कि वैक्सीनेशन के बाद अगर बुखार आ गया या हालत खराब हुई तो वह इलाज कहां कराएंगे.

 

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