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लखनऊ की तरह नोएडा में भी एक लड़के ने की थी मां-बहन की हत्या, न था पछतावा-न ही शिकन

लखनऊ में जिस तरह 16 साल के एक लड़के ने अपनी मां का कत्ल किया है, वैसी ही घटना साढ़े चार साल पहले नोएडा में हुई थी. चार साल पहले नोएडा में एक नाबालिग लड़के ने अपनी मां-बहन की ऐसे ही बेरहमी से हत्या कर दी थी.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • साढ़े चार साल पहले नोएडा में हुई थी हत्या
  • दो साल में ही रिहा हो गया था आरोपी

यूपी की राजधानी लखनऊ में 16 साल के लड़के ने अपनी मां का कत्ल कर दिया. हत्या के पीछे मां की रोक-टोक वजह बताई जा रही है. बेटे द्वारा अपनी मां की हत्या का यह कोई पहला मामला नहीं है. साढ़े चार साल पहले नोएडा में एक नाबालिग लड़के ने अपनी मां-बहन की ऐसे ही बेरहमी से हत्या कर दी थी, लेकिन बच्चे को कोई सजा नहीं मिल पाई थी, जानते हैं क्यों?

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पहले पूरा मामला समझिए. नोएडा में एक नाबालिग लड़के ने अपनी मां-बहन की हत्या की थी. डबल मर्डर के बाद नाबालिग लड़का घर से फरार हो गया था. आरोपी ने अपनी फरारी से चार दिन में देश के अलग-अलग सात शहरों के चक्कर लगाए, फिर बनारस आकर उसने किसी के फोन से अपने पिता को फोन किया था. तब पुलिस उस तक पहुंची थी.

ये वारदात साल 2017 की है. 4 दिसंबर का दिन था. ग्रेटर नोएडा वेस्ट की गौर सिटी-2 की एक सोसायटी में फ्लैट नंबर 1446 में अग्रवाल फैमिली रहती थी, जिनका टाइल्स का कारोबार था. 4 तारीख की शाम से परिवार के लोग घर में मौजूद मां और बच्चों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन बात नहीं हो पा रही थी. 

जब कई घंटों तक कोई संपर्क नहीं हुआ, तब परिवार के लोगों ने उनके घर के पास रहने वाले रिश्तेदारों से संपर्क किया गया. जब रिश्तेदार घर पहुंचे. तब फ्लैट बाहर से बंद था और न्यूज पेपर बाहर पड़ा था. उन्होंने खिड़की तोड़ कर अंदर झांका तो उन्हें वहां अंजलि और उनकी बेटी की लाश नजर आई. जिसके बाद फौरन पुलिस को सूचना दी गई. 

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तब पुलिस ने आकर घर के दरवाजे का लॉक तोड़ा और अंदर दाखिल हुई. अंदर मां-बेटी की लाश थी लेकिन बेटा लापता था. परिवार वाले और पुलिस को आशंका हुई कि किसी ने उसे अगवा तो नहीं कर लिया. पुलिस ने मौका-ए-वारदात से एक क्रिकेट बैट, कैंची और पिज्जा कटर भी बरामद किया. कत्ल में इसका इस्तेमाल किया गया था. 

पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू की. पुलिस का पहला काम था, परिवार के 15 वर्षीय बेटे को तलाशना, जो कत्ल के बाद से ही गायब था. इस केस में पुलिस के लिए सबसे अहम कड़ी बेटा ही था. लिहाजा पुलिस ने सबसे पहले सोसायटी के सीसीटीवी कैमरों की पड़ताल की. सीसीटीवी फुटेज में अग्रवाल परिवार का बेटा आखिरी बार दिखाई दिया था. 

पहले रात 8 बजकर 16 मिनट पर मां और बहन के साथ बाजार से घर आते हुए लिफ्ट के अंदर और फिर रात 11 बजकर 15 मिनट पर उसी लिफ्ट से घर से बाहर जाते हुए, लेकिन बाहर जाते वक्त उसके कपड़े बदले हुए थे. पीठ पर पीछे की तरफ एक बैग था और हाथ में मोबाइल फोन भी था. उन्हीं तीन घंटों के अंदर अंजलि और उसकी बेटी का कत्ल हुआ था.

मगर सीसीटीवी फुटेज में बेटे के हाव-भाव ऐसा कोई इशारा नहीं कर रहे थे कि वह दो-दो हत्याएं करके घर से निकला था. वह लिफ्ट से निकला और आराम से बाहर चला गया. उसने एक कैब ली, कार में बैठने से पहले एक गार्ड से हाथ मिलाया और वहां से चला गया. उस गार्ड के मुताबिक, उसे ना तो कोई डर था, ना कोई घबराहट. उसके चेहरे पर भी कोई सिकन तक नहीं था.

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वो कैब से सीधे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचा. कुछ देर वहां घूमता रहा और फिर वहां से उसने लुधियाना जाने वाली एक ट्रेन पकड़ ली. लुधियाना पहुंचकर कुछ देर स्टेशन पर बिताने के बाद वो चंडीगढ़ जाने वाली ट्रेन में चढ़ गया. ट्रेन चंडीगढ़ पहुंची. लड़का वहां उतरा और स्टेशन से बाहर आकर शिमला जाने वाली एक बस में सवार हो गया. 

शिमला में रात गुजारने के बाद वो फिर से चंडीगढ़ की बस में सवार हो गया और चंडीगढ़ लौट आया. इतना ही नहीं वो कुछ देर इधर-उधर घूमने के बाद फिर चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पहुंच गया और अचानक वो झारखंड जा रही एक ट्रेन में सवार हो गया. ट्रेन रांची पहुंच गई. वो रांची में उतरा. रातभर वहीं रहा. इधर-उधर घूमता रहा. 

फिर वो रांची से दिल्ली जाने वाली एक एक्सप्रेस ट्रेन में सवार हो गया. मगर वो दिल्ली नहीं पहुंचा. बल्कि रास्ते में मुगल सराय (अब दीनदयाल रेलवे स्टेशन) उतर गया. फिर वो बनारस पहुंच गया. वहां भी वो इधर-उधर टहलता रहा. बाद में शायद वो परेशान हो गया. उसका फोन भी बंद हो गया था. तब उसने वहां किसी से मोबाइल फोन मांगकर अपने पिता के मोबाइल पर कॉल किया.

पिता ने पुलिस को उसकी लोकेशन बताई. नोएडा पुलिस की एक टीम फौरन बनारस रवाना हो गई. वहां लोकल पुलिस की मदद से नोएडा पुलिस ने उसे दशाश्वमेघ घाट से पकड़ लिया था. उसी रात पुलिस उसे लेकर वापस नोएडा आ गई थी. उसने पुलिस की पूछताछ में अपना गुनाह कुबूल कर लिया था. 

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मामला एक नाबालिग से जुड़ा था, लिहाजा केस किशोर न्याय बोर्ड (JJB) के समक्ष चल रहा था. 9 दिसंबर 2017 से ही आरोपी को नोएडा के बाल संप्रेषण गृह में रखा गया था. उसके खिलाफ मामला चलता रहा. लेकिन सबूतों की कमी के चलते किशोर न्याय बोर्ड ने 20 मई 2019 को दूसरे चरण में आरोपी किशोर को संप्रेक्षण गृह से रिहा कर दिया.

उस वक्त आरोपी की उम्र 17 साल हो चुकी थी. लड़के के खिलाफ आरोप साबित नहीं हो सके क्योंकि मामले में गवाह के रूप में केवल एक ही शख्स था और वो थे आरोपी के पिता. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, पिता ने ही बोर्ड के समक्ष लड़के के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा मेडिकल रिकॉर्ड पेश किया था. 

रिहाई के बाद उस लड़के को पिता अपने साथ घर ले गए थे. हालांकि गौर सिटी-2 का वो फ्लैट उन्होंने छोड़ दिया था, जहां वो हत्याकांड हुआ था. इसके बाद वो किसी दूसरी जगह चले गए थे. अब वो कहां है, इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं है. आरोपी ने बाल संप्रेषण गृह में रहते हुए ही दसवीं कक्षा की परिक्षा दी थी और वह पास भी हो गया था.

 

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